शंभू भद्रा का लेख : चुनावी गणित के साथ अर्थशास्त्र भी

अमृतकाल के अपने पहले बजट में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने वित्तमंत्रीय कौशल का बखूबी पालन किया है। अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले अपने पूर्ण बजट में राजकोष का ख्याल भी रखा है, सबको साधने की काेशिश भी की है और प्रदेश को विकास के अगले चरण में ले जाने का खाका भी पेश किया है। राज्य की बदलती जरूरतों के मुताबिक, जहां बजट में कौशल शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया, तो स्वास्थ्य क्षेत्र में होलिस्टिक एप्रोच को प्राथमिकता दी है। इस मनोहरी बजट में समावेशी विकास की अवधारणा को समाहित किया गया है। वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में हरियाणा के विकास के लिए ‘वज्र मॉडल’ को अपनाया गया था, जिसमें विकास के पांच घटकों पर ध्यान केंद्रित किया गया था। कौटिल्य अर्थशास्त्र की इस नीति को मनोहर सरकार ने अपना आधार बनाया और नया बजट भी इसी पर आधारित है। वित्त मंत्री के रूप में मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपने चौथे बजट में कृषि, उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, परिवहन, खेल, शहरी व ग्रामीण इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ सोशल वेलफेयर पर खास फोकस किया है। इस बजट में मिशन 2024 चुनाव का गणित भी है और सूबे के विकास का अर्थशास्त्र भी है। इस स्मार्ट बजट में हाईटेक सोसायटी निर्माण के बीज भी हैं और समाज के निचले पायदान पर खड़े नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाने का सूत्र भी है। इसमें वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान प्रदेश के आर्थिक-सामाजिक-सांस्कृतिक विकास की योजनाएं हैं, अगले दो से तीन साल में प्रदेश के ग्रोथ का रोडमैप है और आजादी के अम़तकाल की आकांक्षा के अनुरूप दीर्घकालीन विकास का मॉडल भी है। हरियाणा का यह बजट सर्वे भवन्तु सुखिनः की भावना से ओतप्रोत है। इस बजट में अंतिम कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक के उत्थान का संकल्प है। यह प्रदेश के इतिहास का आज तक का सबसे बड़ा बजट है।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 1 लाख, 83 हजार, 9 सौ 50 करोड़ रुपये का बजट पेश किया गया है, जो पिछले बजट से 11.6 फीसदी ज्यादा है। वित्त वर्ष 2022-23 में संशोधित 1 लाख, 64 हजार, आठ सौ आठ करोड़ रुपये का बजट था। बजट में राजकोषीय घाटा को तीन फीसदी के नीचे रखने का प्रस्ताव है, यह 3.5 फीसदी के मान्य लक्ष्य से कम है। बजट में पूंजीगत परिसम्पत्ति के सृजन के लिए 57,879 करोड़ रुपये के परिव्यय तथा राजस्व परिव्यय के लिए 1,26,071 करोड़ रुपये का प्रस्ताव किया गया है। असेट क्रिएशन के लिए यह अच्छा मूव है। वर्ष 2014-15 से 2022-23 तक हरियाणा की जीएसडीपी की वार्षिक चक्रवृद्धि दर स्थिर मूल्यों पर 5.62 प्रतिशत रही, जबकि इसी अवधि में राष्ट्र की जीडीपी की वार्षिक चक्रवृद्धि दर 4.58 प्रतिशत रही है। यह दिखाता है कि राज्य के सकल घरेलू विकास की चक्रवृद्धि दर केंद्र की औसत दर से अधिक है। इस बजट में पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय की भी झलक है। बजट में नए रोजगार सृजन, शैक्षिक विकास, सबके लिए किफायती स्वास्थ्य सुविधा का संकल्प है तो किसान, नौजवान और महिलाओं सहित समाज के सभी वर्गों की प्रगति को तरजीह है। महंगाई को देखते हुए बजट में कोई नया कर नहीं लगाया गया है। इससे प्रदेश की जनता को राहत मिलेगी। गहराई से देखा जाय तो वास्तव में यह किसानों, बुजुर्गों का सम्मान, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों की समृद्धि, गांवों की प्रगति, सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति का बजट है। इसमें आजादी के शताब्दी वर्ष में हरियाणा की खुशहाली और समृद्धि की परिकल्पना है। बजट विकास की नई बुलंदियों पर लेकर जाएगा और विकसित भारत के विराट संकल्प को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव का निर्माण करेगा।
हरियाण सरकार ने इस बार के बजट में कौशल को सर्वोपरि रखा है। यह वक्त की जरूरत भी है। आज सभी नौकरियां स्किल बेस्ड सृजित हो रही हैं। सरकार ने श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के अंतर्गत कौशल केंद्रों के माध्यम से हर साल पांच हजार युवाओं को प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव किया है। कौशल केंद्र में युवाओं को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, डेटा साइंस, डेटा एनालिटिक्स और प्रोग्रामिंग तथा इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माण आदि का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे जहां स्किल्ड प्रोफेशनल बढ़ेंगे, वहीं उद्यमिता का विकास होगा। मुख्यमंत्री कौशल मित्र फैलोशिप योजना सराहनीय कदम है। सफाईवीरों को अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। 1.80 लाख रुपये तक की आय वाले परिवारों के विद्यार्थियों को निशुल्क कोचिंग प्रदान की जाएगी। वर्ष 2023-24 में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में विद्युत वाहन, मैन्युफैक्चरिंग, एविएशन, फार्मेसी और ग्रीन टेक्नोलॉजी में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित किए जाएंगे। सरकार की योजना 7 जिलों में एकीकृत सैनिक सदन बनाने की है। इससे सैनिकों को लाभ होगा। इस बजट में एनसीआर के विकास पर फोकस किया गया है। वार्षिक कारोबार 1.50 करोड़ रुपये तक वाले स्ट्रीट वेंडर्स, छोटे कारोबारियों और व्यापारियों को प्राकृतिक आपदा के कारण परिसंपतियों के नुकसान के मामलों में मुआवजा देने के लिए मुख्यमंत्री व्यापारी क्षतिपूर्ति बीमा योजना 1 अप्रैल, 2023 से शुरू हो जाएगी। इससे स्ट्रीट वेंडरों व छोटे कारोबारियों को राहत मिलेगी। गोसेवा बजट 40 से 400 करोड़ किया गया है, यह बड़ा मूव है। चिरायु-आयुष्मान भारत योजना में 1.80 लाख रुपये से 3 लाख रुपये तक वार्षिक आय वालों को केवल 1500 रुपये के योगदान पर लाभ मिलेगा तो सभी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी सहायिकाओं, आशा कार्यकर्ताओं, चौकीदारों, मध्याह्न भोजन कार्यकर्ताओं, ग्रामीण सफाई कर्मचारियों और नंबरदारों के परिवारों को 125 रुपये प्रति माह के मामूली योगदान पर योजना का लाभ देने का प्रस्ताव किया गया है, इससे राज्य की 54 प्रतिशत से अधिक आबादी स्वास्थ्य बीमा से कवर हो जाएगी। एमबीबीएस में 1350 सीटें बढ़ाई गई हैं। दिव्यांगों के लिए 15 स्कूल बनेंगे। बजट में नई सड़कों का निर्माण व पुराने के सुधार पर ध्यान दिया गया है। विकास को गति देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर मजबूत करना आवश्यक है।
हालांकि यह बजट प्रोग्रेसिव है, इसके बावजूद उद्योग क्षेत्र के लिए इसमें कंजूसी है, और राहत दी जानी चाहिए थी। नए उद्योग व करोबार के लिए इंसेंटिव की घोषणाएं होनी चाहिए थीं। कृषि उपज भंडारण के लिए नए शीतगृह निर्माण की जरूरत है। नए चिकित्सकों की भर्ती के लिए योजना की जिक्र नहीं है। राज्य के सभी नागरिकों के लिए अनिवार्य पेंशन की क्रांतिकारी योजना शुरू की जा सकती थी। स्टेट यूनिवर्सिटी व कॉलेज को कौशल प्रशिक्षण से जोड़ा जा सकता था। सरकारी दफ्तरों व आवासीय बिजली की आपूर्ति के लिए अनिवार्य सोलर बिजली योजना लाई जा सकती थी, इससे बिजली बचत में मदद मिलती। उद्योग के लिए बिजली की दरों में कटौती की जा सकती थी। हरित विकास को बढ़ावा देने के लिए इलेक्िट्रकल व हाइड्रोजन वाहनों को बढ़ावा देने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर की घोषणा की जानी चाहिए थी। खाद्यान्न मूल्य निर्धारण मैकेनिज्म बनाया जा सकता है, जिससे महंगाई नियंत्रित होती। कुल मिलाकर यह बजट हरियाणा को प्रगति के पथ पर लेकर जाएगा, लेकिन इसे और आकर्षक बनाया जा सकता था।
(ये लेखक के अपने विचार हैं।) लेख पर अपनी प्रतिक्रिया [email protected] पर दे सकते हैं।
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