भारतीय टीके पर ब्रिटेन का नया नियम भेदभावपूर्ण

Haribhoomi Editorial : भारतीय वैक्सीन को मान्यता नहीं देना ब्रिटेन का पक्षपातपूर्ण रवैया है। कमाल बात है कि सीरम इंस्टीट्यूट में बनाई जा रही भारतीय वैक्सीन कोविशील्ड को ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका ने ही विकसित किया है और यही वैक्सीन ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका नाम से लगाई जा रही है। भारत की वैक्सीन कोविशील्ड सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करते हुए बनाई गई है और विश्व स्वास्थ्य संगठन से मान्यता प्राप्त है। भारत में कोरोना की रफ्तार रोकने में कोविशील्ड व कोवैक्सीन दोनों ने अहम भूमिका निभाई है, जबकि ब्रिटेन और अमेरिका में लगाई जा रही वैक्सीन से अमेरिका में कोविड की लहर धीमी नहीं हुई है।
दरअसल 17 सितंबर को ब्रिटेन ने अपना नया ट्रैवेल रूल जारी किया। इसमें कई देशों को रेड लिस्ट में रखा गया है। इस रूल के मुताबिक अफ्रीका, दक्षिणी अमेरिका, यूएई, भारत, तुर्की, जॉर्डन, थाईलैंड और रूस में कोरेाना की वैक्सीन लगवाने वालों को अनवैक्सीनेटेड माना जाएगा। नया रूल चार अक्टूबर से लागू होने जा रहा है। इसके मुताबिक अनवैक्सीनेटेड श्रेणी के देश से इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और दक्षिणी आयरलैंड पहुंचने वाले नागरिकों को दस दिन क्वारंटीन रहना होगा, वहां दो से तीन बार कोविड टेस्ट कराना पड़ेगा। इसके साथ ही 72 घंटे पहले की कोरोना निगेटिव रिपोर्ट भी अनिवार्य की गई है। नए नियमों के तहत जिन भारतीय यात्रियों ने कोविशील्ड टीके की दोनों खुराक ली हैं उन्हें टीका लिया हुआ नहीं माना जाएगा। इसको लेकर लगातार बहस जारी है। ब्रिटिश सरकार के इस नियम से भारत समेत कई देशों के नागरिकों को काफी दिक्कत होने वाली है, उनका अनावश्यक व्यय बढ़ेगा।
ब्रिटिश सरकार के नए नियम को अनवैक्सीनेटेड श्रेणी के विदेशी नागरिकों से कोरोना के नाम पर आर्थिक बोझ डालने का पैंतरा माना जा सकता है। ब्रिटिश सरकार के इस मनमाना फैसले पर भारत ने कड़ा ऐतराज जता कर सही किया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ब्रिटेन की विदेश सचिव से मुलाकात के दौरान नाराजगी दर्ज कराई है। विदेश मंत्री ने कहा है कि क्वारंटीन नियमों को सुलझाने में ही आपसी हित है। भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने ब्रिटिश सरकार के निर्णय को भेदभावपूर्ण बताया है। भारत ने ब्रिटेन को नहीं मानने पर उसके खिलाफ जवाबी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है। डब्ल्यूएचओ ने भी ब्रिटेन के नए नियम पर आपत्ति जताई है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि कोविशील्ड विश्व स्वास्थ्य संगठन की इमरजेंसी वैक्सीन की लिस्ट में शामिल है। इसलिए इस वैक्सीन को मान्यता न देना पूरी तरह से गलत है। डब्ल्यूएचओ की इमरजेंसी लिस्ट में शामिल सभी वैक्सीन को मान्यता दी जानी चाहिए।
कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी इसे ब्रिटेन का दोहरा मानदंड माना है। भारत के ऐतराज के बाद ब्रिटेन ने जरूर कहा है कि वह भारतीय प्राधिकारियों द्वारा जारी कोविड-19 रोधी टीकाकरण प्रमाणपत्र की स्वीकार्यता को विस्तार देने पर भारत के साथ चर्चा कर रहा है। ब्रिटेन के नए यात्रा नियमों की आलोचना के बीच ब्रिटिश उच्चायोग के एक प्रवक्ता का यह बयान आया है। ब्रिटेन के लिए यह अच्छा होगा कि जितनी जल्दी हो, वह भारत के साथ मामला सुलझा ले। यूं इस तरह दूसरे देशों की वैक्सीनों को मान्यता नहीं देना डब्ल्यूएचओ के प्रासंगिकता को कटघरे में खड़ा करना है। ब्रिटेन और भारत के बीच न केवल ट्रेड मजबूत है, बल्कि हजारों भारतीय लगातार ब्रिटेन की यात्रा करते रहते हैं, ऐसे में अनावश्यक क्वारंटीन जैसे फैसले से ब्रिटेन को ही आर्थिक नुकसान उठाना होगा। कमाने की नीयत से बनाए गए नियम ब्रिटेन को ही उल्टा भारी पड़ सकते हैं। यूनाइटेड किंगडम अगर अपना भेदभावपूर्ण यात्रा नियम भारत पर लादता है तो भारत को भी जवाबी प्रतिकार करना चाहिए।
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