राष्ट्र के सर्वमान्य नायक थे अटल बिहारी वाजपेयी : नरेंद्र सिंह तोमर

राष्ट्र के सर्वमान्य नायक थे अटल बिहारी वाजपेयी : नरेंद्र सिंह तोमर
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अटल बिहारी ने प्रधानमंत्री रहते हुए भविष्य के भारत की एक ऐसी नीव रखी जिसमें गांव से लेकर शहर तक और किसान से लेकर जवान और विज्ञान तक का अद्भुत समन्वय था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी आधारभूत योजना जो आज ग्रामीण भारत की धमनियों के रूप में काम कर रही है से लेकर स्वर्णिम चतुर्भुज के माध्यम से देश को सड़क मार्ग से जोड़कर विकास की नई गति देना उनका ही दूरदर्शी कदम था।

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल राजनेताओं ने भारत की राजनीति को सामयिकता के आधार पर नई दिशा प्रदान करते हुए समग्र राष्ट्र में नई चेतना जगाई थी। स्वतंत्रता के बाद हमारे उद्देश्यों में परिवर्तन हुआ और अब हमारी प्राथमिकता सुशासन स्थाापित कर पारदर्शिता से राष्ट्र का समग्र विकास करना थी। भारत की स्वतंत्रोत्तर राजनीति के क्षितिज पर कई सितारे चमके, लेकिन इन सभी में अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे राजनेता थी जिनकी लोकप्रियता उत्तर से दक्षिण तक और पूरब से पश्चिम तक एक समान थी, वे पक्ष-विपक्ष की राजनीति से परे सर्वमान्य नायक थे। अटल बिहारी वाजपेयी को भारत की राजनीति में मूल्यों एवं आदर्शों की पुनर्स्थापना के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

वे वस्तुतः भारत की राजनीति में सेवा, सुशासन, गरीब कल्याण और पारदर्शिता के सिद्धांत को पुन: स्थापित करने वाले वे राष्ट्रनायक थे। स्वतंत्रता संग्राम में सहभागिता, आरएसएस के समर्पित स्वयंसेवक, आदर्श एवं सिद्धांतों के साथ राजनीति करने करने वाले राजनेता, निष्पक्ष कार्यशैली, और संवेदनशील कवि, ओजस्वी वक्ता, दूरदर्शी सोच जैसे अनेक गुणों के कारण ही विराट व्यक्तित्व के धनी थे। आज भाजपा की नीतियों और कार्यों में उन्हीं की वाणी की अनुगूंज सुनाई देती है। अटल राजनीति के ऐसे अजातशत्रु थे, जिन्होंने पक्ष-विपक्ष से उपर उठकर सम्भाव और सामंजस्य एक नई मिसाल बनाई थी। उनका ध्येय वाक्य ही था कि 'छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता'। वे विपक्षी दलों को भी साथ लेकर चलने की कला जानते थे। 1994 में संयुक्त राष्ट्र मानव अधिकार आयोग में पाकिस्तान द्वारा मानवाधिकार हनन के लगाए गए झूठे आरोपों का जवाब देने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी.नरसिम्हाराव द्वारा भेजे गए दल का प्रतिनिधित्व किया था। अटल तब विपक्ष के नेता थे और उन्होंने दलों की दहलीज से ऊपर राष्ट्र सर्वोपरि की भावना से भारत की ओर से सशक्त जवाब पेश किया था। पाकिस्तान ने बाद में अपना प्रस्ताव वापस ले लिया था और भारत की जीत हुई थी। वे राजनीति में सदैव शुचिता और सुशासन के पक्षधर रहे। उनका कहना था कि हमें सत्ता सुख भोगने के लिए नहीं मिली है, यह जनकल्याण और राष्ट्र के समग्र विकास की जिम्मेदारी का दायित्व है।

अटल बिहारी ने प्रधानमंत्री रहते हुए भविष्य के भारत की एक ऐसी नीव रखी जिसमें गांव से लेकर शहर तक और किसान से लेकर जवान और विज्ञान तक का अद्भुत समन्वय था। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना जैसी आधारभूत योजना जो आज ग्रामीण भारत की धमनियों के रूप में काम कर रही है से लेकर स्वर्णिम चतुर्भुज के माध्यम से देश को सड़क मार्ग से जोड़कर विकास की नई गति देना उनका ही दूरदर्शी कदम था। देश में कृषि सुधार की आधारशिला अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में ही रखी गई। उनके कार्यकाल में ही राष्ट्रीय किसान आयोग का गठन किया था। इस आयोग ने 2006 में अपनी रिपोर्ट पेश की लेकिन यूपीए की तत्कालीन सरकार ने उस रिपोर्ट पर कोई कदम नहीं उठाया और 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यभार ग्रहण करने के बाद राष्ट्रीय कृषि आयोग की अनुशंसाओं को लागू करना प्रारंभ किया गया। अटल के कार्यकाल में किसानों को क्रेडिट कार्ड देने की सुविधा शुरू हुई। उनके ही कार्यकाल में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 19.6 प्रतिशत बढ़ाकर एक नया इतिहास रचा गया था। किसानों को आपदा में फसल खराब होने पर राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना भी अटल की ही पहल थी।

आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में शुचिता, सुशासन और गरीब कल्याण का एक नया अध्याय भारत के इतिहास में लिखा जा रहा है जिसकी भूमिका अटल बिहारी ने लिखी थी। प्रधानमंत्री आवास योजना, आयुष्मान भारत, हर घर नल जल, उज्ज्वला योजना जैसे सैकड़ों कदम हैं जो गरीब कल्याण की दिशा में अटलजी की ही बताई हुई राह में सरकार द्वारा उठाए गए हैं। अटल कृषि क्षेत्र में सुधारों के अनुरूप ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किसानों को सशक्त करने के लिए कृषि अवसंरचना कोष, प्रधानमंत्री फसल बीमा, कृषक उत्पादक संगठन, पीएम किसान सम्मान निधि, उत्पादन के साथ के साथ फसल विविधिकरण पर जोर उसी दिशा में उठाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं। स्वतंत्रता का अमृत काल प्रारंभ हो चुका है। प्रधानमंत्री ने आगामी 25 वर्ष में भारत को वैभव के उस शिखर पर पहुंचाने का संकल्प लिया है जहां से भारत का आलोक संपूर्ण विश्व में पहुंचे। हम सभी इस संकल्प की सिद्धि के लिए कृत संकल्पित एवं दृढ़ निश्चयी हैं। दो वर्ष बाद जब हम अटल बिहारी वाजेपयी का जन्म शताब्दी वर्ष मनाएंगे तो तो हमें उसके पहले सुशासन, सेवा और गरीब कल्याण की दिशा में वे आयाम स्थापित करना आवश्यक होंगे जिनका सूत्रपात स्वयं अटल बिहारी वाजपेयी ने किया था।

(लेखक : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर)

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