डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : तेजी से डिजिटल होगी इकोनॉमी

डॉ. जयंतीलाल भंडारी
देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का नया लाभप्रद परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है। इससे एक ओर देश के करोड़ों लोगों की सुविधा और उपभोक्ता संतुष्टि बढ़ने तथा दूसरी ओर रोजगार सहित नए आर्थिक मौके तेजी से बढ़ने की संभावनाएँ निर्मित हो रही हैं।
इसमें कोई दोमत नहीं हैं कि भारत में जिन विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल कारोबार बढ़ने के साथ-साथ डिजिटल रोजगार बढ़ रहा है। स्थिति यह है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था में कई ऐसे नए रोजगार दिखाई देने लगे हैं, जिनके बारे में पहले कल्पना भी नहीं की जाती थी। मैकेंजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था में वर्ष 2025 तक करीब छह से साढ़े छह करोड़ रोजगार अवसर पैदा हो सकते हैं, वहीं इसकी वजह से करीब चार से साढ़े चार करोड़ परंपरागत नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। इसमें कोई दोमत नहीं कि दुनियाभर में ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के चलते कई क्षेत्रों में रोजगार तेजी से खत्म हो रहे हैं। वहीं डिजिटल क्षेत्रों में रोजगार के अवसर तेजी से बढ़ रहे हैं।
गौरतलब है कि एक फरवरी को वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत किए गए 2022-23 के बजट प्रावधानों में विभिन्न क्षेत्रों में डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए चमकीला अध्याय लिखा गया है। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक देश के 75 जिलों में 75 डिजिटल बैंकों की स्थापना करेंगे। देश के डाकघर भी ऑनलाइन सेवाएं मुहैया कराएंगे। 1.5 लाख डाकघर कोर बैंकिंग से जुड़ेंगे। इसके साथ ही बैंक से पोस्ट ऑफिस के खातों में ऑनलाइन ट्रांसफर किया जा सकेगा। यही नहीं डाकघर के लिए भी एटीएम सुविधा मुहैया कराई जाएगी। 5जी मोबाइल सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी। इसके बाद से निजी दूरसंचार कंपनियां देश में 5जी सेवाओं की शुरुआत कर पाएगी। 5जी सुविधा प्रारंभ होने के बाद उपयोगकर्ता अपने 5जी स्मार्टफोन का और बेहतर तरीके से उपयोग कर सकेंगे। इसके साथ ही 5जी के आने से देशभर में इंटरनेट यूजर्स को हाई-स्पीड नेट सर्फिंग और फास्ट वीडियो स्ट्रीमिंग का बिल्कुल नया लाभ मिलेगा। पीएम ई-विद्या के 'वन क्लास, वन टीवी चैनल' कार्यक्रम को 12 से 200 टीवी चैनलों तक बढ़ाया जाएगा। साथ ही एक डिजिटल यूनिवर्सिटी भी बनाई जाएगी। नए बजट के प्रावधानों के तहत खेती-किसानी में ड्रोन का इस्तेमाल किया जाना सुनिश्चित किया गया है, जिससे फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेख, कीटनाशकों का छिड़काव में मदद मिलेगी। फसल मूल्यांकन के साथ ही भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की प्रक्रिया के साथ किसानों को कृषि संबंधी सेवाएं डिजिटल प्रदान की जाएंगी। सभी केंद्रीय मंत्रालयों द्वारा उनकी खरीद के लिए उपयोग के लिए एक पूर्ण पेपरलेस एंड-टू-एंड ऑनलाइन ई-बिल प्रणाली शुरू की जाएगी। केंद्र सरकार एंड टू एंड बिलिंग पेमेंट सिस्टम बनाएगी। इससे पेपरलेस ई-बिल की सुविधा मिलेगी। बिल ट्रांसफर करने और कहीं से भी दावों को ट्रैक करने में सक्षम किया जाएगा। ई पासपोर्ट व्यवस्था भी आकार लेते हुए दिखाई देगी।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नए बजट 2022-23 में प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा व्यवस्था भी डिजिटल अर्थव्यवस्था और फिनटेक क्षेत्र को तेजी से आगे बढ़ाएगी। रिजर्व बैंक के द्वारा ब्लॉक चेन और अन्य तकनीक का इस्तेमाल करके डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) जारी की जाएगी। इससे ऑनलाइन लेनदेन और सुरक्षित बनेगा तथा इसमें किसी प्रकार का कोई खतरा नहीं होगा। डिजिटल रुपया अभी जो हमारी फिजिकल करेंसी (भौतिक मुद्रा) है उसका ही डिजिटल स्वरूप होगा । इसको फिजिकल करेंसी से एक्सचेंज (विनिमय) किया जा सकेगा। अटलांटिक काउंसिल के मुताबिक जनवरी 2022 तक 9 देशों में डिजिटल मुद्रा जारी हुई है। इन देशों को डिजिटल मुद्रा के लाभ मिले है। अब इस वर्ष भारत में भी डिजिटल मुद्रा के आकार लेने से भारतीय अर्थव्यवस्था को आंतरिक और वैश्विक लेनदेन के लाभ मिल सकेंगे।
निश्चित रूप से भारत में पिछले 6-7 वर्षों में डिजिटल अर्थव्यवस्था के तेजी से आगे बढ़ने के कई कारण रेखांकित किए जा सकते हैं। जनधन बैंक खातों, लोगों को आधार के सहारे मिली डिजिटल पहचान तथा डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए लाभप्रद आधार हैं। देश में सरकारी सेवाओं के लिए डिजिटलीकरण को प्रोत्साहन और 44 करोड़ से अधिक जनधन खातों में कोरोनाकाल में धन हस्तांतरण से डिजिटल अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिला है। कोरोनाकाल के कारण देश और दुनिया की कारोबार गतिविधियां तेजी से ऑनलाइन हुई हैं, अतएव वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) और आउटसोर्सिंग को व्यापक तौर पर बढ़ावा मिलने से भारत की डिजिटल कारोबार अहमियत बढ़ी है। कोरोना की चुनौतियों के बीच भारत के आईटी सेक्टर के द्वारा समय पर दी गई गुणवत्तापूर्ण सेवाओं से वैश्विक उद्योग-कारोबार इकाइयों का भारत की आईटी कंपनियों पर भरोसा बढ़ा है। कोरोना महामारी के कारण लॉकडाउन में ई-कॉमर्स, डिजिटल मार्केटिंग, डिजिटल भुगतान, ऑनलाइन एजुकेशन तथा विभिन्न आर्थिक गतिविधियों के डिजिटल होने से अमेरिकी टेक कंपनियों सहित दुनिया की कई कंपनियाँ भारत में स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि तथा रिटेल सेक्टर के ई-कॉमर्स बाजार की चमकीली संभावनाओं को मुठ्ठियों में करने के लिए निवेश के साथ आगे बढ़ी हैं।
निसंदेह देश में बढ़ते डिजिटलीकरण, इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं की लगाकर बढ़ती संख्या, मोबाइल और डेटा पैकेज दोनों के सस्ता होने से भी डिजिटल कारोबार बढ़ा है। मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रेफिक (एमबीट) इंडेक्स 2021 के मुताबिक डेटा खपत बढ़ने की रफ्तार पूरी दुनिया में सबसे अधिक भारत में है। दूरसंचार विभाग के मुताबिक भारत में ब्राडबैंड उपयोग करने वालों की संख्या मार्च 2014 के 6.1 करोड़ से बढ़कर जून 2021 में 79 करोड़ पहुँच चुकी है। विश्व प्रसिद्ध रेडसीर कंसल्टिंग की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 2019-20 में डिजिटल भुगतान बाजार का जो आकार रहा है, वह वर्ष 2024-25 तक तीन गुना से भी अधिक स्तर पर पहुंच जाना अनुमानित है। वर्ष 2020 में भारत में 25.5 अरब डिजिटल ट्रांजेक्शन हुए तो वहीं चीन में 15.6 अरब और यूके में 2.8 अरब हुए, वहीं अमेरिका में मात्र 1.2 अरब हुए। उल्लेखनीय है कि डिजिटलीकरण ई-कॉमर्स छलांगे लगाकर आगे बढ़ा है। इसमें कोई दो मत नहीं कि देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था अब तक के विभिन्न प्रोत्साहनों से तेजी से आगे बढ़ी है।
(लेखक वरिष्ठ अर्थशास्त्री हैंैं। ये उनके अपने विचार हैं।)
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