प्रो. कन्हैया त्रिपाठी का लेख : महाकुंभ से नए भविष्य की उम्मीद

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जी-20 का यह सम्मेलन निःसंदेह एक अवसर है और इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए ज्यादा भविष्योन्मुखी बनाते हैं तो हमारी एकजुटता आने वाली पीढ़ी के लिए सुख का आधार बनेगी। जी-20 एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से वैश्विक स्तर पर चीजों को ठीक किया जा सकता है। उन सारे मिथकों तोड़ा जा सकता है जिससे हमारे बीच मनभेद होते हैं।

जी-20 का यह सम्मेलन निःसंदेह एक अवसर है और इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए ज्यादा भविष्योन्मुखी बनाते हैं तो हमारी एकजुटता आने वाली पीढ़ी के लिए सुख का आधार बनेगी। आज जब देशों के भीतर कटुता बढ़ी है, प्रतिस्पर्धाएं हैं, वरना अशांति, युद्ध, संघर्ष, विस्थापन, अराजकता साऊथ एशिया में खतरनाक मोड़ पर हमें खड़ा कर चुके हैं। साउथ एशिया में स्त्रियों की स्थिति ठीक नहीं है। सीमा क्षेत्राें में तनाव बहुत से देशों के बीच आम बात हो गई है। जी-20 एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से वैश्विक स्तर पर चीजों को ठीक किया जा सकता है। उन सारे मिथकों तोड़ा जा सकता है जिससे हमारे बीच मनभेद होते हैं।

नई दिल्ली सजी है। जी-20 शिखर सम्मेलन भारत की राजधानी में पूरे जोश के साथ आयोजित हुआ है। पूरे वर्ष आयोजित सभी जी-20 प्रक्रियाओं और बैठकों का समापन का यह अवसर है। जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन पर जी-20 नेताओं की घोषणाओं को अपनाया जाएगा। व्यक्त सहमतियां प्राथमिकताओं के आधार पर प्रतिबद्धता में बदलेंगी, ऐसी उम्मीद है। इस विशेष सम्मलेन में वर्ष भर भारत ने अपनी ओर रिझाया और आने वाले मेहमानों का पूरी आत्मीयता से अभिनन्दन किया। कुछ अपनी सुनाई कुछ उनकी सुनी। जी-20 की यह सबसे बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत मंडपम में इस सम्मेलन में भारत की ओर से अगवानी करेंगे। आयोजन से पूर्व ही प्रधानमंत्री ने भारतीय विरासत को रेखांकित किया है।

प्रधानमंत्री के अनुसार भारत मंडपम में भव्य नटराज प्रतिमा हमारी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं को जीवंत करती है। जैसे ही दुनिया जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए एकत्रित होगी, यह भारत की सदियों पुरानी कलात्मकता और परंपराओं के प्रमाण की साक्षी बनेगी। भारत ने वसुधैव कुटुंबकम के हमारे प्राचीन लोकाचार में निहित 'एक पृथ्वी-एक परिवार एक भविष्य' की जी-20 थीम रखी थी जो यह रेखांकित करती है कि भारत की प्रगति और वृद्धि केवल उसके लिए नहीं अपितु पूरी मानवता के लिए है। पूरे इतिहास में, हमारी संस्कृति कई मामलों में गर्व से विकसित हुई है और इसका बड़ा उदहारण है कि हम पूरी पृथ्वी से आत्मीयता रखते हैं और सबको एक परिवार मानते हैं। देखा जाए तो इसका कारण वैदिक मूल्य और प्राचीन ज्ञान परंपरा है जिस पर यह आधारित है, ऐसा कहा जाए तो कोई दो मत नहीं।

अब यदि विगत एक वर्ष में भारतीय मेजबानी की ओर नज़र डालें तो हमें यह पता चलता है कि जी-20 सम्मेलन देशों को कनेक्ट किया है। हमारी जी-20 अध्यक्षता के अंत तक, सभी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों के 60 शहरों में 220 से अधिक बैठकें हो चुकी होंगी। लगभग 125 राष्ट्रीयताओं के 1 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने भारत का दौरा किया है। वे सभी हमारे देश में 1.5 करोड़ से अधिक व्यक्ति इन कार्यक्रमों में शामिल हुए। भारत की भारतीयपन, सामाजिक, आर्थिक, राजनितिक, सांस्कृतिक, कृषि क्षेत्र और ऊर्जा, डिजिटल प्रतिबद्धता, एकीकरण, साझेदारी आदि विभिन्न पहलुओं से अवगत हुए हैं। इस पैमाने की बैठकें आयोजित करना, विदेशी प्रतिनिधियों की मेजबानी करना, सबका ख्याल रखना और सबके कल्याण की कामना एक ऐसा प्रयास है जो दुनिया के बुनियादी ढांचे, आतिथ्य और सांस्कृतिक गतिविधियों के मामले में महान क्षमता निर्माण को इंगित करता है। भारतीय मेजबानी

इस जी-20 प्रेसीडेंसी के तहत हमारे लोकतंत्रीकरण को परिलक्षित करती है और यह बताती है कि भारत विभिन्न शहरों के लोगों, विशेषकर युवाओं की क्षमता निर्माण में बहुत निवेश किया है जिसके कारण भारत विकसित राष्ट्र की श्रेणी में पहुंचने के लिए तेजी से गतिमान है। हमारी भागीदारी के आदर्श सबकी सफलता में निहित है। भारत एक आशावादी स्वप्नदर्शी देश है। उन्नत सोच के साथ अच्छे नेतृत्व के साथ वैश्विक संबंधों का निर्वाह करते हुए जब भी आगे बढ़ेगा दुनिया में आशावाद की भावना से भरा होगा। आने वाले प्रतिभागियों की प्रतिक्रिया उनके अपने स्वदेश पुनर्वापसी पर छपे अख़बारों में मिल रही हैं। भारत में आकर जी-20 सम्मलेन में सम्मिलित होकर गए लोगों में यह भी विश्वास होता है कि भारत के पास देने के लिए बहुत कुछ है और उसे वैश्विक भविष्य को आकार देने में एक बड़ी भूमिका निभानी चाहिए। यह उनसे आई प्रतिक्रियाओं में भी देखा गया है कि जी-20 मंच के माध्यम से हमारे काम के लिए समर्थन आगंतुक करते रहे हैं

राष्ट्रों के बीच आम सहमति डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा, साइबर सुरक्षा और डिजिटल कौशल पर हुई है। डिजिटल दुनिया में डिजिटल कौशल होगा तो डिजिटल अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। दुनियाभर से युवा और प्रतिभाशाली दिमागों का प्रतिनिधित्व देखने को मिलेगा। इस महान आयोजन के समापन के बाद जो हमारे साझे मूल्य स्थापित होंगे, प्रतिबद्धताएं स्थापित होंगी, और जो रणनीतियां बनेंगी वे असरकारक होंगी। एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य की जो तासीर इस जी-20 में भारत ने जगाई है उसे बस जिंदा रखने की ज़रूरत है। इससे दुनिया के देश साझे मूल्यों को साझी रणनीति के साथ जी सकेंगे। यह देशों के लोकतांत्रिक सातत्य, विकास और सनातन समृद्धि के लिए आवश्यक है। यह आवश्यक है मानवता के साथ जीने की प्रतिबद्धता के लिए भी। देशों के वैयक्तिक हित इसमें आड़े आएंगे।

उनकी साम्राज्यवादी बनने या कहलाने की भूख पर चोट इसमें होगी, लेकिन यदि मनुष्यता, करुणा और दया, साथ ही सह-अस्तित्व के लिए जमीन तैयार हो रही है तो यह आवश्यक है। देशों में संवाद और सहयोग की भावना व्याप्त होगी तो हमारी साझी समस्याएं जो हमें चुनौती देती हैं, उसका हम सामना कर सकेंगे। जी-20 में जुटे राष्ट्राध्यक्ष या देशों के शिष्टमंडल इस भारत मंडपम के भीतर और बाहर जो साझे मूल्यों के साथ, साथ-साथ चलने के लिए प्रतिबद्धता दर्ज करें, उसे वे निभाएं भी, ज़रूरत इस बात की होगी जो कह रहे हैं, उसे याद रखें।

जी-20 का यह सम्मेलन निःसंदेह एक अवसर है और इस अवसर को ऐतिहासिक बनाने के लिए ज्यादा भविष्योन्मुखी बनाते हैं तो हमारी एकजुटता आने वाली पीढ़ी के लिए सुख का आधार बनेगी। आज जब देशों के भीतर कटुता बढ़ी है, प्रतिस्पर्धाएं हैं, वरना अशांति, युद्ध, संघर्ष, विस्थापन, अराजकता साऊथ एशिया में खतरनाक मोड़ पर हमें खड़ा कर चुके हैं। साऊथ एशिया में स्त्रियों की स्थिति ठीक नहीं है। सीमा क्षेत्राें में तनाव बहुत से देशों के बीच आम बात हो गई है। जलवायु परिवर्तन की समस्या है। जी-20 एक ऐसा मंच है जिसके माध्यम से वैश्विक स्तर पर चीजों को ठीक किया जा सकता है।

उन सारे मिथकों तोड़ा जा सकता है जिसकी वजह से हमारे बीच मनभेद होते हैं। आज यह आवश्यक है कि हम एक दूसरे को जोड़ कैसे सकते हैं, यह विचार हो। सकारात्मकता और सच्ची प्रतिबद्धता से आगे बढ़ने की चाह ही वैश्विक स्तर पर करिश्माई परिवर्तन ला सकते हैं। आज साथ चलने की प्रवृत्ति का अभाव इस दिशा में बड़ी बाधा है यह कैसे कम हो सकता है, इस पर विचार यदि सारे देश करते हैं तो इसमें कोई दो मत नहीं कि हमारे ढांचागत विकास, नवोन्मेषी भविष्य, बेहतर पृथ्वी और सुंदर जलवायु के साथ हम आगे बढ़ेंगे।

यह एक अवधारणात्म कपरिकल्पना नहीं है। यह प्रैक्टिस में लाने की सोच पर निर्भर संकल्पना है जिसे जी-20 देश इस महासम्मेलन के दौरान और इसके बाद यदि अपनाते हैं तो वैश्विक स्तर पर इसके हमारे सामने होंगे। नई अवधारणा विकसित करना आज ज़रूरत भी है तो उम्मीद यह की जानी चाहिए कि वे उत्कृष्ट भविष्य की ओर उन्मुख होंगे। निःसंदेह भारत की सनातन सभ्यता की अपनी लीगेसी, स्लोगन और उसकी अपनी प्रतिबद्धता के साथ जी-20 मेजबानी का यही उद्देश्य भी है।

प्रो. कन्हैया त्रिपाठी (लेखक राष्ट्रपति के विशेष कार्य अधिकारी रह चुके हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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