डा. एस. एस. यादव का लेख : असर से भारत भी अछूता नहीं रहेगा

डा. एस. एस. यादव का लेख : असर से भारत भी अछूता नहीं रहेगा
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इजराइल व हमास की जंग से भारत के भी प्रभावित होने की पूरी संभावना है। इस लड़ाई का खामियाजा भारतीय निर्यातकों को भी उठाना पड़ सकता है। विदित हो कि भारत भारी मात्रा में इजराइल को सामान का निर्यात करता है। ऐसे में अगर लड़ाई तेज होती है तो निर्यातकों के लिए हालात कठिन हो सकते हैं। संघर्ष से इजराइल के इलियत, हाइफा और अशदोद नामक बंदरगाहों पर कामकाज प्रभावित हो जाएगा। इस जंग के प्रारम्भ हो जाने से कच्चे तेल का आयात महंगा होना शुरू हो गया है। ज्ञातव्य है कि भारत अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है। इन सभी प्रभावों की तरफ भारत को नजर रखने की जरूरत होगी।

गाजा पट्टी पर शासन करने वाले ग्लोबल घोषित आतंकी गुट हमास के इजराइल पर हमले से सारा संसार आश्चर्य चकित रह गया। आश्चर्य चकित होने का कारण यह था कि आतंकवादी संगठन हमास के लड़ाकों ने चौंकाने वाले ढंग से थल, जल एवं आसमानी सरहद से ऐसा जोरदार हमला किया कि इजराइल को सम्हलने का अवसर ही नहीं मिल पाया। इस ताबड़तोड़ आक्रमण में 250 से ज्यादा आतंकी कमांडर और उनके साथ हजारों की संख्या में हमलावर थे। इस हमले ने 50 साल पहले 1973 में हुए हमले की याद ताजा कर दी है। रॉकेट आक्रमण, बड़ी संख्या में हत्याएं और अपहरण से चिन्ताएं बढ़ गई हैं। इस भयंकर आक्रमण से इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू और इजराइल के सबसे बड़े सहयोगी देश अमेरिका की परेशाानियां काफी बढ़ गई हैं।

हमास की ओर से किए गए भयंकर हमले से अनेक सवाल खड़े हो गए हैं और इन सवालों में सबसे मुख्य यह है कि इजराइल की खुफिया एजेंसियों को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी? इजराइल अब स्वयं से यह पूछ रहा है कि इजराइली रक्षा बल कहां है ? सुरक्षा कहां है? और पुलिस कहां है? क्योंकि यह बहुत बड़ी खुफिया विफलता है। कहीं ऐसा तो नहीं हुआ कि इजराइल, ईरान का मुकाबला करने के लिए तथा इस्लामिक गणराज्य के परमाणु कार्यक्रम को नाकाम करने के प्रयासों में अधिक व्यस्त हो जानेे के कारण उसने अपने नजदीक स्थित क्षेत्रों की अनदेखी कर दी हो। यह बात भी गौर करने लायक है कि हाल ही में इजराइल ने हमास के साथ संघर्ष विराम पर सहमति व्यक्त की थी। हालांकि कुछ लोगों का मानना है कि राजनीति की घरेलू बाधाओं की चेतावनियों को नजरंदाज कर दिया गया था।

इजराइल ने हमास के हमले का जवाब देने के लिए अपनी सैन्य ताकत को संगठित कर कार्रवाई करने का निश्चय किया। इसलिए उसने फिलिस्तीनी आतंकी संगठन हमास को जवाबी कार्रवाई करने के उद्येश्य से पूरी गाजा पट्टी को घेरने की घोशणा कर दी। इसके परिणाम स्वरूप 8 और 9 अक्टूबर को हमास के लगभग 1000 ठिकानों पर ताबड़तोड़ हमले करते हुए भयंकर गोलाबारी की जिसमें उसको भारी नुकसान उठाना पड़ा। इसके साथ ही गाजा पट्टी को खाना, पानी, बिजली और गैस की आपूर्ति रोक दी। बाद में अमेरिकी दबाव में आंशिक रूप से बहाल कर दी। इजराइल के तकरीबन एक लाख सैनिकों को गाजा की सीमा पर तैनात किया गया। इनकी मदद के लिए तीन लाख अतिरिक्त सैनिकों को तैयार रखा गया है। गौरतलब है कि गाजा पट्टी का इलाका तीन तरफ से इजराइल से और चौथी तरफ से इजिप्ट से घिरा हुआ है। इस कारण गाजा पट्टी के हवाई क्षेत्र और तटीय क्षेत्रों पर भी इजराइल का नियंत्रण है। ऐसे में इजराइल का पलड़ा काफी भारी है।

इजराइल की सैन्य क्षमता पर गौर करें तो उसके पास 173000 सक्रिय सैनिक, 465000 रिजर्व सैनिक, 2200 टेैंक, 300 रॉकेट लांचर एवं 601 युद्धक विमान हैं। इजराइल की इस सेना ने भयंकर आक्रमण करते हुए हमास के तकरीबन 500 ठिकानों पर बमबारी की, जिसमें हमास के 1500 से ज्यादा आतंकी मारे गए। हमास के हमले के बाद इजराइल के हवाई हमले में 687 फिलिस्तीनी भी मारे गए और 3000 से ज्यादा घायल हो गए। वहीं दूसरी तरफ इजराइल के तकरीबन 1200 लागों की मौत हो गई। फिलहाल इजराइल ने गाजा पट्टी की पूरी तरह से घेराबंदी कर रखी है जिसमें तकरीबन 23 लाख लोग रहते हैं। इस घेराबंदी के कारण गाजा पट्टी के लिए भोजन, पानी, बिजली और ईंधन की आपूर्ति रुक गई है जिससे गाजा के लोग बड़े पैमाने पर शहर छोड़ कर जा रहे हैं। उधर लेबनान सीमा पर तनाव को देखते हुए इजराइली सेना ने टैंकों की तैनाती बढ़ा दी है।

इस जंग के संदर्भ में अमेरिकी मीडिया वॉल स्ट्रीट जनरल ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि ईरान के सुरक्षा अधिकारियों ने इजराइल पर अचानक आक्रमण किए जाने की योजना बनाने में हमास की सहायता की थी। यही नहीं 2 अक्टूबर को बेरुत में हुई बैठक में हमास को आक्रमण की हरी झंडी दे दी थी। वॉल स्ट्रीट जनरल की रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कोर के अधिकारी अगस्त में हमास के साथ मिल कर थल, जल एवं हवाई रास्ते हमले की योजना बना रहे थे। हालांकि ईरान ने वॉल स्ट्रीट जनरल के सभी दावों को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि हमास की हमले की योजना में उनका कोई सहयोग नहीं है।

फिलहाल इजराइल पर हुए हमले के बाद पश्चिमी जगत खुलकर इजराइल के साथ खड़ा हो गया है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी और इटली ने संयुक्त बयान जारी करके कहा है कि वे इजराइल के साथ हैं और अपने बयान में इजराइल पर हमास के हमले की निंदा की है। व्हाइट हाउस से जारी संयुक्त वक्तव्य में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, इटली की प्रधानमंत्री जार्जिया मेलोनी, जर्मनी के चांसलर ओलफ स्कोल्ज, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक एवं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्राें ने इजराइल के प्रति अपनी दृढ़ता व एकजुटता का समर्थन व्यक्त करने और हमास के आतंकी कारनामों की स्पष्ट निंदा करने की बात कही है। इस तरह इजराइल को पांच देशों का साथ मिल गया है।

अमेरिका ने तो इजराइल को सैनिक सहायता देने की घोषणा कर दी है। अमेरिका के रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन ने कहा कि इजराइल की मदद के लिए हमारे जहाज और विमान वहां पहुंच रहे हैं। अमेरिका का जेराल्ड आर फोर्ड एयरक्राफ्ट कैरियर अलर्ट पर है। इसके अलावा अमेरिकी वायु सेना के एफ-10, एफ-15, एफ-16 व एफ-35 लड़ाकू विमानों के बेड़े मदद को तैयार हैं। अमेरिका के इस कदम पर लेबनान के संगठन हिजबुल्लाह ने धमकी दी है कि अगर अमेरिका सीधे तौर पर युद्ध में दखल देगा तो वे मध्य पूर्व में अमेरिकी ठिकानों पर आक्रमण करेंगे। इन कारणों से पूरी दुनिया दो भागों में बंट सकती है और विश्व युद्ध की संभावनाएं बढ़ जाएंगी।

इजराइल व हमास की जंग से भारत के भी प्रभावित होने की पूरी संभावना है। इस लड़ाई का खामियाजा भारतीय निर्यातकों को भी उठाना पड़ सकता है। विदित हो कि भारत भारी मात्रा में इजराइल को सामान का निर्यात करता है। ऐसे में अगर लड़ाई तेज होती है तो निर्यातकों के लिए हालात कठिन हो सकते हैं। संघर्ष से इजराइल के इलियत, हाइफा और अशदोद नामक बंदरगाहों पर कामकाज प्रभावित हो जाएगा। इजराइल पर हमले के बाद से तेल की कीमतें बढ़ गई हैं और एयरलाइन के शेयरों में गिरावट आ गई है। इसी तरह शेेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिली। इस जंग के प्रारम्भ हो जाने से कच्चे तेल का आयात महंगा होना शुरू हो गया है। ज्ञातव्य है कि भारत अपनी जरूरतों का 85 प्रतिशत तेल आयात करता है। इन सभी प्रभावों की तरफ भारत को नजर रखने की जरूरत होगी।

(लेखक- डा. एस. एस. यादव सैन्य विज्ञान विषय के प्राघ्यापक रहे हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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