हरिभूमि संपादकीय लेख: भारत के क्षेत्रों में पाक को चुनाव का हक नहीं

आजादी के कुछ बाद के वक्त से ही गिलिगत-बाल्टिस्तान पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा न केवल अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन है, बल्कि संयुक्त राष्ट्र की भावना के भी खिलाफ है। गिलिगत-बाल्टिस्तान में चुनाव का आदेश देकर पाकिस्तान की सुप्रीम अदालत ने भारत के अधिकार क्षेत्र में बेजा दखल दी है। यह किसी से छिपा नहीं है कि 1947 के समय के वृहत जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा बना था। जिसमें आज के पीओके, गिलगित-बाल्टिस्तान, लद्दाख, और जम्मू-कश्मीर सम्मलित थे। आजादी के तुरंत बाद पाकिस्तान का तत्कालीन जम्मू-कश्मीर पर हमला करना और उसके बाद उस वक्त जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय होना सर्वविदित है। पीओके व गिलगित-बाल्टिस्तान को भारत को लौटाने के संयुक्त राष्ट्र के स्पष्ट आदेश के बावजूद पाकिस्तान ने अभी तक उस पर अमल नहीं किया है।
अब तक पाकिस्तान ने पीओके व गिलगित-बाल्टिस्तान में कभी चुनाव नहीं कराया है और न ही उसे अपना हिस्सा बनाया है। इन पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। पाक सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों पाक सरकार को गिलगित-बाल्टिस्तान में आम चुनाव कराने और इससे संबंधित 2018 के एक केंद्रीय कानून में संशोधन का आदेश दिया था। पाक अदालत का यह आदेश देना गलत है, क्योंकि गिलगित-बाल्टिस्तान पाकिस्तान का वैध हिस्सा ही नहीं है। भारत ने चुनाव कराए जाने के आदेश का कड़ा विरोध कर सराहनीय काम किया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि पीओके व गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, चूंकि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है, लिहाजा पाकिस्तान इसे फौरन खाली कर दे। उसका यहां कब्जा गैरकानूनी है। सरकार ने पाकिस्तान के एक वरिष्ठ राजनयिक को तलब कर उन्हें अपना पक्ष बता दिया है। भारत ने पाकिस्तान को साफ बताया है कि पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान कानूनी तौर पर भारत का हिस्सा हैं। अवैध कब्जे वाले इस हिस्से पर पाकिस्तान सरकार या वहां की अदालतें कोई फैसला नहीं ले सकतीं।
भारत इन हरकतों को कभी सहन नहीं करेगा। विदेश मंत्रालय के मुताबिक, पाकिस्तान की हालिया हरकतें गैरकानूनी कब्जों पर पर्दा नहीं डाल सकतीं। पाकिस्तान का यह आरोप कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में मानवाधिकार उल्लंघन हो रहा है, पूरी तरह गलत है। उल्टे पाकिस्तान कश्मीर में आतंकवाद निर्यात कर रहा है। जम्मू-कश्मीर में लोग सात दशकों से पूरी आजादी के साथ रह रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में लगातार चुनी हुई सरकार रही है। वहां सबकुछ कानून के मुताबिक है। इसके उलट पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान सरकार के जुल्म लगातार बढ़े हैं, वहां पाक सरकार मानवाधिकार का उल्लंघन करती रही है। पाकिस्तान को किसी भी भारतीय क्षेत्र में चुनाव कराने का अधिकार ही नहीं है, न ही वह इस क्षेत्र के लिए कोई नया कानून बना सकता है। जो चीज पाक के कानूनी दायरे में नहीं है, उसके लिए वहां की सर्वोच्च अदालत का आदेश पारित करना भी चौंकाने वाला है। पाकिस्तान को चाहिए कि संयुक्त राष्ट्र के आदेश का पालन करते हुए पीओके व गिलगित-बाल्टिस्तान छोड़ दे। भारत को जल्द से जल्द अपने इन दोनों क्षेत्रों को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के लिए सार्थक प्रयास करना चाहिए। अब तक ये दोनों क्षेत्र भारत के अधिकार में आ जाने चाहिए थे। लेकिन अब किसी प्रकार की देर नहीं होनी चाहिए। भारत शांति का मार्ग अपनाते हुए अपने क्षेत्र पर अधिकार जताए। पीओके व गिलगित-बाल्टिस्तान की पाकिस्तान से मुक्ति जरूरी है।
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