Dr. Kanhaiya त्रिपाठी का लेख : मिसाल बन गई मन की बात

Dr. Kanhaiya त्रिपाठी का लेख : मिसाल बन गई मन की बात
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मन की बात की सबसे अधिक विशेष बात यह है कि यह प्रभाव डाल रही है। अच्छे नागरिक का निर्माण करती मन की बात की यद्यपि समय-समय पर विपक्ष की आलोचना की शिकार रही लेकिन इसके 100 एपीसोड आते-आते सबके भीतर अपने किए गए विरोध पर पछतावा भी हो रहा है

मन की बात की सबसे अधिक विशेष बात यह है कि यह प्रभाव डाल रही है। अच्छे नागरिक का निर्माण करती मन की बात की यद्यपि समय-समय पर विपक्ष (Opposition) की आलोचना की शिकार रही लेकिन इसके 100 एपीसोड आते-आते सबके भीतर अपने किए गए विरोध पर पछतावा भी हो रहा है। सकारात्मकता की बातें यदि होती रहें, सबके उत्थान की बातें यदि होती रहें, सभी सबके सहयोग के लिए तत्पर हो जाएं तो भारत (India) की तस्वीर बदलेगी ही और देश का स्वरूप सबके लिए आशा की रोशनी बन जाएगा, इससे यह सिद्ध हुआ है। प्रधानमंत्री ने शुरुआती दिनों में ऐसा शायद न सोचा हो कि मन की बात का करिश्मा एक दिन भारत में मिसाल बनेगा।

भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 3 अक्टूबर, 2014 विजयदशमी के दिन मन की बात कार्यक्रम रेडियो (Radio) पर शुरू किया और यह शीलशिला अब पहुंच गया अपने 100वें पड़ाव पर। यह सबसे खूबसूरत बात है कि हिंदुस्तान का नागरिक अपने अतीत से सीखता है, वर्तमान को संवरता है और भविष्य को भी बहुत ही आशावादी दृष्टि से देखता है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने बहुत ही गंभीरता से इसका आंकलन किया है कि भारत के लोगों की आशाओं को और कैसे बढ़ाकर हम उन्हें राष्ट्र निर्माण में संलग्न कर सकते हैं। उन्होंने मन की बात की शुरुआत की और सतत आशावादी, अराजनीतिक और परिवर्तनकारी भारत निर्माण के लिए भारत के लोगों की ही उपलब्धियों को इसमें शामिल करके भारतीय मानस को बदलने की कोशिश की। अब जबकि मन की बात अपने 99 एपीसोड से सबका दिल जीत चुकी है तो प्रधानमंत्री ने अपने 99वें कड़ी में कुछ भावुक करने वाली बातें की जिसका असर यह हुआ कि देश के अनेक भागों से अंगदान देने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई।

स्वच्छ-भारत,एक भारत-श्रेष्ठ भारत, परीक्षा पे चर्चा, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, फिट इंडिया,बेटी बचाओ-बेटी पढाओ, स्वस्थ भारत, कोविड सुरक्षा के अंतर्गत- कोविड वरियर, नर्सों और पुलिस के सहयोग, महामारी के समय एकजुटता आदि के साथ, योग, गीत, संगीत,म्यूजिक इन्स्ट्रुमेंट से दोस्ती, किताब के प्रति प्रेम,स्थानीय कलाओं और देसज कारीगरों को पहचान और ब्रांड की कीमत, ऐसे अनेक विषय हैं जिस पर प्रधान मंत्री ने अब तक के अपने 99 एपिसोड में परिचर्चा की। हर घर तिरंगा, खेलो इंडिया हो या भारतीय सेना के जवानों को सम्मान देने की बात, इस पर उन्होंने हमेशा बल दिया। अमृत महोत्सव के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह कोशिश की कि वे अपने अमर शहीदों के लिए सम्मान प्रकट करें।

बाबू सुभाष चन्द्र बोस, भगत सिंह, सरदार पटेल, गुरू गोविंद सिंह, भगवान बिरसा मुंडा जैसे नायकों को मन की बात में भरपूर सम्मान मिला और वे जन-जन की जुबान पर अपनी शान के साथ स्मरण किए गए। बच्चों को खासकर किशोर लेखकों को अपने जन-नायकों, आज़ादी के नायकों के बारे में जानने के लिए उन्होंने आह्वान किया और साथ ही यह संदेश दिया कि वे उनके बारे में ज्यादा से ज्यादा पढ़ें, लिखें और उन युवाओं के लिए प्रेरणा के स्रोत बनें जो अपने जीवन में सर्जनात्मक कार्य करके अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहते हैं। मन की बात में यह सारी बातें आयीं। सेवा के भाव जगे। सहयोग की भावना जागी। निष्ठा और समर्पण की भावना जागृत हुई। मन की बात का यह असर है और असर केवल इतना ही नहीं है, वह मन की गहराइयों में अब घर कर गई है।

प्रसार भारती का ऑल इंडिया रेडियो अपने सुदृढ़ माध्यम के रूप में देश में कार्य कर रहा है। इसको श्रोता कम हो चुके थे किन्तु रेडियो ने अपनी रचनात्मकता नहीं छोड़ी। अब भी इसके 262 केंद्र चल रहे हैं। इसके सभी कार्यक्रम 23 भाषाओं और 146 डाइलेक्ट्स में प्रसारित होते हैं। सूचना और संचार की यह अद्भुत क्रांति का समय है तो रेडियो 11 विदेशी भाषाओं में भी अपना प्रसारण करता है। सबसे श्रेष्ठ बात यह है कि मन की बात रेडियो का सबसे पॉपुलर कार्यक्रम है जिसका पहला एपीसोड 14 मिनट का प्रसारित हुआ था दूसरा 19 मिनट का हुआ और तीसरा 26 मिनट का प्रसारित हुआ। अब यह कार्यक्रम भारत की भाषाओं के साथ 19 डाइलेक्ट्स में सुनायी जाती है।

एक सर्वे के अनुसार यह पता चला है कि 100 करोड़ भारतीयों ने मन की बात सुना है और करोड़ों इसके नियमित श्रोता हैं जो इसको सुनते हैं और लोगों को इसके विषय में चर्चा करते हैं। किसान हों, आदिवासी हों, युवा, स्त्री, वृद्ध, बच्चे, दिव्यागजन हो, सब सुनते हैं। इस उद्यम से एक बात सामने आई है कि सार्वजनिक जीवन में प्रधानमंत्री ने जन-जन के मन के भीतर स्वीकार्यता बनाई है, और अब भारतीय उन पर पूर्ण भरोसा करते हैं। विदेशों में भी,मन की बात कार्यक्रम अब अर्जेंटीना, मंगोलिया, ऑस्ट्रेलिया, माली, ग्रीस, ओमान, गुयाना,खाढ़ी के देश और जापान जैसे देशों में सुनी जा रही है। यह आधे घंटे का कार्यक्रम हर माह के अंतिम रविवार को सुना जाता है। अहम बात यह है कि इसको विदेशों में जो भारतीय हैं, वे बहुत ही तल्लीनता से सुन रहे हैं। यह हर भारतीय के लिए गौरव की बात है।

मन की बात की सबसे अधिक विशेष बात यह है कि यह वैयक्तिक प्रभाव डाल रही है और मन की बात से लोग प्रेरणा,आत्मविश्वासपा रहे हैं। अच्छे नागरिक का निर्माण करती मन की बात की यद्यपि समय-समय पर विपक्ष ने आलोचना की शिकार रही लेकिन इसके 100 एपीसोड आते-आते सबके भीतर अपने किए गए विरोध पर पछतावा भी हो रहा है। सकारात्मकता की बातें यदि होती रहें, सबके उत्थान की बातें यदि होती रहें, सभी सबके सहयोग के लिए तत्पर हो जाएं तो भारत की तस्वीर बदलेगी ही और देश का स्वरूप सबके लिए आशा की रोशनी बन जाएगा, इससे यह सिद्ध हुआ है। प्रधानमंत्री ने शुरुआती दिनों में ऐसा शायद न सोचा हो कि मन की बात का करिश्मा एक दिन भारत में मिसाल बनेगी, किन्तु ऐसा हुआ है।

यदि देश में यह रेडियो संवाद का कार्यक्रम अपने मूल स्वरूप के साथ आगे बढ़ा तो निश्चय ही मन की बात का प्रभाव कुछ हटकर होगा जो भारत निर्माण में सहयोगी साबित होने वाला है। सबके मनोभावों को सम्मान देने के साथ सबकी गरिमा के अनुरूप भारत निर्मित करने की यह कोशिश निश्चय ही प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को वे सारी उपलब्धियां हासिल करने में मददगार साबित होने वाली हैं जिससे भारत दुनिया में अपनी आत्मनिर्भरता के साथ खड़ा मिलेगा और इसकी इज्जत भी उसी अनुपात में बढ़ी हुई मिलेगी। मन की बात की निरंतरता प्रधानमंत्री के आत्मा की निरंतरता है और उस आत्मा की शक्ति है भारत की आत्मशक्ति।

भारत की बदली हुई छवि प्रत्येक भारतीय का स्वप्न है। मन की बात के माध्यम से निश्चय ही उस स्वप्न को साकार करने की कोशिश प्रधानमंत्री ने की है और आने वाले समय में वे इसे और भी सजगता, सहजता और गंभीरता से भारतीय जनता के भीतर ले जाएंगे और भारत का भविष्य निर्मित करने का यत्न करेंगे क्योंकि यह तो भारत को गढ़ने की ही एक अनोखी पहल है। आने वाले अच्छे समय के स्वागत में हमें उन सवालों से जूझते हुए अच्छे मार्ग प्रशस्त करने हैं जो आज सबके लिए चुनौती हैं। प्रधानमंत्री तो मन की बात से कोशिश कर रहे हैं पर दुनिया के सभी लोगों की भागीदारी निश्चय ही इसमें सहायक बनने वाली है, पर इसके लिए सबके संकल्प की शक्ति एक होने की आवश्यकता है।



( डॉ. कन्हैया त्रिपाठी, ये लेखक के अपने विचार हैं।)



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