ओ. पी. चौधरी का लेख : मोदी की गारंटी पर जनता की मुहर

ओ. पी. चौधरी का लेख : मोदी की गारंटी पर जनता की मुहर
X
एक दिलचस्प आंकड़ा यह कहता है कि पीएम मोदी जी के कार्यकाल में सरकार में रहते हुए कांग्रेस पार्टी को 40 बार राज्यों में चुनाव का सामना करना पड़ा, जिसमें उसे केवल 7 बार सफलता मिली, जिसका अर्थ 18 प्रतिशत सफलता दर है, जबकि भाजपा को 39 बार दोबारा जनादेश लेने का मौका मिला, जिसमें 22 बार सफलता मिली, जिसका अर्थ 56 प्रतिशत सफलता दर है। तीन राज्यों में मिली पूर्ण बहुमत से स्पष्ट है, मोदी की गारंटी जनता के लिए विश्वसनीय हो चुकी है। इन चुनाव परिणामों से इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि, जनता मोदी के नेतृत्व में राज्यों में भी डबल इंजन सरकार के नेतृत्व की पक्षधर है और लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी की वापसी तय है।

छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान में हुए चुनावों में भाजपा ने जबर्दस्त सफलता प्राप्त की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गारंटी, उनके एक दशक लंबे सुशासन के नाम पर जनता ने अपनी मुहर लगाते हुए डबल इंजन सरकार बनाने का जनादेश भी दे दिया है। 2018 के इन्हीं तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार के बावजूद 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने मोदी लहर में तीनों राज्यों में मत प्रतिशत में अप्रत्याशित वृद्धि के साथ जबर्दस्त सफलता प्राप्त की थी। लोकसभा के बाद इस बार विधानसभा में भी इन तीन राज्यों में भाजपा ने जीत का मोमेंटम बरकरार रखा है। यह जीत मोदी की ‘गारंटी’ पर जनता की मुहर है।

2018 के छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में महज 33% वोट और 15 सीटों पर जीत मिलने के बावजूद 2019 लोकसभा चुनावों में भाजपा को 50.70 फीसदी मत और 11 में से 9 सीटें प्राप्त हुई थीं। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में सबसे अधिक 41% मत प्राप्त करके भी भाजपा बहुमत से कुछ पीछे रह गई थी लेकिन जनता ने इसकी भरपाई लोकसभा में करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को 58% वोट और 29 में से 28 सीट दिए। राजस्थान में भाजपा को 38% वोट मिले और महज 73 सीटों पर सिमट गई थी, लेकिन लोकसभा में 59% से अधिक मत एवं 25 में से 25 सीटें प्राप्त हुईं। सीटों के लिहाज से इन तीनों राज्यों के कुल 65 सीटों में भाजपा को 62 सीटों पर सफलता प्राप्त हुई, जो विधानसभा चुनाव में खट्टे अनुभव के बाद एक साल बाद ही 2019 में लोकसभा चुनाव में भाजपा की शानदार सफलता थी।

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत को कुछ चुनावी विश्लेषक और राजनीतिक विशेषज्ञ अप्रत्याशित मान रहे हैं। यह कोई चमत्कार, जादू या सिर्फ तीन महीनों की मेहनत का परिणाम नहीं है। भारतीय जनता पार्टी पूरे पांच साल जनता के बीच रहकर तैयारी की। हाँ, यह जरूर है कि भाजपा का चुनाव प्रबंधन अन्य दलों की तुलना में काफी बेहतर रहा। स्थानीय मुद्दों पर विशेषकर शराब घोटाला, रेत घोटाला, सट्टेबाजी, तुष्टिकरण और आदिवासी क्षेत्रों में धर्मांतरण के मुद्दे को भाजपा ने उठाया। छग की भूपेश सरकार ने विद्वेष की राजनीति करते हुए केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन में अड़ंगा डाला। प्रधानमंत्री आवास योजना में रोके गए 16 लाख आवास के मुद्दे को भाजपा ने प्रमुखता से उठाया। सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक ‘मोर आवास, मोर अधिकार’ की लड़ाई लड़ी। सरकारी भर्ती, विशेषकर पीएससी में हो रही गड़बड़ी का मुद्दा भी प्रमुखता से उठाया गया। गोबर और गोठान के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार को ‘चलबो गोठान, खोलबो पोल’ जैसे अभियान चलाकर जनता के समक्ष लाया गया। कहने का तात्पर्य कि भाजपा वर्ष 2018 के बाद से लगातार जमीन पर काम कर रही थी और कांग्रेस सरकार की नाकामियों को उजागर कर रही थी। छग में भाजपा की जीत टीम वर्क के साथ मोदी की गारंटी की विजय है।

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र की विकास योजनाएं, उनके प्रति जनता की विश्वसनीयता के कारण छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भाजपा की शानदार वापसी संभव हुई है। छत्तीसगढ़ के बस्तर और सरगुजा संभाग में भाजपा ने 26 सीटों में से 22 सीट पर विजय प्राप्त की। 2018 के विधानसभा चुनावों की तुलना में इस बार भाजपा के मत प्रतिशत में लगभग 13 फीसदी की वृद्धि देखी गयी। 2018 में भाजपा को लगभग 33% मत प्राप्त हुए, वहीं 2023 विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 46% से अधिक मत हासिल किए। यह आंकड़ा भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ने का ग्राफ दिखाता है। इस बार तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में जनजातीय बंधुओं ने भाजपा को भरपूर समर्थन दिया है। भाजपा को राजस्थान से लेकर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ तक, अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर जबरदस्त सफलता मिली है। इस बार की जीत जनजातीय क्षेत्र में भाजपा की मजबूती का परिणाम है। केंद्र सरकार के द्वारा पीएम आवास योजना, उज्ज्वला योजना, समेत कई जन हितकारी योजनाएं संचालित हो रही हैं, लेकिन भौगोलिक या अन्य कारणों से दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले हमारे भाई बंधु योजनाओं के लाभ से वंचित रह जाते हैं। केंद्र वंचित जनसमुदाय को लोक कल्याणकारी योजनाओं से आच्छादित करने के लिए 'पीएम जनमन योजना' लेकर आई है।

राजस्थान में तुष्टिकरण, महिलाओं के विरुद्ध बलात्कार के मामले में अप्रत्याशित वृद्धि, दलित-आदिवासियों का शोषण, भ्रष्टाचार, लचर कानून व्यवस्था बड़े चुनावी मुद्दे रहे। भाजपा ने आक्रामक और सुनियोजित ढंग से जनता की लड़ाई लड़ी। इन मुद्दों को जनता के बीच उठाया। कन्हैया लाल हत्याकांड हो या दलित बच्चियों के साथ बर्बरता के मुद्दे, भाजपा लगातार पीड़ितों की आवाज बनकर न्याय के लिए संघर्ष करती रही। मध्य प्रदेश में भाजपा के सुशासन, महिलाओं को केंद्र में रखकर प्रारम्भ की गई विशेष योजनाएँ और मोदी जी की लोकप्रियता एवं विश्वनीयता को ज़न आशीर्वाद प्राप्त हुआ। डबल इंजन सरकार के कारण बेहतर समन्वय के परिणामस्वरूप यहां केंद्रीय योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर ढंग से हो सका, जिसका नतीजा चुनाव परिणामों में भी देखने को मिला।

एक दिलचस्प आंकड़ा यह कहता है कि पीएम मोदी जी के कार्यकाल में सरकार में रहते हुए कांग्रेस पार्टी को 40 बार राज्यों में चुनाव का सामना करना पड़ा, जिसमें उसे केवल 7 बार सफलता मिली, जिसका अर्थ 18 प्रतिशत सफलता दर है, जबकि भारतीय जनता पार्टी को 39 बार दोबारा जनादेश लेने का मौका मिला, जिसमें 22 बार सफलता मिली, जिसका अर्थ 56 प्रतिशत सफलता दर है। तीन राज्यों में मिली पूर्ण बहुमत से स्पष्ट है, मोदी की गारंटी जनता के लिए विश्वसनीय हो चुकी है।

इसी विश्वसनीयता की परंपरा है कि मोदी जी ने अपने जीवनकाल में अपने चेहरे पर गुजरात में लड़े 3 विस एवं केंद्र में लड़े 2 लोकसभा चुनावों में अप्रत्याशित सफलता हासिल की है। गुजरात में उनकी लोकप्रियता अभी तक इस कदर है कि पिछले 27 सालों से सरकार में रहने के बावजूद 2022 के विधान सभा चुनावों में भाजपा ने पुराने सारे रेकॉर्ड ध्वस्त करते हुए किसी एक दल द्वारा सबसे ज्यादा 156 सीट प्राप्त किया। ऐसा प्रतीत होता है जैसे जनता मोदी जी के लिए एंटि-इंकम्बेंसी के बदले प्रो-इन्कम्बेन्सी महसूस करती है। भाजपा भी राज्यों में इसी प्रो-इन्कम्बेन्सी को दुहराते हुए चुनाव जीतने में सफल रही है। इन चुनाव परिणामों से इस निष्कर्ष पर पहुँचा जा सकता है कि, जनता प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राज्यों में भी डबल इंजन सरकार के नेतृत्व की पक्षधर है और आगामी लोकसभा चुनावों में प्रचंड बहुमत के साथ प्रधानमंत्री मोदी की वापसी तय है।

(लेखक- ओ.पी. चौधरी, पूर्व आईएएस अधिकारी और छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रदेश महामंत्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

Tags

Next Story