अरविंद जयतिलक का लेख : एफटीए की राह पर भारत-आस्ट्रेलिया

अरविंद जयतिलक का लेख : एफटीए की राह पर भारत-आस्ट्रेलिया
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यह सुखद है कि आस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को मंजूरी दे दी है। यह पहल दोनों देशों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसी से समझा जा सकता है कि खुद आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट करके जानकारी दी कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता संसद से पारित हो गया है।

अरविंद जयतिलक

यह सुखद है कि आस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को मंजूरी दे दी है। यह पहल दोनों देशों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है, इसी से समझा जा सकता है कि खुद आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने ट्वीट करके जानकारी दी कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता संसद से पारित हो गया है। इस समझौते से दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों को नई ऊंचाई मिलनी तय है। इस समझौते से कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी सहित भारत के तकरीबन 6000 से अधिक उत्पादों को आस्ट्रेलियाई बाजारों में शुल्क मुक्त पहुंच बन सकेगी। चूंकि इनमें से कई उत्पादों पर चार से पांच फीसदी तक का सीमा शुल्क देना पड़ता है, जो अब नहीं देना होगा। मुक्त व्यापार समझौते के बाद दोनों देशों के व्यापारिक-कारोबारी क्षमता का विस्तार के साथ-साथ निवेश और इंफ्रास्ट्रक्चर को भी मजबूती मिलेगी।

गौर करें तो मुक्त व्यापार समझौते के बिना भी दोनों देशों का व्यापार 30 अरब आस्ट्रेलियाई डाॅलर से अधिक रहा है। समझौते के बाद अब कारोबार और आर्थिक वृद्धि नई ऊर्जा से लबरेज होगी। भारतीय नागरिकों के लिए वीजा आसान होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। दोनों देशों की आर्थिक गतिविधियों पर नजर डालें तो भारत बड़े पैमाने पर आस्ट्रेलिया को वस्त्र, रसायन, इंजीनियरिंग सामान, चमड़ा, हीरे व जवाहरात और खाद्योत्पाद इत्यादि निर्यात करता है। वहीं आस्ट्रेलिया से कोयला, तांबा, ऊन, जानवरों के बाल, रूई, फल, सब्जियां, मछली और सोने का आयात किया जाता है। पिछले दो दशकों में भारत में आस्ट्रेलिया द्वारा द्वारा किया गया स्वीकृत पूंजी निवेश काफी महत्वपूर्ण रहा है। 1991 से लेकर अभी तक भारत सरकार आस्ट्रेलिया के सैकड़ों संयुक्त उद्यमों को स्वीकृति प्रदान कर चुकी है।

वहीं भारत की सूचना तकनीक से जुड़ी कई महत्वपूर्ण कंपनियों ने आस्ट्रेलिया में वाणिज्य एवं कई संगठनों को अच्छी सुविधाएं प्रदान करने हेतु अपने कार्यालय खोल दिए हैं। इन कंपनियों के आॅफिस अधिकतर सिडनी में हैं। इनमें से आईआईटी, एचसीएल, टीसीएस, पेंटासोफ्ट, सत्यम, विप्रो, इंफोसिस, ऐपटेक, वर्ल्डवाइड, आईटीआईएल, महेंद्रा ब्रिटिश टेलकाॅम लिमिटेड, मेगा साॅफ्ट आस्ट्रेलिया प्राइवेट लिमिटेड एवं जेनसार टेक्नोलोजिज इत्यादि प्रमुख कंपनियां हैं। मेलबोर्न में विंडसर होटल भी ओबेराॅय होटल समूह का होटल है। क्वीनजलैंड में पेसिफिक पेंट कंपनी को एशियन पेंट ने खरीद लिया है। स्टालाइट कंपनी ने माउंट लोयला में दो तांबे की खानें खरीद ली है। एयर इंडिया, आईटीडीसी, स्टेट बैंक तथा न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी ने आस्ट्रेलिया में अपने कार्यालय खोल लिए हैं। इसी तरह आस्ट्रेलिया के वाणिज्य कर्मियों ने भी भारत में अपना कार्य शुरू कर दिया है। एएनजेड ग्रिंडले बैंक अपनी पांच दर्जन शाखाओं के साथ भारत में किसी भी विदेशी बैंक से सबसे बड़ा बैंक बन गया है। आस्ट्रेलिया की अन्य महत्वपूर्ण कंपनियां जो भारत में कार्यरत हैं उनमें आरटीजेड, सीआरए, नेशनल म्यूच्अल, क्वांटास, कोटी कार्पोरेशन, जोर्ड इंजीनियरिंग प्रमुख हैं। विज्ञान एवं तकनीकी समझौते के अंतर्गत दोनों देश वित्तीय, शिक्षा सेवाओं, पर्यावरण, कंप्यूटर साॅफ्टवेयर, संचार, रद्दी पदार्थ प्रबंधन, फसल वायरस, रासायनिक खादों का परीक्षण तथा खाद्यान्न इत्यादि क्षेत्रों में मिलकर सुचारू रूप से काम कर रहे हैं।

अब दोनों देशों के बीच व्यापार-कारोबार को नई ऊंचाई इसलिए मिलेगी कि मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) आकार ले लिया है, लेकिन भारत को मुक्त व्यापार समझौते के नकारात्मक पहलू पर सतर्क नजर रखना होगा। मसलन आस्ट्रेलिया अनाज उत्पादन के साथ ही दुनिया का एक बड़ा दुग्ध उत्पादक देश भी है। कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला देश होने की वजह से भारत को ध्यान रखना होगा कि कहीं अपना बाजार आस्ट्रेलियाई कृषि उत्पादों से न भर जाए, इसलिए अभी पूरी दुनिया में उदारवादी व्यापार समझौतों को लेकर अनिश्चितता का माहौल है। यहां ध्यान देना होगा कि अभी भी कृषि उत्पादों को लेकर आस्ट्रेलिया और चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर बात अटकी हुई है, लेकिन भारत के संदर्भ में अच्छी बात यह है कि दोनों देश द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के साथ-साथ बहुपक्षीय मंचों जैसे आसियान, हिंद महासागर रिम, विश्व व्यापार संगठन इत्यादि पर भी सहयोगात्मक संबंध विकसित कर रहे हैं। आस्ट्रेलिया ने भारत के इस दृष्टिकोण का हमेशा समर्थन किया है कि विश्व के वित्तीय निर्णय-निर्धारक फोरमों का स्वरूप प्रजातांत्रिक और प्रतिनिध्यात्मक होना चाहिए। अतीत में जाएं तो शीतयुद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच संबंध आकर्षणपूर्ण नहीं रहे। उपनिवेशवाद से एक लंबे संघर्ष के बाद जब भारत स्वतंत्र हुआ तब उसने सैन्य गठबंधनों से दूर रहने के लिए गुटनिरपेक्षता की नीति अपनाई तो आस्ट्रेलिया ने भारत की इस नीति को मूर्खतापूर्ण करार दिया। 1991 के बाद दो ऐसी घटनाएं (शीतयुद्ध का अंत और भारत में आर्थिक सुधार की प्रक्रिया) घटी जिससे दोनों देश एक दूसरे के निकट आ गए। मौजूदा समय में आस्ट्रेलिया के निर्यात का छठा सबसे बड़ा गंतव्य-स्थान भारत ही है।

अंतरराष्ट्रीय मंचों की बात करें तो आस्ट्रेलिया सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने के भारतीय दावे का पहले ही पूर्ण समर्थन कर चुका है। इसके अलावा वह 'एशिया प्रशांत आर्थिक सहयोग संगठन' में वर्ष 2010 में सदस्यता निरोध समाप्त हो जाने पर भारत को सदस्यता प्रदान किए जाने का समर्थन किया। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक में भी भारतीय सुझावों का समर्थन कर चुका है। दोनों देश आतंकवाद से मिलकर लड़ने के संकल्प को मूर्त रूप देने के साथ-साथ क्वाड में भागीदारी और सीमा पार की कई गैर-सैन्य समस्याओं के संदर्भ में समान रणनीति पर काम कर रहे हैं। आस्ट्रेलिया पहले ही एेलान कर चुका है कि वह भारत में प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष समेत अलग-अलग क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए 28 करोड़ अमेरिकी डाॅलर का निवेश के साथ 89 लाख डाॅलर भारत में मौजूदा आस्ट्रेलियाई कारोबार में निवेश करेगा। परपरांगत लगाव और द्विपक्षीय विवादास्पद मुद्दों के बावजूद भी दोनों देश सुरक्षा एवं विश्व व्यवस्था के संदर्भ में निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार हैं। दोनों देशों के बीच शानदार मधुर रिश्ते के बावजूद आस्ट्रेलिया में प्रजातीय हमले बढ़ रहे हैं जिसका सर्वाधिक शिकार भारतीय नागरिक बन रहे हैं। आस्ट्रेलिया सरकार को ऐसे हमले रोकना होगा। वर्तमान में अमेरिका के बाद विदेश में भारतीय विद्यार्थियों की सबसे अधिक संख्या आस्ट्रेलिया में है। उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता लागू होने से न सिर्फ व्यापार-कारोबार की प्रगति होगी बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और भावनात्मक लगाव भी प्रगाढ़ होंगे।

( ये लेखक के अपने विचार हैं। )

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