डॉ. एल.एस. यादव का लेख : रक्षा क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता

डॉ. एल.एस. यादव का लेख : रक्षा क्षेत्र में बढ़ती आत्मनिर्भरता
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अब एक बार फिर भारत की तीनों सेनाओं की ताकत बढ़ाने का कदम उठाया गया है। 30 नवम्बर को केन्द्रीय रक्षा मंत्री के नेतृत्व वाली डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल यानी डीएसी की बैठक में भारतीय सेनाओं की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ विशेष निर्णय लेते हुए नए हथियारों की खरीदारी की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस निर्णय से देश को जल्द ही नए तेजस लड़ाकू विमान, हमलावर हेलीकॉप्टर प्रचंड, नया विमानवाहक पोत, माउंटेन गन सिस्टम तथामिसाइलों जैसी नए हथियार मिल जाएंगे। डीएसी ने इन नए हथियारों की खरीद-फरोख्त की मंजूरी दे दी है। ये सभी हथियार चीन व पाक की सीमा पर युद्ध के समय दुश्मन सेना के छक्के छुड़ाएंगे।

भारत की सशस्त्र सेनाएं अब दुनिया में अत्यन्त ताकतवर सैन्य बलों के रूप में गिनी जाने लगी हैं, क्योंकि अब इनकी ताकत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। सैन्य क्षेत्र में अधिक ताकवतर बनने के प्रयास वर्ष 2020 में तब शुरू कर दिए गए जब पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में चीनी सेनाओं के साथ भारतीय जवानों की हिंसक झड़प हुई थी। उल्लेखनीय है कि जून में हुई इस झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे। इस घटना के बाद से भारत ने चीन सीमा पर सैन्य तैनाती ही नहीं बढ़ाई बल्कि बुनियादी ढांचे को भी बढ़ाया। इसके अलावा सैन्य क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए मेक इन इंडिया पर अधिक जोर दिया गया। अब भारत न सिर्फ अपने लिए रक्षा के उपकरण और अत्याधुनिक हथियार बना रहा है बल्कि दूसरे देशों को हथियार बेचने में भी सक्षम हो गया है।

अब एक बार फिर भारत की तीनों सेनाओं की ताकत बढ़ाने का कदम उठाया गया है। 30 नवम्बर को केन्द्रीय रक्षा मंत्री के नेतृत्व वाली डिफेंस एक्वीजिशन काउंसिल यानी डीएसी की बैठक में भारतीय सेनाओं की मारक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ विशेष निर्णय लेते हुए नए हथियारों की खरीदारी की स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। इस निर्णय से देश को जल्द ही नए तेजस लड़ाकू विमान, हमलावर हेलीकॉप्टर प्रचंड, नया विमानवाहक पोत, माउंटेन गन सिस्टम तथा एमआरएसएएम मिसाइलों जैसी नए हथियार मिल जाएंगे। डीएसी ने इन नए हथियारों की खरीद-फरोख्त की मंजूरी दे दी है। ये सभी हथियार चीन व पाकिस्तान की सीमा पर युद्ध के समय दुश्मन सेना के छक्के छुड़ाएंगे।

डीएसी की बैठक में 97 तेजस मार्क-1 ए लड़ाकू विमान, 156 प्रचंड लड़ाकू हेलीकॉप्टर, तीसरे नये स्वदेशी विमानवाहक पोत के निर्माण, सुखोई-30 एमकेआई श्रेणी के 87 विमानों का आधुनिकीकरण, 5.56 ग 45 कार्बाइन, 200 माउंटेन गन सिस्टम, 400 टोड आर्टिलरी गन सिस्टम तथा मध्यम दूरी की जमीन से हवा में मार करने में सक्षम मिसाइलों के खरीदे जाने की अनुमति प्रदान कर दी गई है। जब ये सभी हथियार भारतीय सेनाओं में शामिल होंगे तब उनकी ताकत कई गुना बढ़ जाएगी। डीएसी की मंजूरी वाली 2.23 लाख करोड़ रुपये की यह खरीद घरेलू रक्षा उद्योगों से की जाएगी। जब ये सभी हथियार स्वदेशी तकनीक से देश में ही बनेंगे तो मेक इन इंडिया के बढ़ावा के साथ ही देश रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर होगा। तेजस विमानों के मिलने के बाद भारतीय वायुसेना के पुराने लड़ाकू विमानों को हटाया जाएगा। वर्तमान में भारतीय वायुसेना 180 तेजस विमानों की जरूरत है। 83 तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमानों के लिए कॉन्ट्रेक्ट हो चुका है। अब 97 तेजस और लिए जाएंगे। फिलहाल तेजस के दो स्क्वाड्रन वायुसेना के पास हैं जिनमें से एक का नाम फ्लाइंग डैगर्स और दूसरे का नाम फ्लाइंग बुलेट्स है। तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान का आकार छोटा है, इसलिए दुश्मन का कोई राडार सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाता है। ऐसे में यह कहीं भी बेखौफ हमला कर सकता है। इसकी मारक दूरी की क्षमता 500 किलोमीटर तक की है। वैसे इसकी कुल रेंज 1850 किलोमीटर की है और अधिकतम 53000 किलोमीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है। इसकी अधिकतम गति 1980 किलोमीटर प्रति घण्टा है। यह हथियारों से लैस होकर शत्रु के क्षेत्र में आक्रमण कर आसानी से वापस लौट सकता है।

रक्षा खरीद परिषद ने 156 और नए प्रचंड हेलीकॉप्टर खरीदने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। ये हेलीकॉप्टर हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से खरीदे जाएंगे। इन 156 हेलीकॉप्टरों में से 66 को वायु सेना में शामिल किया जाएगा तथा शेष 90 हेलीकॉप्टरों को थल सेना अधिग्रहीत करेगी। इससे वायु सेना की ताकत काफी बढ़ जाएगी। देश में विकसित हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड के वायुसेना के बेड़े में शामिल हो जाने से उसकी युद्ध कौशल क्षमता में काफी बढ़ोत्तरी हो जाएगी। प्रचंड अत्याधुनिक किस्म का लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जो बख्तरबंद सुरक्षा प्रणाली, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, किसी भी मौसम में किसी भी समय पर हमला करने में सक्षम तथा किसी भी आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने में पारंगत है। यह बहुपयोगी हेलीकॉप्टर दुश्मनों के राडारों के चकमा देने में माहिर है, इसलिए अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी पूरी क्षमता के साथ शत्रु के बंकरों को तबाह करने, आतंकवाद विरोधी अभियान चलाने और बचाव अभियान में वायु सेना सक्षम होगी। प्रचंड हेलीकॉप्टर अपनी लड़ाकू विषेशताओं के कारण भारतीय वायु सेना की आक्रामक क्षमताओं को काफी मजबूती प्रदान करेगा। यह हेलीकॉप्टर दोहरे इंजन वाला है। 5.8 टन वजन वाला यह हेलीकॉप्टर स्टील्थ फीचर, आर्मर्ड प्रोटेक्षन सिस्टम तथा रात में हमला करने में सक्षम है। यह 5000 मीटर की ऊंचाई पर टेक ऑफ तथा लैंड करने की क्षमता वाला यह संसार का इकलौता हेलीकॉप्टर है। यह एक्सटेंडेड रेंज वाला हर मौसम में आक्रमण करने में सक्षम होने के साथ-साथ हवा से सतह तथा हवा से हवा में मिसाइल दागने की क्षमता से लैस है। इसे हवा से सतह की नई मारक तकनीक से लैस किया गया है। यह पहाड़ों तथा अन्य इलाकों में शत्रु के मजबूत शेल्टरों को भी ध्वस्त कर सकेगा। यह रेगिस्तानी इलाकों के साथ ही लद्दाख व सियाचिन जैसे अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में भी कारगर भूमिका निभाएगा। डीएसी ने तीसरे विमानवाहक पोत के निर्माण को मंजूरी दे दी है। भारतीय नौसेना के पास अभी दो विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य तथा आईएनएस विक्रान्त हैं। इनमें से आईएनएस विक्रमादित्य रूस से खरीदा गया था और आईएनएस विक्रान्त स्वदेश में निर्मित है। नया विमानवाहक पोत स्वदेशी विक्रान्त की तरह ही होगा। यह पोत 40000 करोड़ की लागत से बनेगा। 45000 टन वजन वाला यह पोत कोचीन षिपयार्ड में बनाया जाएगा। इसकी लंबाई 262 मीटर, चौड़ाई 62 मीटर और उंचाई 59 मीटर की होगी। इसकी गति 52 किलोमीटर प्रति घण्टा होगी। यह पानी में तैरते हुए किसी सैन्य अड्डे की तरह होगा। इस पर करीब 28 लड़ाकू विमानों के अतिरिक्त बड़ी संख्या में हेलीकॉप्टर, मिसाइल, रॉकेट, गन और बमों जैसे खतरनाक हथियार तैनात रहेंगे। यह 400 किलोमीटर की एरिया की निगरानी करेगा और इतने क्षेत्र के खतरों से निपटने में सक्षम होगा। इस तरह हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की ताकत काफी बढ़ जाएगी।

भारतीय वायु सेना को सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को उन्नत बनाने की अनुमति मिल गई है। पुराने मिग-21 लड़ाकू विमान अब वायु सेना का हिस्सा नहीं रहेंगे। मिग-21 विमानों की कमी को पूरा करने के लिए वायु सेना 60000 करोड़ रुपये की लागत से 87 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों को उन्नत बनाने का कार्य किया जाएगा। वायु सेना के बेड़े में मिग-29 मल्टी रोल एयरक्राफ्ट और जगुआर जैसे विमान हर मौसम में लड़ाई के तैयार रहने वाले हैं। इन सभी विमानों का इस्तेमाल करने पर हम पाकिस्तान व चीन दोनों पर भारी पड़ेंगे।

(लेखक- डॉ. एल.एस. यादव सैन्य विज्ञान के प्राघ्यापक रहे हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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