विवादित बिल को लेकर चौतरफा आलोचनाओं के बाद बैकफुट पर आई वसुंधरा सरकार

भ्रष्ट सरकारी बाबूओं को बचाने वाले विवादित बिल को लेकर चौतरफा आलोचनाओं के बाद राजस्थान की वसुंधरा सरकार बैकफुट पर आ गई है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इस विवादित बिल को अब सिलेक्ट कमिटी के हवाले कर दिया है।
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सीएम वसुंधरा राजे ने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से बातचीत के बाद विवादित बिल को सिलेक्ट कमेटी के पास भेजने का फैसला लिया। विपक्ष के हमलों के बाद राजे सरकार को यह किरकिरी सहनी पड़ी है। सिलेक्ट कमिटी के पास विवादित बिल जाने से यह मुद्दा ठंडे बस्ते में डालने की कोशिश की गई है।
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Followed due procedure; after opposition will now hand it over to select committee: State Home Min GC Kataria on #RajasthanOrdinance pic.twitter.com/yxPaDvHR2g
— ANI (@ANI) October 24, 2017
बता दें कि विवादित बिल को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में ही दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं। इसके अलावा भाजपा के दो विधायकों ने भी विवादित बिल की आलोचना की थी। इसके बाद वसुंधरा सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा।
बिल को लेकर विवाद क्यों?
बता दें कि इस बिल के तहत राजस्थान में अब पूर्व और मौजूदा जजों, अधिकारियों, सरकारी बाबुओं के खिलाफ पुलिस और कोर्ट में शिकायत करना बेहद मुश्किल हो जाएगा। ऐसे केसे में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सरकार की इजाजत लेना जरूरी होगा।
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इतना ही नहीं, राजस्थान सरकार ने एक अध्यादेश जारी कर भारतीय दंड संहिता में संशोधन कर दिया है। इसके तहत राज्य सरकार की इजाजत के बिना आरोपित अधिकारी की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। अगर किसी ने इसका उल्लंघन किया तो 2 साल की सजा के साथ जुर्माने भी लगाया जाएगा।
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