डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : आम लोगों की मुठ्ठियों में भी खुशियाँ

डाॅ. जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में 12 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छोटे निवेशकों के लाभार्थ बनी रिजर्व बैंक खुदरा प्रत्यक्ष योजना का शुभारंभ करते हुए कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में भारत में गरीबों एवं कमजोर वर्ग के कल्याण को बढ़ाने के लिए वित्तीय समावेशन (फाइनेंशियल इन्क्लूजन) के तहत वित्तीय और बैंकिंग सेवाओं के साथ-साथ डिजिटल माध्यम से स्वास्थ्य, सब्सिडी, राशन, प्रशासन आदि बहुआयामी सुविधाएँ सरलतापूर्वक पहुँचाए जाने का अभूतपूर्व काम किया गया है। इससे आम आदमी की मुठ्ठियों में समावेशी विकास की अधिक खुशियाँ दिखाई देने लगी हैं।
गौरतलब है कि 8 नवंबर को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) इकोरैप के द्वारा प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक भारत अब वित्तीय समावेशन के मामले में जर्मनी, चीन और दक्षिण अफ्रीका से आगे है । वित्तीय समावेशन अभियान के तहत गरीब और वंचित वर्ग के लिए खोले गए जनधन खातों की संख्या 20 अक्टूबर, 2021 तक 1.46 लाख करोड़ रुपये जमा के साथ 43.7 करोड़ तक पहुंच गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग लेनदेन 2020 में प्रति 1,000 वयस्कों पर 13,615 पर पहुंच गया है, जो 2015 में 183 था। 2020 में बैंक शाखाओं की संख्या प्रति एक लाख वयस्कों पर 14.7 तक पहुंच गई, जो 2015 में 13.6 थी। ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक शाखाओं की संख्या मार्च, 2010 के 33,378 से बढ़कर दिसंबर 2020 में 55,073 हो गई है। गांवों में बैंकिंग आउटलेट/बैंकिंग प्रतिनिधियों (बीसी) की संख्या मार्च, 2010 के 34,174 से बढ़कर दिसंबर, 2020 में 12.4 लाख हो गई है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जनधन योजना ने ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग की तस्वीर बदल दी है। जिन राज्यों में वित्तीय समावेशन/प्रधानमंत्री जनधन योजना खातों की संख्या ज्यादा है, वहां अपराध में गिरावट देखने को मिली है। यह भी देखा गया है कि अधिक बैंक खाते वाले राज्यों में शराब और तंबाकू उत्पादों जैसे नशीले पदार्थों की खपत में महत्वपूर्ण एवं सार्थक गिरावट आई है। निसंदेह देश में जनधन, आधार और मोबाइल (जैम) के कारण आम आदमी डिजिटल दुनिया से जुड़ गया है। देश में 130 करोड़ आधार कॉर्ड, 118 करोड़ मोबाइल उपभोक्ता, लगभग 80 करोड़ इंटरनेट उपयोगकर्ता और जनधन बैंक खातों के विशाल एकीकृत बुनियादी डिजिटल ढांचे के माध्यम से गरीब वर्ग के करोड़ों लोगों के लिए गरिमापूर्ण जीवन के साथ सशक्तिकरण का असाधारण कार्य पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया है।
स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि डायरेक्ट बेनिफेट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये अगस्त 2021 तक 90 करोड़ से अधिक लाभार्थी इसका फायदा ले चुके हैं। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के मुताबिक फिलहाल सरकार के 54 मंत्रालयों द्वारा 300 से अधिक डीबीटी योजनाएं संचालित होती हैं। इनमें पीएम किसान सम्मान निधि, सार्वजनिक वितरण सेवाएं, एलपीजी गैस सब्सिडी आदि योजनाएं शामिल हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक देश के छोटे किसान सरलतापूर्वक बैंकिंग सुविधाओं का लाभ लेने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, पीएम किसान योजना के अंतर्गत अगस्त 2021 तक 11.37 करोड़ किसानों के बैंक खातों में डीबीटी के जरिये 1.58 लाख करोड़ रुपए जमा किए जा चुके हैं।
निश्चित रूप से देश में एक से बाद एक शुरू किए डिजिटल मिशन आम आदमी और अर्थव्यवस्था की शक्ति बनते जा रहे हैं। 26 अक्टूबर को 64,000 करोड़ रुपए निवेश योजना वाला आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन देश के करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य की खुशहाली का आधार बन सकता है। इस मिशन के तहत देश के प्रत्येक जिले में औसतन 90 से 100 करोड़ रुपये स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे पर खर्च किए जाएंगे। इसके साथ-साथ डिजिटल आयुष्मान भारत मिशन भारत की स्वास्थ्य सुविधाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाते हुए, जीवन को बेहतर बनाने की पूरी संभावनाएँ प्रस्तुत कर रहा है। आयुष्मान भारत-डिजिटल मिशन देश भर के अस्पतालों के डिजिटल स्वास्थ्य समाधानों को एक-दूसरे से जोड़ेगा और अस्पताल की प्रक्रियाओं को सरल बनाएगा। प्रत्येक नागरिक एक हेल्थ आईडी प्राप्त कर सकेगा और उनके स्वास्थ्य का लेखा-जोखा डिजिटल रूप से संरक्षित किया जाएगा। यह पहल समाज के गरीब और मध्य वर्ग की चिकित्सा संबंधी दिक्कतों को दूर करने में बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह कोई छोटी बात नहीं है कि भारत ने विज्ञान आधारित नवाचार को बढ़ावा देते हुए शीघ्रतापूर्वक कोरोना टीके को विकसित किया है और देश में रणनीतिपूर्वक कोरोना वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया। 21 अक्टूबर को भारत में कोरोना टीकाकरण की 100 करोड़ डोज लगने का आंकड़ा टीकाकरण की ऐतिहासिक सफलता बताते हुए दिखाई दे रहा है। भारत में दुनिया का सबसे बड़ा मुफ्त टीकाकरण अभियान दिखाई दिया है। भारत ने 100 से अधिक देशों को कोरोना टीकों का निर्यात भी किया है।
यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अकाउंट एग्रीगेटर (एए) देश में डिजिटल वित्तीय सेवाओं के लिए एक और मील का पत्थर बन गया है। अब हमारी सहमति से हमारा बहुत सा वित्तीय कामकाज अकाउंट एग्रीगेटर कर सकेगा और हमारा वित्तीय डाटा भी पूरी तरह सुरक्षित रह सकेगा। ऐसे में अकाउंट एग्रीगेटर की मदद से वित्तीय संस्थानों को डिजिटल रूप से वित्तीय जानकारी साझा करके छोटे कारोबारी बैंकों से बिना किसी परेशानी के कर्ज हासिल कर सकते हैं। यह माना जा रहा है कि देश में अकाउंट एग्रीगेटर निवेश और ऋण के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है और इससे लाखों उपभोक्ताओं को अपने वित्तीय रिकॉर्ड तक आसान पहुंच और नियंत्रण मिल सकता है।
निसंदेह इस समय जहाँ देश के गरीब एवं वंचित वर्ग के लोग बैंकिंग क्षेत्र के साथ-साथ वित्तीय समावेशन का लाभ लेने के लिए आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। वहीं देश में डिजिटल सुविधाओं की डगर पर कई बाधा और चुनौतियाँ भी दिखाई दे रही हैं। हाल ही में प्रकाशित वैश्विक खाद्य सुरक्षा सूचकांक-2021 के तहत भारत 113 देशों में 71 वें स्थान पर है। ऑक्सफेम इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक भुखमरी सूचकांक 2021 में भारत का 101 वां स्थान है कोविड-19 महामारी के कारण भारत में भूख व कुपोषण की चुनौती बढ़ी है। विश्व बैंक के द्वारा तैयार किए गए 174 देशों के मानव पूंजी सूचकांक 2020 में भारत का 116वां स्थान है। इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि इंटरनेट गुणवत्ता को लेकर वैश्विक साइबर सिक्योरिटी कंपनी सर्फ शार्क के द्वारा जारी डिजिटल क्वालिटी ऑफलाइन इंडेक्स 2021 में कुल 110 देशों में भारत इस साल दो स्थान फिसलकर 59वें स्थान पर रहा है। इंटरनेट स्पीड के मामले में भारत बहुत पीछे है। भारत ई-इंफ्रास्टक्चर के मामले में 91वें पायदान पर है और वैश्विक औसत से 30 फीसदी पीछे है। भारत ई-गवर्नमेंट के मामले में 33वें क्रम पर, इंटरनेट की वहनीयता के मामले में 47वें तथा इंटरनेट की गुणवत्ता के मामले 67 स्थान पर है। ऐसे में हम उम्मीद करें कि सरकार देश में गरीबी उन्मूलन की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ेगी।
(लेखक अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)
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