डॉ. एलएस यादव का लेख : भारत-बांग्लादेश संबंधों में नई ऊंचाई

डॉ. एलएस यादव का लेख : भारत-बांग्लादेश संबंधों में नई ऊंचाई
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भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आई बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ द्विपक्षीय शिखर बैठक में आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए अनेक फैसले करते हुए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। बैठक में भारत-बांग्लादेश के बीच अक्टूबर 2019 में सहमति पत्र के अनुसार फेनी नदी के पानी की त्रिपुरा के सबरुम शहर में आपूर्ति पर सहमति बनी। इसके साथ ही नदी के जिस स्थल से पानी पंप किया जाएगा तकनीकी डिजाइन को अंतिम रूप दिए जाने का स्वागत किया गया। भारत-बांग्लादेश ने अपनी साझोदारी को काफी आगे बढ़ाया है। शेख हसीना की यह यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नए आयाम प्रदान करेगी।

डॉ. एलएस यादव

भारत की चार दिवसीय यात्रा पर आई बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 6 सितम्बर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में द्विपक्षीय शिखर बैठक में आपसी सहयोग को मजबूत करने के लिए अनेक फैसले करते हुए सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए। जिन सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए उनमें कुशियारा नदी के जल बंटवारे तथा उसके पानी के साझा उपयोग को लेकर, बांग्लादेश के रेलवे विभाग के अधिकारियों को प्रशिक्षण प्रदान करने, बांग्लादेशी रेलवे को मालवहन सहित विभिन्न क्षेत्रों में आईटी एप्लीकेशन के उपयोग में सहयोग, बांग्लादेश के न्यायिक अधिकारियों की क्षमता निर्माण में सहयोग, विज्ञान व तकनीकी अनुसंधान में सहयोग, अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग एवं प्रसार भारती व बांग्लादेश टेलीविजन के बीच प्रसारण संबंधी समझौते हैं। अन्तरिक्ष क्षेत्र में हुए समझौते के तहत न्यू स्पेस इंडिया और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के बीच सहयोग होगा। भारत इसमें बांग्लादेश की मदद करेगा।

भारत और बांग्लादेश के बीच सम्पन्न हुए कुशियारा नदी के अंतरिम जल बंटवारा समझौते से दक्षिणी असम और बांग्लादेश के सिलहट क्षेत्र के लोगों के लिए फायदा होगा। गौरतलब है कि सन 1996 में गंगा जल संधि पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच इस तरह का यह पहला समझौता है। शेख हसीना ने कहा कि मोदी के नेतृत्व के चलते दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों को अतिरिक्त गति मिल रही है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने अतीत में बकाया मुद्दों को सुलझाया है। अब लम्बित मुद्दों का समाधान भी जल्द कर लेंगे। इस दौरान हसीना ने तीस्ता जल बंटवारा समझौता होने में देरी को लेकर चिंता जताई। विदित हो कि वर्श 2011 से तीस्ता जल बंटवारा समझौता लंबित है। उस समय पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसका विरोध किया था। बेहतर संबंधों के बावजूद तीस्ता नदी के जल बंटवारे का मुद्दा दोनों देशों के बीच विवाद का एक कारण बना हुआ है। भारत व बांग्लादेश की सीमाओं से 54 नदियां गुजरती हैं और जिनसे दोनों देशों के लोगों की आजीविका से जुड़ी हैं। दोनों देशों के बीच 12 साल के लम्बे अंतराल के बाद संयुक्त नदी आयोग की 38वीं बैठक तीन दिन चलकर 26 अगस्त को खत्म हुई थी। इस वार्ता में आठ और नदियों के जल बंटवारे को सूची में डालने पर सहमति बन गई है।

इस बैठक में भारत-बांग्लादेश के बीच अक्टूबर 2019 में सहमति पत्र के अनुसार फेनी नदी के पानी की त्रिपुरा के सबरुम शहर में आपूर्ति पर सहमति बनी। इसके साथ ही नदी के जिस स्थल से पानी पंप किया जाएगा वहां के तकनीकी डिजाइन को अंतिम रूप दिए जाने का स्वागत किया गया। इस बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अध्यक्षता जल शक्ति मंत्री गजमन्द्र शेखावत और बांग्लादेश की अगुवाई वहां के जल संसाधन मंत्री जहीद फारुक ने की थी। ज्ञातव्य है कि भारत-बांग्लादेश के संयुक्त नदी आयोग का गठन वर्ष 1972 में शांति संधि के तहत किया गया था। बांग्लादेश रेलवे के कर्मचारियों को भारतीय रेल प्रशिक्षण के साथ यात्री टिकट और माल ढुलाई परिचालन के कंप्यूटरीकरण के लिए सूचना प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करेगी। इस संबंध में दोनों देशों ने एक समझौता ज्ञापन पर 6 सितम्बर को हस्ताक्षर किए। इसके तहत भारतीय रेल के संस्थानों में प्रशिक्षण की सुविधा दी जाएगी। इस समझौते में सेमिनार, कार्यशाला, कक्षा एवं जमीनी स्तर पर प्रशिक्षण शामिल है। आवश्यकता पड़ने पर भारतीय रेल पड़ोसी देश में अधिकारियों के साथ समन्वय भी स्थापित करेगा और प्रशिक्षण सुविधाओं की स्थापना, सुधार एवं अध्ययन में मदद करेगा। एक अन्य समझौते के तहत बांग्लादेशी रेलवे को माल ढुलाई व परिचालन सूचना प्रणाली में सूचना प्रौद्योगिकी समाधान प्रदान करने के लिए भी किया गया है। इस समझौते में बांग्लादेशी रेलवे को विभिन्न जरूरतों के लिए सूचना समाधान प्रदान करना भी शामिल है।

भारत-बांग्लादेश ने इस वार्ता से पहले 25 अगस्त को रेलवे लाइन परियोजनाओं के लिए दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। इनमें खुलना-दर्शना के बीच नई ब्राॅडगेज लाइन के निर्माण और पार्वतीपुर व कौनिया के बीच मीटरगेज लाइन को डुअल-गेज लाइन में बदलने की परियोजनाओं के लिए दोनों देशों के समकक्षों के बीच परामर्श अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए। विदित हो कि खुलना-दर्शना ब्ॉाडगेज लाइन की लागत 3506 करोड़ टका है। इसमें से 2689 करोड़ टका भारतीय सहायता से मिलेंगे। इस रेललाइन पर 147 पुलों का निर्माण किया जाएगा। पार्वतीपुर से कौनिया तक मीटरगेज लाइन को डुअल-गेज लाइन में बदलने की परियोजना में सात रेलवे स्टेशनों के साथ-साथ 47 पुल हैं। पार्वतीपुर-कौनिया रेललाइन के बन जाने के बाद भारत, नेपाल और भूटान के साथ बांग्लादेश की कनेक्टिविटी तेजी से बढ़ जाएगी। इसके अलावा पार्वतीपुर-कौनिया रेलवे लाइन परियोजना बाइरोल और राधिकापुर को जोड़ेगी।

दोनों देशों के बीच रेल मार्ग से जुड़ी परियोजनाओं में बांग्लादेश के मोंगला पोर्ट परियोजना भारत के पूर्वोत्तर राज्यों व पश्चिम बंगाल को जोड़ने में प्रमुख भूमिका निभाएगी। वर्तमान में पूर्वोत्तर के राज्यों तक जाने के लिए भूटान-चीन-भारत सीमा के पास चिकन नेक से गुजरना होता है। खुलना और मोंगला पोर्ट के बीच 64.7 किलोमीटर की सिंगल लाइन रेल परियोजना पर बना रेल पुल विशेष महत्व वाला है। दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से इस पुल का उद्घाटन किया। दरअसल दोनों देशों का जोर आपसी व्यापार बढ़ाने का है, इसीलिए जल, रेल व हवाई संपर्क बढ़ाने पर जोर है। विदित हो कि बीते पांच साल में द्विपक्षीय व्यापार 9 अरब से 18 अरब डॉलर अर्थात 1.42 लाख करोड़ रुपये पहंुच गया है।

भारत और बांग्लादेश के बीच समग्र आर्थिक साझोदारी समझौते पर इसी वर्ष बातचीत प्रारम्भ कर दी जाएगी, लेकिन इस बाबत किसी समझौते पर हस्ताक्षर तभी किए जाएंगे जब संयुक्त राष्ट्र की तरफ से बांग्लादेश को एलएसडी की श्रेणी से हटाकर विकासशील देशों की श्रेणी में कर दिया जाएगा। यह फैसला 6 सितम्बर को दोनों देशों के प्रमुखों के बीच लिया गया। दरअसल अब दोनों देशों के बीच सड़क, रेल एवं समुद्री मार्ग की कनेक्टिविटी कराफी बढ़ गई है जिस कारण दोनों देशों के बीच कारोबार भी बढ़ गया है। ऐसे मे भारत एशिया में बांग्लादेश का सबसे बड़ा बाजार बन गया है, इसलिए दोनों देशों के बीच समग्र आर्थिक साझोदारी समझौते पर वार्ता किया जाना आवश्यक हो गया है। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में भारत अभी अमेरिका, ब्रिटेन व यूरोपीय संघ के साथ सीपा समझौत की वार्ता कर रहा है। संभावना है कि आने वाल दिनों में बांग्लादेश भी इसमें शामिल हो जाएगा। कुल मिलाकर भारत-बांग्लादेश ने 50 वर्षों के मजबूत संबंधों में विभिन्न क्षेत्रों में अपनी साझोदारी को काफी आगे बढ़ाया है। उम्मीद की जानी चाहिए कि शेख हसीना की यह यात्रा दोनों देशों के बीच के संबंधों को नए आयाम प्रदान करेगी।

( ये लेखक के अपने विचार हैं। )

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