डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : व्यापार घाटे से बढ़ीं आर्थिक मुश्किलें

डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख :  व्यापार घाटे से बढ़ीं आर्थिक मुश्किलें
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कच्चा तेल और खाद्य तेल भारत की सबसे प्रमुख आयात मदें हैं। जहाँ भारत के द्वारा कच्चे तेल की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है। वहीं खाद्य तेल की कुल जरूरतों का करीब 65 फीसदी आयात किया जाता है। ऐसे में इन दोनों सबसे बड़ी आयात मदों और चीन से बढ़ते आयातों ने भारत के व्यापार घाटे को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। निश्चित रूप से व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए कच्चे तेल के सस्ते स्रोत तलाशने होंगे, खाद्य तेल उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होग और चीन से आयात कम करना होगा। हम उम्मीद करें कि भारत घरेलू उत्पाद बढ़ाने की नई रणनीति से आयात कम करने और निर्यात बढ़ाने के अभियान को सफल बनाकर व्यापार घाटे में कमी लाएगाा।

भारत क्वाड जैसे ग्लोबल फोरम का सही मायनों में तभी फायदा ले पाएगा, जब वह इसके लिए पूरी तरह से होमवर्क कर रखा हो। क्वाड को केवल टैक्टिकल समूह से बाहर निकाल कर जब भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इसे प्लान्ड स्ट्रेटेजिक फोरम बनाएंगे, तभी सदस्य देश अपने परस्पर हित साध सकेंगे। आज भारत को सबसे अधिक किफायती ऊर्जा की जरूरत है। भारत अगर अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए क्वाड जैसे मंच का लाभ उठा सके तो यह सोने पे सुहागा होगा। जापान की राजधानी टोक्यों में हो रही क्वाड की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आत्मविश्वास से लबरेज लग रहे हैं, लेकिन भारत का बढ़ता व्यापार घाटा अर्थव्यवस्था और विदेशी मुद्रा भंडार के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। फौरी तौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कच्चे तेल और खाद्य तेलों के वैश्विक दामों में भारी इजाफे के कारण भारत के विदेश व्यापार घाटे में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन भारत को जल्द से जल्द सस्ते कच्चे तेल के वैकल्पिक स्रोतों का इंतजाम कर लेना चाहिए, वरना सुरसा की भांति बढ़ता व्यापार घाटा देश की आर्थिक तथा वित्तीय मुश्किलें बढ़स सकती हैं।

ज्ञातव्य है कि कच्चा तेल और खाद्य तेल भारत की सबसे प्रमुख आयात मदें हैं। जहाँ भारत के द्वारा कच्चे तेल की कुल जरूरतों का करीब 85 फीसदी हिस्सा आयात किया जाता है। वहीं खाद्य तेल की कुल जरूरतों का करीब 65 फीसदी आयात किया जाता है। ऐसे में इन दोनों सबसे बड़ी आयात मदों और चीन से बढ़ते आयातों ने भारत के व्यापार घाटे को चुनौतीपूर्ण बना दिया है। हाल ही में वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी विदेश व्यापार के आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2022-23 के पहले माह अप्रैल में जहाँ देश का आयात 26.6 फीसदी बढ़कर 58.3 अरब डॉलर रहा, वहीं निर्यात 24.2 फीसदी बढ़कर 38.2 अरब डॉलर रहा। परिणामस्वरूप चालू वित्तीय वर्ष के पहले माह में ही व्यापार घाटा 20.1 अरब डॉलर की चिंताजनक ऊँचाई पर पहुँच गया। पिछले वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान देश का व्यापार घाटा बढ़कर 192 अरब डॉलर रहा है। हाल ही में प्रकाशित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की रिपोर्ट में यूक्रेन संकट के कारण चालू वित्तीय वर्ष 2022-23 में दुनिया में व्यापार घाटा बढ़ने के मद्देनजर वैश्विक व्यापार वृद्धि पूर्व निर्धारित 4.7 फीसदी से घटकर 3 फीसदी रहने की बात कही गई है। भारत में भी व्यापार घाटा तेजी से बढ़ने की आशंका है। ऐसे में भारत निर्यात बढ़ाने और आयात घटाने तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुकूल संभावनाओं को रणनीतिक रूप से मुठ्ठियों में लेकर बढ़ते हुए व्यापार घाटे को नियंत्रित कर सकता है।

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 11 मई को वाणिज्य विभाग के द्वारा आयात में हो रही लगातार वृद्धि के मद्देनजर आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के तरीकों के संबंध में विभिन्न उद्योगों के प्रतिनिधियों के साथ विशेष बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में ऐसे प्राथमिकता वाले उत्पादों की पहचान की गई है, जिनके आयात में पिछले कुछ महीनों में तेज इजाफा हुआ है। इन उत्पादों में प्रमुखतया विद्युत उपकरण, धातुएं, रसायन, पेट्रोलियम उत्पाद, कीमती और अर्ध-कीमती रत्न, बैटरी, प्लास्टिक कृषि उत्पाद और वस्त्र शामिल हैं। ये ऐसे उत्पाद हैं जिनके उत्पादन को बढ़ावा देकर आयात में कमी की जा सकती है और निर्यात में वृद्धि की जा सकती है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक पिछले तीन वर्षों में भारत ने वैश्विक स्तर पर दुनिया के जरूरतमंद देशों की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने में अहम भूमिका निभाई है और दुनियाभर में कृषि उत्पादों की निर्यात मांग को पूरा करने का अवसर भी मुठ्ठियों में लेते हुए वर्ष 2021-22 में करीब 50 अरब डॉलर मूल्य के रिकॉर्ड कृषि निर्यात किए गए हैं। अब चालू वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि निर्यात में और वृद्धि करने के रणनीतिक कदम आगे बढ़ाए जाएंगे।

निश्चित रूप से व्यापार घाटे में कमी लाने के लिए चीन से व्यापार घाटा कम करना होगा। इस ओर भी ध्यान दिया जाना होगा कि देश में अभी भी कई उद्योग बहुत कुछ चीन से आयातित कच्चे माल पर आधारित हैं। चीन के कच्चे माल का विकल्प तैयार करने के लिए पिछले डेढ़ वर्ष में केंद्र ने प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेटिव (पीएलआई) स्कीम के तहत 13 उद्योगों को करीब दो लाख करोड़ रुपए आवंटन के साथ प्रोत्साहन सुनिश्चित किए हैं, उनके पूर्ण उपयोग पर रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा। इस समय जब देश अमृत महोत्सव मना रहा है, तब मोदी सरकार स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता का आह्वान कर रही है। इस ओर भी ध्यान देना होगा कि देश बढ़ते हुए व्यापार घाटे को कम करने के लिए नए चिन्हित देशों में उत्पाद निर्यात बढ़ाने के साथ-साथ सेवा निर्यात भी तेजी से बढ़ाए जाएं। यद्यपि सेवा निर्यात वर्ष 2021-22 में 250 अरब डॉलर से अधिक के स्तर को पार कर गया है, जिसमें पूर्ववर्ती साल के मुकाबले 20 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, लेकिन चालू वित्त वर्ष में सेवा निर्यात में रणनीतिक प्रयासों से 40 प्रतिशत तक की तेज वृद्धि की संभावनाओं को हस्तगत किया जाना होगा। यूएई और ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) से इन दोनों में निर्यात बढ़ाने होंगे। बिम्सटेक देशों के साथ-साथ दुनिया के विभिन्न देशों में भी निर्यात बढ़ाने की संभावनाओं को मुठ्ठियों में करना होगा। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) को आकर्षित करने के प्रयास करने होंगे।

चूँकि कच्चे तेल की तेजी से बढ़ी कीमतों से महंगाई और व्यापार घाटा बढ़ रहा है, अतएव अब कच्चे तेल के विकल्पों व एथनॉल मिश्रण पर ध्यान देना होगा। 18 मई को केंद्रीय कैबिनेट ने बायोफ्यूल राष्ट्रीय नीति-2018 में संशोधन को मंजूरी दे दी। पेट्रोल में 20 फीसदी एथेनॉल मिलाने का लक्ष्य 2030 से 5 साल पहले यानी 2025-26 तक हासिल किया जाएगा। देश में इलेक्टि्क वाहनों को आगे बढ़ना होगा। ई-वाहनों को भविष्य का बेहतर विकल्प बनाना होगा। इलेक्ट्रिक कार और ई-वाहनों की स्वीकार्यता बढ़ने से कच्चे तेल के आयात में कमी लाई जा सकती है। चूँकि खाद्य तेल भी देश के आयात बिल की प्रमुख मद है, अतएव केंद्र सरकार के द्वारा खाद्य तेलों के उत्पादन के लिए रणनीतिक रूप से आगे बढ़ना होगा। हम उम्मीद करें कि इस समय जब रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण दुनिया में वैश्विक मंदी का परिदृश्य उभर रहा हैं तब भारत आयात-निर्यात से संबंधित गुणवत्तापूर्ण घरेलू उत्पाद बढ़ाने की नई रणनीति से देश के आयात कम करने और देश से निर्यात बढ़ाने के अभियान को सफल बनाकर व्यापार घाटे में कमी लाते हुए दिखाई दे सकेगा और इससे महंगाई सहित विभिन्न आर्थिक-वित्तीय मुश्किलों में कमी आ सकेगी।

(लेखक वरिष्ठ अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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