डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : खाद्य सुरक्षा मजबूत करे भारत

इन दिनों विभिन्न वैश्विक रिपोर्टों और सम्मेलन में भारत को मजबूत खाद्य सुरक्षा वाले देश के साथ-साथ खाद्यान्न संकट का सामना करने वाले देशों के लिए आदर्श मददगार के रूप में रेखांकित किया जा रहा है। लेकिन खाद्य सुरक्षा के लिए भारत को जिन बातों पर भी ध्यान देना होगा, उनमें पोषण, सतत कृषि उत्पादन के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियां, कृषि प्रणाली मॉडल पर केंद्रित जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण, हरित तथा जलवायु अनुकूल कृषि के लिए वित्तपोषण, छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए अवसंरचना को मजबूत करने और प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए अधिक निवेश, समावेशी कृषि मूल्य , एग्री डिजिटलीकरण, डिजिटल तकनीक आदि शामिल हैं।
इन दिनों खाद्यान्न संकट की चुनौतियों से संबंधित विभिन्न वैश्विक रिपोर्टों और वैश्विक सम्मेलन में भारत को मजबूत खाद्य सुरक्षा वाले देश के साथ-साथ खाद्यान्न संकट का सामना करने वाले देशों के लिए आदर्श मददगार के रूप में रेखांकित किया जा रहा है। हाल ही में हैदराबाद में आयोजित जी-20 कृषि मंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस समय जब दुनिया के सामने खाद्य सुरक्षा की चिंताएं उभरकर दिखाई दे रही हैं, तब भारत बैक टू बेसिक्स एंड मार्च टू फ्यूचर की नीति के साथ देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत बनाते हुए दुनिया की खाद्य सुरक्षा में भी मदद कर रहा है। इस सम्मेलन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि देश में कृषि-विविधता को बढ़ावा, कृषि क्षेत्र में प्रभावी नीतियों, डिजिटल कृषि आदि से किसानों को लाभ मिल रहा है और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है। ऐसे में निश्चित रूप से इस परिप्रेक्ष्य में पिछले दिनों 31 मई को भारत सरकार के द्वारा स्वीकृत सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण क्षमता बनाने की योजना भारत ही नहीं दुनिया की खाद्य सुरक्षा में भी मील का पत्थर साबित होगी।
यह कोई छोटी बात नहीं है कि विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष संहित दुनिया के विभिन्न सामाजिक सुरक्षा के वैश्विक संगठनों के द्वारा भारत की खाद्य सुरक्षा की जोरदार सराहना की जा रही है। भारत में जहाँ कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त अनाज दिया गया, वहीं इस वर्ष जनवरी 2023 से वर्षभर गरीबों की खाद्य सुरक्षा तथा आर्थिक सशक्तिकरण सुनिश्चित करने के लिए मुफ्त अनाज वितरित किया जा रहा है। वर्ष 2023 में वर्षभर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आने वाली देश की दो तिहाई आबादी को राशन प्रणाली के तहत मुफ्त में अनाज देने की यह पहल दुनिया भर में रेखांकित की जा रही है। निसंदेह एक ऐसे समय में जब दुनिया के कई देशों में खाद्यान्न की कमी बनी हुई है, तब भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी अहम भूमिका निभा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र की संस्था इंटरनेशनल फंड ऑफ एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट के मुताबिक पिछले साल 2022 में भारत ने गेहूं की भारी कमी झेल रहे दुनिया के 18 देशों को गेहूं भेजा है। भारत आज दुनिया में जहाँ चीन गेहूँ का सबसे बड़ा उत्पादक देश है, वहीं भारत गेहूँ का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है, रूस तीसरे नंबर पर है। भारत दुनिया का 9वाँ सबसे बड़ा खाद्यान्न निर्यातक देश भी है। देश में लगातार बढ़ता हुआ रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन भारत की खाद्य सुरक्षा को मजबूती प्रदान कर रहा है, साथ ही इसी आधार पर भारत से दुनिया की अपेक्षाएं भी लगातार बढ़ रही हैं। चालू कृषि वर्ष 2022-23 में 3305.34 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है। जो देश में अब तक रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन है। कृषि वर्ष 2022-23 में चावल का कुल उत्पादन (रिकॉर्ड) 1355.42 लाख टन होने का अनुमान है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 60.71 लाख टन अधिक है। देश में गेहूं का उत्पादन (रिकॉर्ड) 1127.43 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के उत्पादन की तुलना में 50.01 लाख टन अधिक है।
न्यूट्री/मोटे अनाज का उत्पादन 547.48 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के उत्पादन से 36.47 लाख टन अधिक है। 2022-23 के दौरान कुल दलहन उत्पादन 275.04 लाख टन अनुमानित है जो पिछले वर्ष के 273.02 लाख टन के उत्पादन से 2.02 लाख टन अधिक है। साथ ही इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष (इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर) 2023 जिस तरह उत्साहवर्द्धक रूप से आगे बढ़ रहा है तथा उत्पादन बढ़ाने के विशेष प्रयास हो रहे है, अधिक धन आबंटन तथा विशेष कार्ययोजनाएँ लागू की गई हैं, उनसे भी मोटा अनाज का उत्पादन छलांगे लगाकर बढ़ेगा और इन सबके कारण अधिक खाद्य सुरक्षा का विश्वास बढ़ेगा। गौरतलब है कि नई खाद्यान्न भंडार क्षमता योजना लगभग एक लाख करोड़ रुपये के खर्च के साथ शुरू होगी। इस समय देश का खाद्यान्न उत्पादन लगभग 3,100 लाख टन है, जबकि भंडारण क्षमता कुल उत्पादन का केवल 47 प्रतिशत ही है। यद्यपि भारत दुनिया का प्रमुख खाद्यान्न उत्पादक देश है, लेकिन खाद्यान्न भंडारण में बहुत पीछे है। अनाज के अन्य बड़े उत्पादक देशों चीन, अमेरिका, ब्राजील, यूक्रेन, रूस और अर्जेन्टीना के पास खाद्यान्न भंडारण क्षमता वार्षिक उत्पादन की मात्रा से कहीं अधिक है।
ऐसे में जब देश में खाद्यान्न उत्पादन रिकॉर्ड बना रहा है, तब खाद्यान्न भंडारण की अधिक क्षमता भी जरूरी है। यदि हम देश की आजादी के बाद से अब तक देश की खाद्यान्न भंडारण व्यवस्था और इसकी चुनौतियों का अध्ययन करें तो ऐसी कई रिपोर्टें दिखाई देती हैं, जो भंडारण की पर्याप्त सुविधा न होने कारण भारत में पिछले कई दशकों से खाद्यान्न की भारी बर्बादी के विवरण पेश करती हैं। भारत में किसान कड़ी मेहनत कर खाद्यान्न उगाते हैं लेकिन 12 से 14 फीसदी तक अन्न बर्बाद हो जाता है। ऐसे में देश में खाद्यान्न भंडारण की जो क्षमता फिलहाल 1450 लाख टन की है, उसे अगले 5 साल में सहकारी क्षेत्र में 700 लाख टन अनाज भंडारण की नई क्षमता विकसित करके कुल खाद्यान्न भंडारण क्षमता 2150 लाख टन किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य को पाने के लिए प्रत्येक प्रखंड में 2000 टन क्षमता का गोदाम स्थापित किया जाएगा। इस योजना के क्रियान्वयन में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स) अहम भूमिका होगी। देश में करीब एक लाख पैक्स हैं। पैक्स के स्तर पर भंडार गृह, प्रसंस्करण इकाई आदि कृषि व्यवस्थाएँ निर्मित करके पैक्स को बहुतउद्देशीय बनाया जाएगा ओर खाद्यान्न भंडारण में विविधता लाई जाएगी।
ऐसे में अब खाद्य सुरक्षा को और मजबूत बनाने में नई भंडारण क्षमता की भूमिका महत्वपूर्ण है, वहीं खाद्य सुरक्षा के लिए जिन कई और बातों पर भी ध्यान देना होगा, उनमें पोषण, सतत कृषि उत्पादन के लिए जलवायु अनुकूल प्रौद्योगिकियाँ, कृषि प्रणाली मॉडल पर केंद्रित जलवायु स्मार्ट दृष्टिकोण, हरित तथा जलवायु अनुकूल कृषि के लिए वित्तपोषण, छोटे और सीमांत किसानों, महिलाओं और युवाओं के लिए अवसंरचना को मजबूत करने और प्रौद्योगिकी साझा करने के लिए अधिक निवेश, समावेशी कृषि मूल्य श्रृंखलाएं कृषि बदलाव हेतु डिजिटलीकरण,कृषि-खाद्य क्षेत्र को बदलने के लिए नई डिजिटल तकनीकों का लाभ आदि। हम उम्मीद करें कि भारत में सरकार द्वारा सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी खाद्यान्न भंडारण क्षमता के निर्माण से जहाँ भारत में खाद्यान्न की बर्बादी कम होगी, वहीं भारत वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भी बड़ा मददगार होगा।
डॉ. जयंतीलाल भंडारी (लेखक ख्यात अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)
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