ओ.पी. चौधरी का लेख : विश्व में बढ़ी भारत की साख

ओ.पी. चौधरी का लेख : विश्व में बढ़ी भारत की साख
X
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर थे। इन दिनों उनका प्रवास खूब चर्चा में है। वैश्विक आर्थिक मंदी और दुनिया की प्रतिकूल परिस्थिति में भी भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में भारत अपनी स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और सशक्त छवि गढ़ने में सफल हुआ है।

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के आधिकारिक दौरे पर थे। इन दिनों उनका प्रवास खूब चर्चा में है। वैश्विक आर्थिक मंदी और दुनिया की प्रतिकूल परिस्थिति में भी भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में भारत अपनी स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और सशक्त छवि गढ़ने में सफल हुआ है। कांग्रेस शासनकाल में भ्रष्टाचार, आतंकवाद और वैश्विक दबाव में रहने वाला नेतृत्व,पड़ोसी द्वारा किये गये हमलों के लिए कभी यूएन, कभी अमेरिका या कभी रूस से शिकायत करता था । मोदी के नेतृत्व का नया भारत अपनी शक्ति के कारण तीसरी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी (Prime Minister Modi) का अमेरिका प्रवास इन दिनों चर्चा में रहा। अब तक 7 बार अमेरिकी दौरे पर जा चुके प्रधानमंत्री की यह अमेरिका की पहली राजकीय यात्रा रही। मोदी भारत के ऐसे तीसरे राजनेता हैं, जिन्हें अमेरिका ने यह सम्मान दिया है। मोदी के इस प्रवास को संपूर्ण विश्व काफी करीब से देख रहा है, क्योंकि इसके दूरगामी परिणाम देश के साथ-साथ वैश्विक हालातों को भी प्रभावित करेंगे। मोदी जब भी विदेशी दौरों पर जाते हैं, विविधतापूर्ण भारतीय संस्कृति के गौरव को विश्व पटल पर रखते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फर्स्ट लेडी डॉ. जिल बाइडेन को एक 7.5 कैरेट का ग्रीन डायमंड उपहार में दिया है| यह सौर और पवन ऊर्जा से बना ईको-फ्रेंडली हीरा, भारत के उभरते सनराइज सेक्टर का प्रतीक है| प्रेसिडेंट जो-बाइडेन को मोदी ने विशेष चंदन का डिब्बा भेंट किया, जिसमें भारतीय संस्कृति की झलक मिलती है|

प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा भारत-अमेरिका के बीच लगभग 22 हजार करोड़ रुपये के रक्षा सौदे के साथ निवेश के नए आयाम स्थापित करेगी। वैश्विक आर्थिक मंदी और दुनिया की प्रतिकूल परिस्थिति में भी भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था वैश्विक बाजार को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। भारत स्वदेश में जेट इंजन तकनीक और लड़ाकू विमानों के निर्माण के लिए आधारभूत संरचना विकसित करना चाहता है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच सकारात्मक परिणाम निकले हैं। भारत सरकार के प्रयासों से हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड एवं अमेरिका के जनरल इलेक्ट्रॉनिक के बीच करार हुआ है| रक्षा के क्षेत्र में यह भारत की आत्मनिर्भरता हेतु महत्वपूर्ण कदम है| वहीं स्पेस सेक्टर की बात करें तो नासा भारतीय एस्ट्रॉनोट्स को अंतरिक्ष कार्यक्रमों के लिए प्रशिक्षण देगा। एप्पल ने पहले से ही भारत में अपनी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू कर दी है,जिससे भारत में रोजगार के अवसर उत्पन्न होने के साथ, एप्पल के प्रोडक्ट्स के दामों में भी कमी आयी है| कार निर्माता कंपनी टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने मोदी से मुलाकात के दौरान भारतीय बाजार में निवेश करने की प्रतिबद्धता जताई है।

वाइब्रेंट गुजरात के समय से देखा जा सकता है कि मोदी के पास विदेशी निवेशकों को आश्वस्त करने में महारत है| इस बार व्हाइट हाउस में भारत और अमेरिका के प्रमुख उद्योगपतियों की बैठक में भविष्य के योजनाओं पर भी चर्चा हुई, जिसके दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। भारत और अमेरिका के संबंध सिर्फ कूटनीतिक और व्यापारिक रिश्तों तक ही सीमित नहीं हैं| एक बड़ी प्रवासी भारतीय आबादी अमेरिका में दशकों से रह रही है, जिसके कारण इन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंध भी बने हैं। यह भारतीय डायस्पोरा,भारत और अमेरिका के दीर्घकालिक संबंधों का आधार है| कुछ वर्ष पहले भारतीय प्रवासियों के समक्ष एच1 वीजा को लेकर शंका उत्पन्न हुई थी, लेकिन इस दौरे में जो-बाइडेन से द्विपक्षीय वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी प्रशासन ने यह स्पष्ट किया कि अब एच1बी वीजा के नवीकरण के लिए अमेरिका से बाहर नहीं जाना पड़ेगा| दोनों देशों के बीच 'पीपल टू पीपल इनिशिएटिव' में प्रवासियों कि सहायता हेतु नीतियां लाई जाएंगी| एक ओर अमेरिकी शहर सिएटल में भारत नए वाणिज्यिक दूतावास की स्थापना कर रहा है, तो वहीं दूसरी ओर बेंगलुरु में अमेरिका ने अपने दूतावास खोलने की स्वीकृति दी है। इससे दोनों देशों में काम कर रहे लोगों, विशेषकर आईटी प्रोफेशनल्स को काफी सहूलियत होगी।

2014 में मेडिसन स्क्वायर के ऐतहासिक आयोजन से लेकर इस यात्रा तक, मोदी ने विदेशों में रह रहे भारतीयों को संगठित किया है| अब विदेश में रहने वाले भारतीय, भारत से अपने रिश्तों के प्रति ज्यादा प्रतिबद्ध महसूस करते हैं| इसी का परिणाम है कि डोनाल्ड ट्रम्प ने भी अमेरिका में चुनाव से पूर्व भारत आकर, भारतीय मूल के वोटरों को एक संदेश देने का प्रयास किया था| विदेशों में रहने वाले किसी भी भारतीय मूल के व्यक्ति से अगर पूछा जाए तो वह यह बात प्रत्यक्ष रूप से स्वीकारता है कि मोदी के नेतृत्व में भारत का मान विदेशी सरकारों एवं नागरिकों के समक्ष बढ़ा है| उन्हें अब एक आश्रित प्रवासी नहीं, अपितु एक सशक्त राष्ट्र से संबंध रखने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जाता है| प्रधानमंत्री मोदी ने अमेरिकी संसद को लगभग 58 मिनट तक संबोधित किया| अमेरिकी सांसदों ने 15 बार खड़े होकर और 79 बार तालियों की गड़गड़ाहट से मोदी के बयानों का स्वागत किया। राजनीतिक तौर पर विरोधी माने जाने वाली उपराष्ट्रपति कमला हैरिस और क्लिंटन तक मोदी के अभिभाषण से मंत्रमुग्ध हो गए। यह दूसरा अवसर है जब मोदी ने अमेरिका के संयुक्त सदन को संबोधित किया।

अमेरिकी इतिहास में विंस्टन चर्चिल और नेलशन मंडेला के बाद मोदी दुनिया के तीसरे नेता हैं, जिन्होंने अमेरिकी संयुक्त संसद को दो बार संबोधित किया है। आज पूरी दुनिया टेकनॉलाजी में एआई के कारण बड़े परिवर्तन के मोड़ पर खड़ी है। ऐसे में मोदी ने डिप्लोमेसी में एआई को नए तरीके से पारिभाषित किया ए फ़ॉर अमेरिका, आई फ़ॉर इंडिया। साथ ही डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर भी बल दिया। बाइडेन ने भारत अमेरिका की मित्रता को 21वीं सदी का सबसे महत्वपूर्ण संबंध करार दिया। मोदी ने बेबाकी से पाकिस्तान संपोषित आतंकवाद और चीन की विस्तारवादी नीतियों की आलोचना की। अमेरिका एवं अन्य एशियाई देश यह भलीभांति समझते हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोकने में भारत ही एक सक्षम राष्ट्र है। इस राजकीय यात्रा पर चीन और पाकिस्तान की असहजता इस बात को प्रमाणित भी करती है। पिछले कुछ महीनों के घटनाक्रमों को देखकर भारत के बढ़ते प्रभाव को समझना आवश्यक है| जी-20 कि अध्यक्षता में पूरा विश्व भारत के भव्य आयोजन को न केवल सराहा रहा है,अपितु यह भी देख रहा है कि किस प्रकार भारत ग्लोबल साउथ, अर्थात अविकसित एवं विकासशील देशों की आवाज बन रहा है।

कश्मीर एवं लेह में जी-20 के मीटिंग्स रखकर,हमारे नेतृत्व ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी सम्प्रभुता में किसी प्रकार का समझौता नहीं करेगा| इनमे चीन और पाकिस्तान के विरोध के बाद भी सभी प्रमुख राष्ट्रों ने भाग लिया,जो हमारी बहुत बड़ी कूटनीतिक विजय है| पापुआ न्यू गुएना के प्रधानमंत्री द्वारा मोदी जी के पैर छूकर उनके प्रति आभार व्यक्त करना और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री का मोदी को ‘बॉस’ कहकर उनका अभिवादन करना,मोदी की दूरगामी विदेश नीतियों की सफलता के प्रतिबिंब है । मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 साल में भारत अपनी स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और सशक्त छवि गढ़ने में सफल हुआ है। कांग्रेस शासनकाल में भ्रष्टाचार, आतंकवाद और वैश्विक दबाव में रहने वाला नेतृत्व,पड़ोसी द्वारा किये गये हमलों के लिए कभी यूएन,कभी अमेरिका या कभी रूस से शिकायत करता था। मोदी के नेतृत्व का नया भारत अपनी शक्ति, सद्भावना एवं विश्वसनीयता के कारण एक तीसरी महाशक्ति के रूप में उभर रहा है।

ओ.पी. चौधरी (लेखक, छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश महामंत्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

यह भी पढ़ें - Rewari : नौकरी के नाम पर साइबर ठगी के 4 आरोपी काबू

Tags

Next Story