पैरालंपिक की ऐतिहासिक सफलता पर देश को गर्व

Haribhoomi Editorial : भारतीय पैरालंपिक खिलाड़ियों ने आखिरी दिन एक स्वर्ण व एक रजत पदक हासिल कर अपने टोक्यो अभियान का सफल समापन किया है। टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने कुल 19 पदक जीत कर नए रिकार्ड के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। इनमें पांच स्वर्ण, आठ रजत और छह कांस्य पदक हैं। निशानेबाजी और बैडमिंटन में दो दो स्वर्ण जबकि एथलेटिक्स में एक स्वर्ण पदक शामिल रहा। पदक तालिका में भारत 24 वें स्थान पर रहा। भारत ने पिछले रियो चरण में केवल चार पदक जीते थे। भारत ने 1972 में पहली बार पैरालंपिक में हिस्सा लिया था, उसके बाद से पिछले चरण तक भारत की झोली में कुल मिलाकर 12 ही पदक थे। इस लिहाज से टोक्यो पैरालंपिक में भारत ने एतिहासिक कीर्तिमान रचा है। टोक्यो पहुंचे 54 पैरा खिलाड़ियों में से 17 ने पदक जीते। ओलंपिक से तुलना की जाय तो पैरालंपिक की पदकीय सफलता कई गुणा अधिक है।
टोक्यो ओलंपिक में भारत ने 7 पदक जीते थे। एक स्वर्ण, दो रजत व चार कांस्य पदक। इसमें कोई शक नहीं कि ओलंपिक में भी भारत ने टोक्यो में शानदार प्रदर्शन किया है, लेकिन पैरालंपिक में पैरा खिलाड़ियों का उत्कृष्ट प्रदर्शन दिव्यांगों के प्रति सोच को बदलने वाला है। कम संसाधन व समर्थन के बावजूद पैरा खिलाड़ियों की सफलता की जितनी भी तारीफ की जाय कम है। समूचा देश अपने दिव्यांग खिलाड़ियों पर गर्व कर रहा है। राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ खेल जगत ने पैरालंपिक में खिलाड़ियों की सफलता को सराहा है। इससे उनका हौसलाअफजाई होगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कृष्णा नागर और सुहास यथिराज को बधाई देते हुए कहा- 'पैरालंपिक खिलाड़ियों की उपलब्धि असाधारण है, जो प्रत्येक भारतीय के चेहरे पर मुस्कान लेकर आई है।' प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, 'भारतीय खेलों के इतिहास में टोक्यो पैरालंपिक का हमेशा विशेष स्थान रहेगा। प्रत्येक भारतीय की स्मृति में ये खेल अंकित रहेंगे और खेलों के प्रति जुनून के लिए खिलाड़ियों की पीढ़ियों को प्रोत्साहित करते रहेंगे। इस दल का प्रत्येक सदस्य विजेता है और प्रेरणास्रोत है।' खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने भी कहा, 'भारतीय पैरा खिलाड़ियों का अभूतपूर्व उदय। एक नये युग की शुरूआत हुई है।' पैरालंपिक खिलाड़ियों ने चैंपियन की तरह खेला और दिखा दिया कि कठिन परिस्थितियों से संघर्ष करके किस तरह इतिहास रचे जाते हैं।
भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) की अध्यक्ष दीपा मलिक ने कहा-'आने वाले वर्षों में पैरा खिलाड़ियों की प्रतिभा पहचान करने के लिए युवा कार्यक्रम पर अधिक जोर देने के लिए यह सफलता हमें प्रोत्साहित करेगी। पीसीआई महत्वपूर्ण क्वालीफाइंग अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का चयन करने जा रही है और बहरीन में होने वाला आगामी युवा एशियाई पैरा खेल उनमें से एक है। पीसीआई अंडर -20, युवा खिलाड़ियों के साथ काम करना शुरू करेगी।'
दरअसल, प्रतिभाओं खोज के लिए जूनियर पैरा प्रतियोगिताओं का अधिक से अधिक आयोजन किया जाना जरूरी है। अगली पीढ़ी को आगे के पैरालंपिक के लिए तैयार करने को उन्हें मंच देना होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उन्हें चिकित्सकीय रूप से वर्गीकृत करने के लिए अधिक से अधिक मौका देना होगा। पीसीआई को एक महासंघ के रूप में नई प्रतिभाओं को बनाने, पहचानने और उन्हें अवसर उपलब्ध कराने का काम करना होगा। पैरालंपिक की तैयारी और सुविधा के मामले में विदेशों के मुकाबले भारत अभी भी बहुत पीछे है। इस दिशा में भारत को तेजी से काम करना होगा।
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