नरेंद्र सिंह तोमर का लेख : भारत उत्थान का नया अध्याय

नरेंद्र सिंह तोमर का लेख :  भारत उत्थान का नया अध्याय
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30 मई को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के 3 साल पूरे करने जा रही है। वस्तुत: देखा जाए तो विगत 8 वर्ष मोदी के नेतृत्व में भारत के नव उदय और उत्थान के वे स्वर्णिम अध्याय हैं जो भविष्य के आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद हैं। स्वतंत्रता के 75 वर्ष के बाद के आगामी 25 वर्ष के समय को ‘अमृत काल’ की संज्ञा दी गई है। हमारी सनातन परंपरा में भी 75 से 100 वर्ष के बीच का वय अमृतकाल के रूप में निरूपित किया है। मैं अपने दृढ़ विश्वास के साथ यह कह सकता हूं कि अमृतकाल का यह समय भारत उदय की बेला है। अब ऐसे भारत का उदय जो सक्षम और समर्थ तो हो ही दुनिया में भी अपनी साख रखता हो।

नरेंद्र सिंह तोमर

इतिहास गवाह है कि जब-जब सक्षम और राष्ट्र प्रथम का भाव रखने वाला नेतृत्व भारत को मिला है, हमारे राष्ट्र् का वैभवगान संपूर्ण विश्व में गुंजायमान हुआ है। राष्ट्र का चातुर्दिक विकास, सर्ववर्ग का कल्याण और वैश्विक स्तर पर भारत का मान, यह एक ऐसी त्रिवेणी है जो आजादी के इस अमृतकाल में हमें भारत भूमि पर फूटती स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है। यह भारत उत्थान का एक नया अध्याय है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में आजादी के इस अमृतकाल में लिखा जा रहा है।

30 मई को प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार अपने दूसरे कार्यकाल के 3 साल पूरे करने जा रही है। वस्तुत: देखा जाए तो विगत 8 वर्ष मोदी के नेतृत्व में भारत के नव उदय और उत्थान के वे स्वर्णिम अध्याय हैं जो भविष्य के आत्मनिर्भर भारत की बुनियाद हैं। स्वतंत्रता के 75 वर्ष के बाद के आगामी 25 वर्ष के समय को 'अमृत काल' की संज्ञा दी गई है। हमारी सनातन परंपरा में भी 75 से 100 वर्ष के बीच का वय अमृतकाल के रूप में निरूपित किया है। मैं अपने दृढ़ विश्वास के साथ यह कह सकता हूं कि अमृतकाल का यह समय भारत उदय की बेला है। बदलते वैश्विक समीकरणों में एक ऐसे भारत का उदय जो सक्षम और समर्थ तो हो ही दुनिया में भी अपनी साख रखता हो। केंद्र सरकार विगत 8 वर्षों से समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति का कल्याण और गांव, गरीब, किसान की चिंता पहली प्राथमिकता रही है। देश के 9 करोड़ घरों में माताएं धुएं से मुक्ति के साथ आज उज्ज्वला योजना के तहत एलपीजी चूल्हे पर भोजन बना रही हैं। देश का ऐसा कोई गांव नहीं बचा जहां बिजली नहीं है। अटल पेंशन योजना 4 करोड़ बुजुर्गों के लिए सहारा बनी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 2 करोड़ 38 लाख परिवारों को अपना पक्का मकान मिला है। प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 45 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक खाते खुले हैं और उनमें 1 लाख 66 हजार करोड़ रुपए की राशि जमा हुई है। देश के 6 लाख से अधिक गांव आज खुले में शौच के कलंक से मुक्ति पा चुके हैं। लगभग 47 लाख श्रमिकों को प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना का लाभ मिला है। देश की आधी ग्रामीण आबादी को ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंच रहा है। देश के गांव बदल रहे हैं, क्योंंकि हमारी खेती किसानी की तस्वीर बदली है। नरेंद्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री पद का दायित्व संभालने के साथ ही पहली प्राथमिकता किसानों की हालत सुधारने और कृषि को समृद्धि की राह पर लाने को दी है। आज हम गर्व से कह सकते हैं कि देश में कृषि परिदृश्य तेजी से बदला है। खेती को बदलने के लिए आवश्यक था कि हम कृषि मंत्रालय का बजट बढ़ाकर किसानों तक ज्यादा से ज्यादा सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाएं। वर्ष 2013-14 में कृषि विभाग का बजट मात्र 21933 करोड़ था, जोकि 2022-23 में लगभग साढ़े 5 गुना बढ़कर 1 लाख 24 हजार करोड़ रुपये हो गया है। अधिक संसाधनों ने किसानों को अधिक सहुलियत प्रदान की है। किसान, सरकार और कृषि विज्ञानियों की साझी मेहनत हमारे खाद्यान्न उत्पादन में परिणाम के रूप में प्रत्यक्ष परिलक्षित हो रही है। वर्ष 2013-14 में हमारा खाद्यान्न उत्पादन 265 मिलियन टन था, जो कि 2021-22 में 316 मिलियन टन के रिकार्ड उत्पाादन पर जा पहुंचा है। इसी तरह बागवानी फसलों का उत्पादन भी 334 मिलियन टन के रिकार्ड स्तर को छू रहा है। एक समय था जब हम खाद्यान्न का आयात करते थे और दूसरे देशों से भेजे गए अनाज पर निर्भर रहते थे। अब हमारा राष्ट्र कृषि निर्यातक देशों की पंक्ति में तेजी से आगे बढ़ा है। वर्ष 2021-22 में हमारा कृषि निर्यात 50.21 बिलियन डॉलर को पार कर गया जोकि अब तक का सबसे बड़ा कृषि उत्पाद निर्यात है। गेहूं निर्यात में अप्रत्याशित 273 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। जहां 2020-21 में गेहूं निर्यात 568 मिलियन डॉलर का था, वहीं यह 2021-22 में चार गुना बढ़कर 2119 मिलियन डॉलर हो गया।

एमएसपी पर सवाल उठाकर राजनीति करने वालों के लिए यह संदेश ही काफी है कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजग सरकार ने स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों का पालन करते हुए किसानों को उनकी लागत मूल्य का कम से कम डेढ़ गुना समर्थन मूल्य प्रदान करने का कदम उठाया है। अब धान और गेंहू को ही ले लीजिए, वर्ष 2013-14 में धान की एमएसपी 1310 रुपये और गेंहू की एमएसपी 1400 रुपये प्रति क्विंटल था, जोकि वर्ष 2021-22 में बढ़ कर क्रमश: 1940 से 2015 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक क्रांतिकारी कदम साबित हुई है। वर्ष 2019 से प्रारंभ हुई इस योजना के तहत अब तक 11.30 करोड़ किसानों को 1.82 लाख करोड़ रुपये प्रदान किए जा चुके हैं। विगत 6 वर्षों में 37.52 करोड़ किसान पीएम फसल बीमा के दायरे में आए हैं और लगभग सवा दस करोड़ किसानों को लगभग 1 लाख 16 हजार करोड़ रुपये का दावा भुगतान प्राप्त हुआ है। आपदा की मार में ये राहत किसानों के लिए संजीवनी साबित हुई है।

वर्ष 2013-14 में जहां किसानों को बैंक या सहकारी संस्थाओं के माध्यम से 7 लाख करोड़ रुपये का कर्ज किसानों को मिलता था, वहीं 2021-22 में यह दो गुना से ज्यादा बढ़कर लगभग साढ़े 16 लाख करोड़ रुपये हो गया है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से अधिकाधिक किसानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्यों से फरवरी 2020 से विशेष अभियान प्रारंभ किया गया है। इसके तहत अब तक 3 करोड़ से अधिक नए केसीसी कार्ड बनाए गए हैं।

'एक भारत श्रेष्ठ भारत, की संकल्पना के साथ आत्मनिर्भरता से युक्त एक ऐसे राष्ट्र का पुनर्निमाण कर रहे हैं जहां सभी के लिए समान अवसर हों। मोदी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता का परिणाम ही है कि आज भारत के विकास संकल्पों को दुनिया अपने लक्ष्योंे की प्राप्ति का माध्यम मान रही है। वैश्विक शांति हो, समृद्धि या वैश्विक चुनौतियों से मुकाबले की बात हो, दुनिया भारत की ओर एक नए विश्वास के साथ अग्रसर हुई है। हमारी संभावनाएं और हमारी क्षमताएं अब वैश्विक स्तर पर पहचानी परखी और उपयोग में लाई जा रही है। पश्चिम के देशों से हम अपनी शर्तों पर रिश्ते तय कर रहे हैं। राष्ट्रों के आपसी संकटों में भारत को मध्यस्थता के लिए याद किया जा रहा है।

यही भारत उदय का अमृत काल है। आने वाला ढाई दशक भारत के उस स्वर्णिम वैभव को वापस लौटाने वाला समय होगा जब हम फिर से कह सकेंगे भारत भूमि समृद्धि, संपन्नता और खुशहाली का भूखंड है। हमारे प्रधानमंत्री मोदी जी के शब्दों में कहें तो यह अमृत काल हमारे लिए कर्तव्य काल है। हमें प्रयत्नों की परिसीमा तक और परिश्रम की पराकाष्ठाअों तक पहुंच कर अमृत काल में भारत उदय का संकल्प पूर्ण करना है।

(लेखक केंद्रीय कृषि मंत्री हैं। ये उनके अपने विचार हैं।)

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