डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : कारोबार सुगमता का लाभदेय परिदृश्य

डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : कारोबार सुगमता का लाभदेय परिदृश्य
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हाल ही में लोकसभा में जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दे दी गई है, वह उद्योग-कारोबार बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए विगत 9 वर्षों में करीब 1,500 पुराने कानूनों और 40 हजार अनावश्यक अनुपालन को समाप्त कर दिया गया है। आर्थिक क्षेत्र में जीएसटी और दिवालिया कानून जैसे सुधार किए गए हैं। बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार सुधार करके मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद की मदद से अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया गया है। कारोबार सुगमता के लिए ऐसे और अधिक प्रयासों से देश में उद्योग और कारोबार, निर्यात, निवेश तथा रोजगार के मौके बढ़ेंगे।

हाल ही में लोकसभा ने जिस जन विश्वास (प्रावधान संशोधन) विधेयक, 2023 को मंजूरी दी है, वह उद्योग-कारोबार बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसमें कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 42 अधिनियमों में 183 प्रावधानों में संशोधन कर छोटी-मोटी गड़बड़ियों को अपराध की श्रेणी से हटाने का प्रस्ताव किया गया है। ये 42 कानून जिन विभिन्न 19 केंद्रीय मंत्रालयों से संबद्ध हैं। उनमें मंत्रालयों में वित्त, वित्तीय सेवाएं, कृषि, वाणिज्य, पर्यावरण, सड़क परिवहन और राजमार्ग, डाक, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी शामिल हैं। विभिन्न अधिनियमों में संशोधन के जरिये मुकदमों में वृद्धि से बचने के लिए जहां भी संभव हो कारावास के साथ जुर्माने को हटाकर नियम का उल्लंघन करने पर मौद्रिक दंड लगाए जाने तथा छोटे-मोटे अपराधों को अपराधमुक्त करने के प्रस्ताव के अलावा अपराध की गंभीरता के आधार पर मौद्रिक दंड को तर्कसंगत बनाने, भरोसे पर आधारित राजकाज को बढ़ावा देने के भी प्रस्ताव किए गए हैं।

ज्ञातव्य है कि उद्योग-कारोबार को आसान बनाने के लिए विगत 9 वर्षों में करीब 1,500 पुराने कानूनों और 40 हजार अनावश्यक अनुपालन को समाप्त कर दिया गया है। आर्थिक क्षेत्र में जीएसटी और दिवालिया कानून जैसे सुधार किए गए हैं। बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार सुधार करके मजबूत वृहद आर्थिक बुनियाद की मदद से अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया गया है। कॉरपोरेट टैक्स को कम किया गया है। कारोबार का खुद संचालन करने के बजाय सरकार ने कारोबार करने के लिए आधार तैयार किया है। गौरतलब है कि 17 जुलाई को विश्व की प्रसिद्ध ब्रोकरेज कंपनी बर्नस्टीन के द्वारा भारत में आर्थिक-वित्तीय सुधार एवं डिजिटलीकरण पर प्रकाशित रिपोर्टें में कहा गया है कि भारत ऐतिहासिक सुधारों, बुनियादी ढांचा विकास, वित्तीय समावेशन और डिजिटलीकरण के बल पर कारोबार सुगमता की डगर पर लंबी छलांग लगाते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। इन दिनों प्रकाशित हो रही कारोबार की अनुकूलताओं से संबंधित अन्य कई वैश्विक रिपोर्टें भारत में कारोबार सुगमता के परिवेश को रेखांकित करते हुए दिखाई दे रही हैं। संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी) की डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा संबंधी रिपोर्ट में भारत 140 देशों को पीछे छोड़ते हुए दुनिया में सबसे आगे पहुंच गया है। रिपोर्ट के मुताबिक पारदर्शिता, औपचारिकताएं, संस्थागत व्यवस्था, सहयोग और कागज रहित व्यापार संबंधी मूल्यांकन में भारत ने 100 प्रतिशत की उत्कृष्ट रैंक हासिल की है। दो वर्ष पहले 2021 में प्रकाशित डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधा रिपोर्ट में भारत ने 90.32 फीसद अंक हासिल किए थे तथा वर्ष 2019 में इस रिपोर्ट में भारत को 78.49 फीसद अंक मिले थे। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि पिछले चार वर्षों में भारत डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार सुविधाओं में छलांगें लगाकर आगे बढ़ा है। इसमें कोई दो मत नहीं हैं कि कारोबार में बढ़ती अनुकूलताओं के कारण भारत में ख्याति प्राप्त वैश्विक फाइनेंस और कॉमर्स कंपनियां अपने कदम तेजी से बढ़ा रही हैं। इतना ही नहीं भारत से कई विकसित और विकासशील देशों के लिए कई काम बड़े पैमाने पर आउटसोर्सिंग पर हो रहे हैं। अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों की बड़ी कंपनियां नई प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारतीय आईटी प्रतिभाओं के माध्यम से नवाचार को बढ़ावा देने के लिए भारत में अपने ग्लोबल इन हाउस सेंटर (जीआईसी) तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे रही हैं। भारत में स्थित वैश्विक फाइनेंशियल फर्मों के दफ्तर ग्लोबल सुविधाओं से सुसज्जित हैं। इन वैश्विक फर्मों में बड़े पैमाने पर भारतीय युवाओं की नियुक्तियां हो रही हैं। भारत के युवाओं ने डिजिटल और उद्यमिता के क्षेत्र में दुनियाभर में दबदबा कायम किया है। 100 से ज्यादा यूनिकार्न बनाए हैं और एक लाख से ज्यादा नए स्टार्टअप हैं।

निस्संदेह इस समय कारोबार सुगमता के लिए नई लॉजिस्टिक नीति, महत्वाकांक्षी गति शक्ति योजना और नई विदेश व्यापार नीति के द्वारा नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। ऊंचे लॉजिस्टिक अंतर को पाटने और भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में प्रतिस्पर्धी बनाने में नई लॉजिस्टिक नीति के सराहनीय परिणाम दिखाई देने शुरू हुए हैं। विभिन्न 16 विभागों में समन्वय के लिए गति शक्ति योजना और बुनियादी ढांचा कनेक्टिविटी परियोजनाओं के समन्वित कार्यान्वयन के लिए योजना की उच्च प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ा जा रहा है। साथ ही रेलवे, सड़क, बंदरगाह, जलमार्ग, हवाई अड्डे, सार्वजनिक परिवहन और लॉजिस्टिक्स इन्फ्रास्ट्रक्चर के रूप में चिह्नित किए गए सात इंजिनों के तहत भारतमाला (राजमार्ग), सागरमाला, उड़ान, भारत नेट, रेलवे विस्तार और अंतर्देशीय जलमार्ग विस्तार जैसी योजनाओं को समन्वित रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है।

यह बात महत्वपूर्ण है कि एक अप्रैल 2023 से लागू देश की नई विदेश व्यापार नीति विदेश व्यापार को सरल बनाने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। नई विदेश व्यापार नीति के तहत सरकार ने निर्यात के दायरे को बढ़ाने के लिए जिला स्तर पर एक्सपोर्ट हब की स्थापना करने की डगर पर आगे बढ़ी है। जिला स्तर पर निर्यात सुविधा विकसित होने से उस जिले के उत्पाद को आसानी से निर्यात किया जा सकेगा। ई-कॉमर्स जोन की स्थापना की ओर तत्परता से आगे बढ़ा जा रहा है। ऐसे प्रयासों से भारत का ई-कॉमर्स निर्यात 2030 तक 200 से 300 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

निश्चित रूप से डिजिटल एवं टिकाऊ व्यापार के मद्देनजर भारत लाभ की स्थिति में है, लेकिन स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि अभी सीमित संख्या में ही भारत नई डिजिटल की कौशल प्रशिक्षित प्रतिभाएं डिजिटल कारोबार की जरूरतों को पूरा कर पा रही हैं। अब दुनिया की सबसे अधिक युवा आबादी वाले भारत को बड़ी संख्या में युवाओं को डिजिटल कारोबार के दौर की और नई तकनीकी योग्यताओं के साथ एआई, क्लाउड कम्प्यूटिंग, मशीन लर्निंग एवं अन्य नए डिजिटल स्किल्स से सुसज्जित किया जाना होगा। अब भारत के द्वारा यूरोपीय संघ, ब्रिटेन, कनाडा, खाड़ी सहयोग परिषद के छह देशों, दक्षिण अफ्रीका, अमेरिका और इजराइल के साथ एफटीए के लिए प्रगतिपूर्ण वार्ताएं तेजी से पूरी करनी होगी। रुपए को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के रूप में स्थापित करने के लिए अधिक प्रयास करने होंगे। देश की नई विदेश व्यापार नीति, नई लॉजिस्टिक नीति और गति शक्ति योजना की अभूतपूर्व रणनीतियों से भारत को आर्थिक प्रतिस्पर्धी देश के रूप में तेजी बढ़ाना होगा।

हमें इस वर्ष जी-20 की अध्यक्षता के दौरान इस सम्मेलन की विभिन्न बैठकों में लगातार आते जा रहे विशिष्ट विदेशी प्रतिनिधियों को भारत के डिजिटल विकास और कारोबार सुगमता के परिदृश्य से अच्छी तरह परिचित कराना होगा। निश्चित रूप से कारोबार सुगमता के लिए ऐसे और अधिक प्रयासों से देश में उद्योग और कारोबार, निर्यात, निवेश तथा रोजगार के मौके बढ़ेंगे।

(लेखक- डॉ. जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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