कृष्णमोहन झा का लेख : जनसंख्या नियंत्रण राष्ट्र हित में

कृष्णमोहन झा का लेख : जनसंख्या नियंत्रण राष्ट्र हित में
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संघ प्रमुख मोहन भागवत ने जनसंख्या असंतुलन के कारण राष्ट्र का विकास पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों की चर्चा करते हुए समग्र जनसंख्या नीति तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि कोई नीति समाज के हित सुनिश्चित करती है तो समाज उसे मान्यता प्रदान करता है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने भी भागवत के इन विचारों का समर्थन किया है। कुरैशी ने संघ प्रमुख के जनसंख्या संबंधी विचारों को संतुलित बताते हुए कहा कि भागवत के विचारों को किसी समुदाय विशेष के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने किसी समुदाय समुदाय पर अंगुली नहीं उठाई है। परिवार नियोजन को समाज के सभी वर्गों द्वारा अमल में लाया जाना चाहिए।

सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के लिए समर्पित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना तिथि विजयदशमी के पुनीत अवसर पर प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में आयोजित होने वाली परंपरागत रैली में सरसंघचालक के वार्षिक उद्बोधन की विषय वस्तु के प्रति विशेष उत्सुकता का माहौल बना रहता है। संघ ने इस वर्ष अपने स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में देश की सुविख्यात महिला पर्वतारोही संतोष यादव को आमंत्रित कर इस समारोह को और महत्वपूर्ण बना दिया था। संतोष यादव ने लगातार दो वर्ष में दो बार एवरेस्ट फतह कर अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत का नाम रोशन किया है। संतोष यादव ने संघ के स्थापना दिवस समारोह में उन्हें आमंत्रित करने के लिए संघ को साधुवाद देते कहा कि सनातन संस्कृति हमें विनम्रता सिखाती है । संघ के अनुशासन और धैर्यपूर्ण कार्यपद्धति की प्रशंसा करते हुए संतोष यादव ने कहा कि संघ को दूर से देखने वालों ने संघ के बारे में गलत धारणा बना रखी है। समाज के ऐसे लोगों को संघ के करीब आकर उसको समझना चाहिए। संतोष यादव ने कहा कि उन्हें संघ से बहुत कुछ सीखने को मिला है।

सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस अवसर पर अपने सारगर्भित उद्बोधन के शुरुआत में राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं के योगदान के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि संघ के महत्व पूर्ण कार्यक्रमों में समाज की प्रबुद्ध और कर्तव्यनिष्ठ महिलाओं की उपस्थिति की परंपरा दीर्घकाल से चली आ रही है और उसी कड़ी में संघ के इस स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती संतोष यादव को आमंत्रित किया गया है जिन्होंने दो बार एवरेस्ट फतह करने का गौरव अर्जित किया है। संघ प्रमुख ने देश में मातृशक्ति के प्रति आदर भाव की सनातन परंपरा को कालांतर में भुला कर समाज में महिलाओं की भूमिका को सीमित कर दिया गया। महिलाओं के प्रबोधन, सशक्तिकरण और समाज के सभी क्रियाकलापों में उनकी निर्णायक सहभागिता को सुनिश्चित किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि राष्ट्र की प्रगति में महिलाओं का योगदान पुरुषों के बराबर है।

विजयदशमी के अवसर पर संघ प्रमुख ने अपने इस परंपरागत संबोधन में देश के समक्ष मौजूद गंभीर चुनौतियों की विस्तार से चर्चा करते हुए उनसे निपटने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। संघ प्रमुख ने विशेष रूप से जनसंख्या असंतुलन से उत्पन्न होने वाले खतरों के प्रति सचेत करते हुए कहा कि जन संख्या का असंतुलन किसी भी देश की भौगोलिक सीमाओं में परिवर्तन का कारण बन सकता है । सूडान, इंडोनेशिया और सर्विया के भू-भाग में जनसंख्या असंतुलन के कारण ही दक्षिणी सूडान, ईस्ट तिमोर और कोसोवो राष्ट्र अस्तित्व में आ गए । मोहन भागवत ने कहा कि जन्म-दर में असमानता के साथ ही लोभ लालच, जोर जबर्दस्ती से किया जाने वाला मतांतरण और बड़े पैमाने पर हुई घुसपैठ भी जनसंख्या असंतुलन का कारण बनता रहा है। भागवत ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण के साथ ही पांथिक आधार पर जनसंख्या संतुलन का महत्व भी है जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती । संघ प्रमुख ने जनसंख्या असंतुलन के कारण राष्ट्र का विकास पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों की चर्चा करते हुए समग्र जनसंख्या नीति तैयार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि कोई नीति समाज के हित सुनिश्चित करती है तो समाज उसे मान्यता प्रदान करता है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने भी भागवत के इन विचारों का समर्थन किया है। कुरैशी ने संघ प्रमुख के जनसंख्या संबंधी विचारों को संतुलित बताते हुए कहा कि भागवत के विचारों को किसी समुदाय विशेष के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने किसी समुदाय समुदाय पर अंगुली नहीं उठाई है। पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि परिवार नियोजन को भारतीय समाज के सभी वर्गों द्वारा अमल में लाया जाना चाहिए । इस कार्य में साक्षरता और आमदनी जैसे कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि विजयादशमी की पुनीत तिथि पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नागपुर स्थित मुख्यालय में जब संघ का स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया जा रहा था तभी संघ के ही एक आनुषंगिक संगठन राष्ट्रीय मुस्लिम मंच ने देश में समान नागरिक संहिता और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाए जाने की मांग करते हुए बयान जारी किए।

संघ प्रमुख ने के समसामयिक महत्वपूर्ण सुझाव समाज और सरकार दोनों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इसमें छिपे मर्म को समझने की आवश्यकता है क्योंकि जब भी राष्ट्र के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए बहुमूल्य सुझावों के साथ सामने आते हैं तो वे न केवल समाज और सरकार का उचित मार्गदर्शन करते हैं बल्कि सचेत करने का भाव भी परिलक्षित होता है।

संघ के 98 वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में संघ प्रमुख के उदगार में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मातृशक्ति का सम्मान, देश की प्रगति में महिलाओं को पुरुषों के बराबर योगदान का अधिकार प्रदान करने के लिए उनका सशक्तिकरण, जनसंख्या नियंत्रण की आवश्यकता, आत्म निर्भरता , शक्ति शाली राष्ट्र निर्माण आदि स्वागतयोग्य हैं। संघ ने इसी राह पर चलते हुए 97 वर्षों का सफर तय किया है और तमाम अवरोधों और व्यवधानों का सामना करते हुए विश्व के सबसे बड़े स्वयं सेवी संगठन होने का गौरव अर्जित किया है। संघ प्रमुख ने कहा कि अज्ञान, असत्य, द्वेष , भय अथवा व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण संघ के विरुद्ध होने वाले अपप्रचार में कमी आई है और समाज में संघ की स्वीकार्यता बढ़ी है। अब संघ को जो स्नेह और विश्वास का लाभ मिल रहा है उसने संघ की शक्ति में इजाफा किया है। संघ प्रमुख ने अपने संदेश में स्पष्ट कहा है कि संघ की विचारधारा से किसी को भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। संघ पूरी दृढ़ता से आपसी भाईचारे, शांति और भद्रता के पक्ष में खड़ा है। संघ ने एकात्म और समरस भारत की कल्पना की है। भारत भक्ति, पूर्वजों के उज्ज्वल आदर्श और सनातन संस्कृति, इन तीन दीप स्तंभों द्वारा प्रकाशित व प्रशस्त पथ पर मिल जुल प्रेम पूर्वक चलना ही हमारा स्व और यही राष्ट्रधर्म है। मोहन भागवत ने अपने उद्बोधन का समापन महर्षि अरविन्द के उस ऐतिहासिक संदेश को उद्धृत करते हुए किया जो मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने की प्रेरणा देता है । महर्षि अरविन्द ने अपने इस संदेश में कहा था कि राष्ट्र के इतिहास में ऐसा समय आता है जब नियति उसके सामने ऐसा एक ही लक्ष्य और एक ही कार्य रख देती है जिस पर अन्य सब कुछ न्यौछावर करना पड़ता है चाहे वह कितना भी उन्नत और उदात्त क्यों न हो।

(लेखक कृष्णमोहन झा, स्वतंत्र पत्रकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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