विवेक शुक्ला का लेख : जी-20 को सशक्त नेतृत्व देगा भारत

साल 1983, तब दिल्ली में गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। उसमें दर्जनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष भाग लेने आए थे। उनमें क्यूबा के राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो, पाकिस्तान के सैन्य तानाशाह जिया उल हक, फलस्तीनी मुक्ति संगठन (पीएलओ) नेता यासर अराफात प्रमुख थे। निर्गुट सम्मेलन के चालीस सालों के बाद जी-20 समिट 9-10 सितंबर, 2023 को राजधानी में आयोजित होने जा रहा है। इस दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और कई अन्य विश्व नेता राजधानी में होंगे।
चूंकि भारत अगले एक साल तक ब्रिक्स का अध्यक्ष रहने वाला है, इसलिए उससे यह उम्मीद रहेगी कि वह जी-20 देशों के आपसी विवादों के हल खोजने की दिशा में ठोस पहल करेगा। आप देख रहे हैं कि जी-20 के दो देश क्रमश: रूस और यूक्रेन के बीच जंग जारी है। रूस सारी दुनिया की अपीलों को खारिज करते हुए युद्ध को जारी रखे हैं। इसी तरह से चीन का भारत को लेकर आक्रामक रवैया बना हुआ है। उसकी सेनाएं भारतीय सीमाओं को बीच-बीच में लांघने की चेष्टा करती रहती हैं। ये तो सिर्फ दो उदाहरण थे यह साबित करने के लिए जी-20 देशों में आपस में कितने विवाद हैं। भारत को जी- 20 के सभी देशों के बीच सर्वानुमति बनानी होगी कि इनमें आपसी तालमेल बढ़े और विवादों के सौहार्दपूर्ण तरीके से हल हों। तुर्की भी जी-20 का सदस्य है। पाकिस्तान और तुर्की पिछले कुछ दशकों से आपसी संबंधों को काफी तेजी से मजबूत कर रहे हैं। एर्दोगन के हाथ में तुर्की की सत्ता आने के बाद इसमें और ज्यादा वृद्धि हुई है। दोनों देश जल-थल और नभ में सालाना कई युद्धाभ्यास कर रहे हैं। तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोगन लगातार कश्मीर मसले पर पाकिस्तान का समर्थन करते रहे हैं।
उन्होंने विगत सितंबर के महीने में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए फिर से कश्मीर मुद्दा उठाया था। पाकिस्तान के करीबी एर्दोगन ने महासभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और पाकिस्तान 75 साल पहले अपनी संप्रभुता और स्वतंत्रता स्थापित करने के बाद भी अब तक एक-दूसरे के बीच शांति और एकजुटता कायम नहीं कर पाए हैं। एर्दोगन और उनके देश के कई दूसरे राजनेता भी कई बार कश्मीर मुद्दे का जिक्र कर चुके हैं। जब-जब एर्दोआन ने भारत और कश्मीर को लेकर कोई भी बयान दिया उसकी भारत द्वारा कड़ी आलोचना की गई जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तुर्की की छवि बिगड़ी। भारत ने हर बार तुर्की को करारा जवाब देते हुए कश्मीर को द्विपक्षीय मामला बताया है।
जी- 20 का अध्यक्ष रहते हुए भारत को तुर्की को कायदे से समझाना होगा कि उसे अन्य देशों की संप्रभुता का सम्मान करना सीखना चाहिए और इसे अपनी नीतियों में अधिक गहराई से प्रतिबिंबित करना चाहिए। इसी तरह से जी-20 देशों को चीन को समझाना होगा कि वह जी-20 के सदस्य देश भारत के साथ अपने तमाम मसले बातचीत से सुलझाएं।
इस बीच, जी-20 के नेताओं की कारों के काफिले राजधानी में इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से शांति पथ, तीन मूर्ति, साउथ एवेन्यू, विजय चौक, मदर टेरेसा क्रिसेंट,सरदार पटेल मार्ग, पंचशील मार्ग, सफदरजंग रोड, प्रगति मैदान, सेंट्रल विस्टा के आसपास आएंगे-जाएंगे। ये जिन सड़कों से गुजरेंगे, उन सड़कों को नए सिरे से सुंदर बनाने का काम शुरू हो चुका है। वे खुशबूदार गुलों से महकेंगे। अगर बात सड़कों से हटकर करें तो जी-20 समिट के मद्देनजर राजधानी की करीब पौने चार सौ जगहों को नए सिरे से सजाय़ा-संवारा जाना है। इनमें कुछ खास पार्क, फ्लाईओवर के नीचे के हिस्से तथा चौराहे शामिल हैं।
दरअसल भारत को जी-20 समिट की अध्यक्षता तो 16 नवंबर को सांकेतिक रूप से इंडोनेशिया की राजधानी बाली में सौंप दी गई है, पर भारत विधिवत रूप से जी-20 का अध्यक्ष आगामी 1 दिसंबर से बनेगा। जब तक भारत के पास जी-20 की अध्यक्षता रहेगी तब दिल्ली में इन देशों की टोलियां आती रहेंगी। राजधानी में समिट की तैयारियों से जुड़ी 190 बैठकें होनी हैं। निर्गुट सम्मेलन के समय राष्ट्राध्यक्ष अशोक होटल या फिर राष्ट्रपति भवन में ठहरे थे। सम्मेलन विज्ञान भवन में आयोजित किया गया था। अशोक होटल तथा विज्ञान भवन 1956 में बनकर तैयार हुए थे, पर जी- 20 के दौरान न तो अशोक होटल में कोई राष्ट्राध्यक्ष रात गुजारेगा और न ही विज्ञान भवन में कोई खास बैठक होगी। जी-20 समिट प्रगति मैदान में तैयार विश्व स्तरीय सभागार में आयोजित होगा। अब सवाल है कि बाइडेन, पुतिन, शी जिनपिंग, सुनक और अन्य राष्ट्राध्यक्ष कहां ठहरेंगे? अमेरिका के दो पूर्व राष्ट्रपति क्रमश: बराक ओबामा तथा बिल क्लिंटन मौर्या शेरटन में रुक चुके हैं। तो क्या बाइडेन भी वहां पर ठहरेंगे? पुतिन भी अपनी दिल्ली की यात्राओं के समय मौर्या शेरटन में ही ठहरे हैं। वे फिर से मौर्या शेरटन में रुक सकते हैं। चीनी नेता ने अपनी साल 2019 की भारत यात्रा के समय तिब्बतियों के विरोध प्रदर्शन देखे थे। अब देखना होगा कि क्या चीन के राष्ट्रपति जब दिल्ली में होंगे तो तिब्बती उनके काफिले के आगे आकर विरोध प्रदर्शन करने में सफल होते हैं या नहीं। बेशक, वे कोशिश तो करेंगे। जब ऋषि सुनक दिल्ली में होंगे तो सबकी निगाहें उन पर होंगी ही। उन्हें भारत स्वाभाविक कारणों से अपना मानता है। वे कहां रहेंगे? इस बीच, ये लगभग तय है कि नई दिल्ली नगर परिषद (एनडीएमसी) लुटियंस दिल्ली के किसी खास पार्क का नाम जी-20 पार्क ही रख दे। आपने तुगलक क्रिसेंट में भारत-आसियान मैत्री पार्क देखा होगा। इसका उद्घाटन तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने सन 2018 में किया था। तब राजधानी में भारत-आसियान शिखर सम्मेलन आयोजित हुआ था। इसी तरह से दिल्ली में न्याय मार्ग से चंद कदमों पर घाना के स्वतंत्रता आंदोलन के शिखर नेता क्वामे नकरूमा मार्ग से बहुत दूर नहीं है इंडो-अफ्रीका फ्रेंडशिप रोज़ गॉर्डन। ये भारत-अफ्रीकी देशों के शिखर सम्मेलन से पहले 2015 में स्थापित किया गया था। ये भारत के आसियान तथा अफ्रीकी देशों से मैत्री के महत्वपूर्ण प्रतीक हैं। तो अगर जी-20 मैत्री पार्क भी बन जाए तो हैरान मत होइये। बहरहाल, निश्चित रूप से यह उम्मीद करनी चाहिए कि भारत जी 20 मंच को एक सशक्त नेतृत्व प्रदान करेगा।
(लेखक विवेक शुक्ला वरिष्ठ पत्रकार हैँ, ये उनके अपने विचार हैं।)
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