कश्मीर में सुरक्षित रहने का भाव सबमें होना जरूरी

Haribhoomi Editorial : गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी कश्मीर यात्रा के दौरान श्रीनगर में मंच पर लगा बुलेट प्रूफ ग्लास हटवा कर सबके सुरक्षित होने का सकारात्मक संदेश दिया है। आम तौर पर माना जाता है कि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षामंत्री आदि उच्च पदस्थ लोग अभेद्य सुरक्षा में होते हैं, व्यवहार में होते भी हैं, लेकिन अमित शाह ने बुलेट प्रूफ ग्लास हटाने के लिए कह कर आतंकी के साये में जी रहे कश्मीर के लोगों में भरोसा जगाने की कोशिश की है कि देखिए मैं भी आपकी तरह ही हूं। मैं भी सुरक्षित हूं और आप भी सुरक्षित हैं। कश्मीर के मौजूदा हालात में जहां अभी आतंकवादियों ने नागरिकों पर हमले किए हैं, जिनमें कई लोगों की जान चली गई है, आम लोग दहशत में हैं।
खास कर गैर मुस्लिम नागरिकों में जान का डर व्याप्त हो गया है। गृहमंत्री की कश्मीर यात्रा इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हाल के आतंकी हमलों के बाद सुरक्षा बलों पर नागरिकों का भरोसा कम ना हो। केंद्र में जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार है, आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन क्लीन जारी है। कश्मीर को आतंकवाद मुक्त बनाने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही सरकार दहशतगर्दों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है। सुरक्षा बलों को आतंकियों का सफाया करने की खुली छूट दी गई है। इसमें सरकार को कामयाबी भी मिली है। घाटी में आतंकवाद दक्षिण कश्मीर तक सीमित हो गया है। सुरक्षा बलों के सख्त रवैये का नतीजा है कि हतोत्साहित आतंकी गुटों ने बौखलाकर निहत्थे आम नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर दिया।
गैर मुस्लिमों को निशाना बनाकर आतंकी गुट जम्मू-कश्मीर में जहां मजहबी दीवार खड़ी करना चाहते हैं, वहीं वे 370 हटने के बाद कश्मीर में बाहरियों के बसने की संभावना को खत्म करना चाहते हैं। उनकी यह नापाक मंशा कभी पूरी नहीं होगी। यह सर्व विदित है कि पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद प्रायेजित कर रहा है। वह आतंकवाद के सहारे भारत से छद्म युद्ध लड़ रहा है। भारत से बार बार शिकस्त खाने के बावजूद पाक कश्मीर में आतंकवाद को बढ़ावा देने से बाज नहीं आता है। अमित शाह की कश्मीर यात्रा पाकिस्तान के लिए साफ संदेश है कि उसकी कोई दाल कश्मीर में नहीं गलने वाली है। भारत कश्मीरियों की रक्षा करने व आतंकवाद को कुचलने में सक्षम है। तीन दिन के दौरे पर जम्मू-कश्मीर पहुंचे केंद्रीय गृहमंत्री ने अपना बेखौफ अंदाज दिखा कर स्पष्ट संदेश दिया कि 'अब कश्मीर के लोगों को अपने दिल से डर निकाल देना चाहिए।'
उन्होंने कहा कि 'मैं पाक से नहीं आप लोगों से बात करना चाहता हूं।' ऐसा कह कर शाह ने पाक के प्रति कश्मीर में सहानुभूति रखने वालों को भी कड़ा संदेश दिया कि सरकार उनसे वार्ता को तैयार नहीं है, सरकार के लिए जनता की सुख-शांति सर्वोपरि है। उन्हीं से संवाद का मतलब है। दरअसल फारूक अब्दुल्ला ने भारत सरकार को पाकिस्तान से बात करने की सलाह दी थी। अमित शाह ने कहा कि घाटी आगे आने वाले दिनों में भारत को विश्व शक्ति बनाने में मदद करेगा। कश्मीर अब तरक्की की राह पर है। विकास परियोजनाओं का जिक्र किया। 70 साल तक यहां के युवाओं को उनका अधिकार नहीं मिला। अब उन्हें बराबरी का अधिकार मिलेगा। उन्होंने सीआरपीएफ कैंप में आपनी यात्रा की आखिरी रात बिताने का फैसला कर सुरक्षा बलों में भी जोश भरा। कश्मीर में सबमें सुरक्षित होने का भाव जगाना जरूरी है, शाह की यात्रा ने यही किया है।
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