खेती में ड्रोन का बढ़ता दखल...

खेती-किसानी में इन दिनों ड्रोन का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। बहुत ही कम समय में यह किसानों की जरूरत बन गया है। दो साल से भी कम समय के अंदर करीब एक हजार से ज्यादा ड्रोन देशभर के खेतों में किसानों का कामकाज कर रहे हैं। मुख्य रूप से फसलों पर कीटनाशक दवाओं एवं खाद के छिड़काव के साथ फसल के स्वास्थ्य की जांच के लिए भी ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खेती में ड्रोन के इस्तेमाल को सार्थक पहल मानते हुए इसके प्रयोग को अंतरिम औपचारिक मंजूरी दे दी है। असल में, यह देखा जा रहा है कि ड्रोन का उपयोग करने वाले कीटनाशकों के प्रयोग से न केवल किसानों के लिए कीट-पतंगों से प्रभावी तरीके से पौधों की रक्षा करना आसान हो गया है बल्कि कम लागत के साथ उनकी आय में भी इजाफा हो रहा है।
आमतौर पर एक किसान 150 लीटर से ऊपर कीटनाशक दवाओं का छिड़काव 2 से ढाई घंटे में कर पाता था, मगर अब केवल 10 लीटर वाले टैंक के ड्रोन से मात्र 7 मिनट में एक एकड़ भूमि में छिड़काव हो जाता है। अच्छी बात यह है कि छिड़काव करने के दौरान किसानों को स्वास्थ्य का खतरा भी नहीं रहता। चूंकि किसान आमतौर पर मैन्युअली खेतों में कीटनाशक या खाद का छिड़काव करते रहे हैं, इस वजह से खेतों के कुछ हिस्से या तो छूट जाते हैं या फिर लगी हुई फसल उनकी चहलकदमी के चलते दबकर नष्ट हो जाती हैं। मगर जब ड्रोन से यह छिड़काव होता है तो कोई भी जगह छूट जाने की गुंजाइश बेहद कम हो जाती है। कृषि विशेषज्ञों की राय में ड्रोन से छिड़काव से खेतों में पैदावार भी 15 से 20 फीसदी बढ़ रही है।
केंद्र सरकार ने किसानों को ड्रोन से फायदा पहुंचाने के लिए यह कारगर कदम उठाया है जो उनके लिए किसी वरदान से कम नहीं है। हाल ही में इस उन्नत तकनीक की जानकारी देने के लिए हरियाणा के गन्नौर में एक किसान सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें स्थानीय सांसद, विधायक, जिला कृषि अधिकारी, हरियाणा और चंडीगढ़ कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, विशेषज्ञ और कृषि वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया। किसान सम्मेलन में पहुंचे किसानों को ड्रोन की गुणवत्ता और उससे संभावित लाभ के बारे में विस्तार से बताया गया। उनके बीच ड्रोन के इस्तेमाल के प्रति जागरूकता अभियान चलाया गया। यह एक प्रकार का रोबोट है जो पायलट की मदद से खेतों में जल्द और आसानी से छिड़काव कर सकता है। यह कीटनाशकों का छिड़काव ही नहीं बल्कि बीजों के छिड़काव के साथ आपके फसलों की निगरानी भी कर सकता है। सरकार किसानों या आम लोगों को ड्रोन चलाने का प्रशिक्षण देने का भी काम कर रही है। खासकर युवाओं को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर पैदा करना भी सरकार का उद्देश्य है। इसके लिए मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा एवं अन्य राज्यों के साथ मिलकर पायलट प्रशिक्षण योजना चलाई जा रही है। कुछ जगहों पर तो इस दिशा में कृषि विकास केंद्र के साथ भी मिलकर कार्य भी शुरू हो चुके हैं।
महत्वपूर्ण बात यह है कि ड्रोन खरीदने के लिए अब किसानों को सब्सिडी मिल रही है। हालांकि एक ड्रोन की कीमत करीब 7 से 10 लाख तक आती है, जिसके लिए हरियाणा सरकार ने करनाल में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की मदद से ऋण की सुविधा की शुरुआत कर दी है। गौरतलब है कि डिजिटल इंडिया मिशन के तहत किसानों को कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर तकनीकी विकास को लेकर कार्य कर रही है। शुरुआत में इसकी खरीद पर 40 से 100 प्रतिशत की सब्सिडी का प्रावधान बनाया गया है। वहीं नागर विमानन निदेशालय ने कुछ ही माह पहले किसान ड्रोन के लिए एक मुक्त नीति लागू करने की घोषणा भी की है। इसमें कार या मोटरसाइकिल की तरह इसकी खरीद पर आपको सिर्फ रजिस्ट्रेशन कराना होता है। इसे कोई भी अधिकृत ड्रोन पायलट आसानी से खेतों में उड़ा सकता है। वहीं ड्रोन से गांव में खेती के प्रचलन को देखते हुए आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन ने एक मोटरसाइकिल ड्रोन तैयार किया है, जिसे मोटरसाइकिल पर रखकर आसानी से आप खेतों में ले जा सकते हैं। इसके लिए मोटरसाइकिल पर उक्त कंपनी ने एक बॉक्स डिजाइन किया। जिस प्रकार अब ट्रैक्टर से किसानों के लिए खेतों की जुताई आसान हो गई है, उसी प्रकार ड्रोन से कीटनाशक दवाओं और खाद-बीज का छिड़काव आदि भी आसान होने लगा है। पूरे देश में धीरे-धीरे ड्रोन से खेती की ओर किसानों का झुकाव दिख रहा है। आने वाले दिनों में इसमें और भी इजाफा होने की संभावना है। अहम बात यह है कि मोटरसाइकिल पर भी ड्रोन को सुदूर खेतों में पहुंचाना अब आसान हो गया है। इस मॉडल को किसानों के बीच लाने पर खेती-किसानी के लिए यह ड्रोन बहुत ही उपयोगी साबित होगा। इस ड्रोन को ट्रैक्टर की तरह किसान खरीद रहे हैं और कई जगहों पर इस्तेमाल के लिए वह किराए पर भी दे रहे हैं। किराए पर देकर किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए कई लोगों ने इसे खरीदना भी शुरू कर दिया है।
देश में सबसे पहले डीजीसीए द्वारा टाइप सर्टिफिकेट से नवाजी गई कंपनी आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन के मुताबिक केंद्र सरकार की घोषणाओं के बाद ड्रोन की खरीदारी में तेजी आई है। ड्रोन ने ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 6 लाख ड्रोन देने का लक्ष्य रखा है। मतलब साफ है कि ड्रोन के उपयोग पर सरकार बेहद गंभीर है। यही कारण है कि बजट में भी इसके लिए एक उचित राशि सुनिश्चित की है। सनद रहे कि देश के कृषि क्षेत्र का आधुनिकीकरण मोदी सरकार के एजेंडे में है। सरकार की मानें तो 2030 तक भारत को ड्रोन का बनाना है। कृषि क्षेत्र में कार्य करने वाली धानुका और इफको जैसी कंपनी ड्रोन क्रांति के लिए प्रोत्साहन दे रही हैं और कई मामलों में तो आगे बढ़कर आर्थिक मदद देने का काम भी किया है। आने वाले दिनों में ऐतिहासिक बदलाव के संकेत दिखाई देते हैं। बेहद गौर करने वाली बात है कि आजकल कृषि कार्य के लिए मजदूर जब कम होने लगे हैं, तब किसान ड्रोन का महत्व और बढ़ जाता है।
इससे हम कृषि क्षेत्र के बड़े विकास की उम्मीद करते हैं। ड्रोन का इस्तेमाल कृषि क्षेत्रों में काफी तेजी से बढ़ रहा है और पहले की अपेक्षा किसानों को अधिक उपज की प्राप्ति भी हो रही है। समय की बचत हो रही है। केंद्र सरकार ने ड्रोन खरीदने के मद्देनजर एक मुक्त नीति लागू करने की घोषणा की है, वहीं इसकी खरीद पर बैंकों द्वारा सब्सिडी भी दी जा रही है। इसके अलावा ड्रोन सेवा के जरिए इस प्रकार खेती की लागत कम होने और उपज बढ़ाने की उम्मीद की जा रही है। मुख्य रूप से फसलों पर दवाओं का स्प्रे बीज की बुवाई एवं फसलों की जांच के लिए ड्रोन का इस्तेमाल महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
(ये लेखक सुशील देव के अपने विचार हैं।)
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