संपादकीय लेख : अब पटरी पर लौट रही भारतीय अर्थव्यवस्था

Haribhoomi Editorial : आर्थिक मोर्चे पर सुकून देने वाली खबर है। दूसरी तिमाही में देश की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 8.4 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। विकास दर सभी अनुमानों के मुताबिक रही। अर्थव्यवस्था में सुधार का सबसे बड़ा कारण निजी खपत और निवेश में सुधार रहा। लगातार वैक्सीनेशन, कम ब्याज दरों की वजह से सेंटिमेंट में भी सुधार दिखा है। देश की अर्थव्यवस्था में लगातार चौथी तिमाही में विकास दर में बढ़त दिखी है। आठ बुनियादी उद्योगों-कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली क्षेत्र का उत्पादन अक्टूबर में 7.5 प्रतिशत बढ़ा है। एक साल पहले अक्टूबर माह में बुनियादी उद्वोगों के उत्पादन में 0.5 प्रतिशत की गिरावट आई थी। यानी कोर सेक्टर भी मजबूत हो रहा है। इसी के साथ जीएसटी कलेक्शन, डायरेक्ट टैक्स और पेट्रोल व डीजल पर टैक्स कलेक्शन रिकार्ड स्तर पर पहुंचे हैं। ये सभी संकेतक बता रहे हैं कि अर्थव्यवस्था तेजी से रिकवर कर रही है। हालांकि 2020 में अप्रैल से जून के दौरान देश की अर्थव्यवस्था 24.4% की दर से गिरी थी जबकि तीसरी तिमाही यानी अक्टूबर से नवंबर के दौरान इसमें 0.4% की बढ़त दिखी थी। जनवरी से मार्च 2021 में जीडीपी 1.6% की दर से बढ़ी जबकि अप्रैल से जून 2021 के दौरान इसमें 20.1% की दर से बढ़त दिखी थी।
अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के दौरान विकास दर में 7.3% की गिरावट आई थी। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अनुमान लगाया था कि दूसरी तिमाही में देश की अर्थव्यवस्था की ग्रोथ दर 7.9% रह सकती है। पहले इसने 7.7% का अनुमान लगाया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने रीयल जीडीपी की ग्रोथ 7.9% रहने का अनुमान लगाया है। यूबीएस का मानना है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ 8 से 9% के बीच में रह सकती है। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक का अनुमान है कि जीडीपी की विकास दर 8.1% रह सकती है। सिटी बैंक ने 8.7% की संभावना जताई है। डच बैंक और बैंक ऑफ अमेरिका का मानना है कि भारत की ग्रोथ रेट 8% रह सकती है। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) का अनुमान है कि भारत की जीडीपी की ग्रोथ रेट चालू कैलेंडर वर्ष जनवरी से दिसंबर में 7.5% के करीब रह सकती है। क्रिसिल ने कहा कि कोविड के बुरे असर के माहौल में जीडीपी की ग्रोथ रेट 8.2% तक जा सकती है जबकि अच्छे माहौल में यह 9.8% हो सकती है। मूडीज ने अनुमान किया है कि वित्त वर्ष 2022 यानी अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ रेट 9.3% रह सकती है। इससे पहले उसने 13.7% की ग्रोथ का अनुमान लगाया था। मूडीज का अनुमान सबसे ज्यादा था।
गोल्डमैन साक्श का अनुमान है कि यह 2021 मार्च से 2022 अप्रैल के बीच 11.1% के बीच रह सकता है। जबकि पहले इसका अनुमान 11.7% का था। इसी तरह नोमुरा ने पहले 13.5% की विकास दर का अनुमान जताया था, जो अब घटाकर इसे 12.6% कर दिया है। जेपी मोर्गन ने 13% के अनुमान को घटाकर 11% कर दिया है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने 12.5% और विश्व बैंक ने 10.1% की विकास दर की उम्मीद जताई है। देश की जीडीपी दर कोरोना से पहले ही गिरावट में थी। वित्त वर्ष 2016-17 में इसकी विकास दर 8.3% थी जो 2017-2018 में गिर कर 6.8 और 2018-2019 में 6.5% रही थी। 2019-20 में यह 4% रही थी। अब जीडीपी सुधार की राह पर है। मोबिलिटी इंडिकेटर जैसे गूगल मोबिलिटी इंडिसीज, पल ड्राइविंग इंडेक्स और रेल यात्रियों का दैनिक रेवेन्यू भी मजबूत रिकवरी का संकेत देते हैं। संकेतकों से पता चलता है कि दुनिया के सभी देशों की अर्थव्यवस्था की तुलना में भारत की विकास की रफ्तार ज्यादा रह सकती है। हालांकि अभी भी महंगाई चिंता का विषय बनी हुई है। केंद्र और राज्य सरकारें जमकर खर्च कर रही हैं, इससे आने वाला वक्त और बेहतर होगा।
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