Haribhoomi Explainer: खतरे में आपकी नौकरी, जानिये क्या सच में ChatGPT इंसानों की जगह ले पाएगा

Haribhoomi Explainer: खतरे में आपकी नौकरी, जानिये क्या सच में ChatGPT इंसानों की जगह ले पाएगा
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Haribhoomi Explainer: टेक्नोलॉजी की दुनिया में अब गूगल को टक्कर देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करने वाला चैट जीपीटी नाम का एक टूल आ गया है। आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर में हम आपको बताएंगे कि आखिर क्या है चैट जीपीटी और क्या यह इंसानों की तरह काम कर सकता है।

Haribhoomi Explainer: आज के समय में लोग किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए गूगल का सहारा लेते हैं। गूगल इतनी बड़ी कंपनी बन गई है कि इसे चुनौती देना किसी भी कंपनी के लिए आसान नहीं है। लेकिन, टेक्नोलॉजी की दुनिया में इस वक्त ऐसा कुछ आया है, जो गूगल को भी मात दे सकता है। यहां हम चैट जीपीटी के विषय में बात कर रहे हैं, जिसने मात्र पांच दिनों में ही 1 मिलियन लोगों तक अपनी पहुंच बना ली थी। वहीं, गूगल को ऐसा करने में तकरीबन 1.5 साल का वक्त लगा था।

क्या है चैट जीपीटी और कैसे बना?

चैट जीपीटी एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बॉट है, जिसका फुल फॉर्म चैट जेनरेटिव प्रिंटेड ट्रांसफार्मर है, जो गूगल के जैसे ही एक सर्च इंजन के तरह काम करता है। चैट जीपीटी पूर्णतः आर्टिफिशियल इंटेलिजेंलस सिस्टम पर काम करता है अर्थात आपके द्वारा पूछे गए प्रश्नों को ये तुरंत टाइप कर आपके सामने उत्तर प्रस्तुत कर देता है। चैट जीपीटी को ओपन एआई कंपनी ने लॉन्च किया है। ये कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करती है।

इस कंपनी की शुरुआत वर्ष 2015 में एलन मस्क और सैम अल्टमैन ने साथ मिलकर की थी। उस समय ये कंपनी नॅान प्रॅाफिट ऑर्गेनाइजेशन थी। लेकिन, कुछ समय बाद इसे माइक्रोसॉफ्ट का साथ मिला और ये प्रॉफिट ऑर्गेनाइजेशन में बदल गई। एलन मस्क ने ओपन एआई से वर्ष 2018 में इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद वर्ष 2019 में माइक्रोसॉफ्ट ने ओपन एआई में 83 हजार करोड़ का निवेश किया था। वर्तमान समय में ओपन एआई की वैल्यूएशन लगभग 20 बिलीयन डॉलर के करीब हो गई है। ओपन एआई का हेड क्वार्टर सैन फ्रांसिस्को में स्थित है।

भारत में चैट जीपीटी लॉन्च होने के बाद से ही उठ रहे हैं सवाल

चैटजीपीटी को 30 नवंबर 2022 को सैन फ्रांसिस्को से लॉन्च किया गया था। लॉन्च होने के बाद लाखों लोगों ने इसका यूज किया। लॉन्चिंग के बाद से इसके नकारात्मक प्रभाव को लेकर सवाल उठ रहे हैं। चैट जीपीटी से कई प्रकार की गंभीर गलतियां सामने आई हैं। चैट जीपीटी के गलत और भ्रामक जानकारी देने के पीछे की यह वजह है कि यह सिर्फ 2021 के डेटा के आधार पर ही जवाब दे रहा है। दूसरी तरफ भारत में भी कई एक्सपर्ट्स का ये कहना है कि यह क्रिएटिविटी के लिए एक खतरा है। इस बारे में साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के प्रो. मचादो डायस का कहना है कि क्रिएटिविटी के लिए असाधारण प्रतिभा की जरुरत होती है, लेकिन एल्गोरिदम की मदद से पैदा की गई चीजों से मानव में क्रिएटिव होने की प्रवृति कम होगी। ऐसे में अब किसी भी प्रकार के सवाल के जवाब के लिए अधिक दिमाग नहीं लगाना पड़ेगा। इससे आने वाले समय में उत्तर से ज्यादा महत्वपूर्ण प्रश्न होने जा रहा है।

क्या चैट जीपीटी हिंदू धर्म का अपमान कर रहा है ?

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, जब चैट जीपीटी से हिंदू धर्म के विषय में सवाल किया जाता है तो यह अपमानजक जवाब देती है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस पर आधारित चैट जीपीटी सिर्फ हिंदू धर्म के विषय में ही नहीं बल्कि हिंदू देवी देवताओं जैसे कि श्रीराम, लक्ष्मण, सीता और रामायण जैसे ग्रंथों पर मजाक भी करती है। आप सोच रहे होंगे कि यह तकनीक शायद सभी धर्मों का मजाक उड़ाती है, लेकिन ऐसा नहीं है। चैट जीपीटी से जब हिंदू धर्म को छोड़कर बाकी धर्मों से जुड़ी बातें पूछी जाती हैं तो चैट जीपीटी माफी मांगते हुए कहता है कि यह धार्मिक भावनाओं को आहत कर सकता है। यह दर्शाता है कि चैट जीपीटी का डिजाइन ऐसा है कि हिंदू धर्म पर तो यह मजाक की अनुमति देता है, लेकिन दूसरे धर्मों पर चुप्पी साध लेता है। तो अब आपको समझ में आ गया होगा कि चैट जीपीटी किस तरह से भेदभाव को बढ़ावा दे रही है। चैट जीपीटी को लॉन्च हुए 2 महीने से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसे ठीक नहीं किया गया है ।

क्या चैट जीपीटी से किसी को खतरा है ?

चैट जीपीटी भविष्य में कई प्रकार की नौकरियों के लिए खतरा साबित हो सकता क्योंकि नौकरियों के साथ-साथ यह क्रिएटिविटी पर भी गहरा असर डालेगा। जिन नौकरियों में शब्दों और वाक्यों पर डिपेंडेंसी ज्यादा है, उनमें इसका खतरा शुरू भी हो गया है। अगर पत्रकारिता के क्षेत्र की ही बात की जाए तो इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा लिखने वालों की आवश्यकता होती है। इस सिस्टम के आने से ही कंटेंट राइटर की आवश्यकता कम होने लगेगी। राहत इंदौरी ने लिखा है कि लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है, यानी सिर्फ पत्रकारिता या कंटेंट राइटर की नौकरियां नहीं बल्कि इसका असर IT सेक्टर पर भी पड़ेगा। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग करने वाले भी चैट जीपीटी के जद में आ गए हैं। इन सब चीजों के साथ शिक्षा पर भी इसका बहुत असाधारण असर पड़ने वाला है। न्यूयॉर्क में बच्चों को चैट जीपीटी से होमवर्क करने और असाइनमेंट करने का ऐसा जुनून सवार हुआ कि सभी स्कूलों और सार्वजनिक डिवाइस पर चैट जीपीटी को बैन करना पड़ा है। जब बच्चे होमवर्क और असाइनमेंट जैसे काम को भी किसी टूल के जरिए करेंगे तो बेसिक स्किल ही डेवेलप नहीं हो पाएगा।

ChatGPT इंसानों के लिए 5 खतरे

1. AI बेस्ड ChatGPT का प्रयोग हैकर्स कर सकते हैं। इसमें मैसेज और फिशिंग मेल प्रस्तुत किया जा सकता है, जिसका पहचान करना कठिन होगा।

2. ये IAS जैसे परीक्षा के प्रश्नो के उत्तर देने में असमर्थ है।

3. इसमें डेटा कलेक्शन,स्टोरेज और पर्सनल जानकारी के गलत प्रयोग का खतरा है।

4. ये अभी 2021 के डेटा के आधार पर ही उत्तर दे रहा है जिसके कारण हमें सही जानकारी नहीं प्राप्त हो सकती।

5. इसके प्रयोग से इंसानों में क्रीएटिविटी की कमी आ जाएगी।

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