सुरेश पचौरी का लेख : जनचेतना जगा रही राहुल गांधी की यात्रा

सुरेश पचौरी
बीते आठ वर्षों की राजनीति ने देश को भ्रम और संक्रमण के चैराहे पर लाकर खड़ा कर दिया है। देश और समाज को उन मुद्दों और विषयों के जाल में जकड़ दिया है, जो वास्तव में जनता के सवाल नहीं हैं। जनता की बेहतरी के लिए जो कदम उठाए जाने चाहिए, जैसी नीतियाँ और प्राथमिकताएं होनी चाहिए, महँगाई, बेरोजगारी, नौजवानों का भविष्य, महिलाओं के विरुद्ध बढ़ते अपराध और बच्चों की समस्याएं, शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्रों का निजीकरण-व्यवसायीकरण तथा सार्वजनिक व्यवस्थाओं की बदहाली, इनकी तरफ मौजूदा सरकार की उदासीनता देश के भविष्य को खतरे में डाल रही है। आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश के मौजूदा हालात के बारे में चिंतन करने के लिये काँग्रेस ने उदयपुर में 'नवसंकल्प शिविर' आयोजित किया। इस शिविर में इस बात पर गौर किया गया कि इस दौर में हम कहां खड़े है? देश में किस तरह की राजनीति हो रही है? मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों के चलते देश की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। नोटबंदी और जीएसटी से लघु एवं मंझोले उद्योग-धंधे तबाह हो गये हैं। भारतीय संसद वह मंच है जहां विचार विमर्श और चर्चा के जरिये समस्याओं का हल तलाशा जाता है। परंतु काँग्रेस सहित समूचे विपक्ष को संसद में जनता के मुद्दों को उठाने से रोका जा रहा है। राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए "नव संकल्प शिविर" में काँग्रेस पार्टी ने यह तय किया कि देश को विभाजित करने वाले आर्थिक, सामाजिक और राजनैतिक मुद्दों के खिलाफ जनजागरण अभियान शुरू किया जाए। राहुल गांधी की पदयात्रा उसी अभियान की कड़ी है।
भारतीय राजनीति में पदयात्राओं का काफी लंबा इतिहास है। आजादी के आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने अंग्रेजों के खिलाफ दांडी यात्रा निकाली थी। महात्मा गांधी ने अंग्रेजी हुकूमत की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ जनआंदोलन किया। आजादी के बाद विनोबा भावे ने भूदान यात्रा की। राजनीति में और भी कई पदयात्राएं हुई हैं। इन पदयात्राओं से जन चेतना जाग्रत होती है, जो लोकतंत्र की मजबूती के लिये आवश्यक है। काँग्रेस के विचारवान, संकल्पवान, कर्मठ और ऊर्जावान नेता राहुल गांधी इन परिस्थितियों का अध्ययन कर रहे थे। देश के हालात उन्हें चिन्ता में डाल रहे थे। महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, डाॅ.राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना आजाद, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने भारत का जो एक सुदृढ़ आधार रखा था उसे खतरे में देख राहुलजी का संवेदनशील मन तड़प उठा। अंततः उन्होंने व्यापक जनजागरण का संकल्प लिया। इसके लिए सबसे कठिन अनुष्ठान का मार्ग चुना। उनकी पक्की सोच है जनता को गैरजरूरी सवालों और क्रिया-कलापों के भंवर से उबारना जरूरी है। निष्कर्ष के रूप में कन्याकुमारी से कश्मीर तक की 3500 किलोमीटर तक की पदयात्रा सामने आई। भारत जोड़ो यात्रा राहुलजी के नेतृत्व में मोदी सरकार की मनमानी के खिलाफ जनता की अदालत में देश हित में उठाया गया कदम है।
7 सितम्बर 2022 को राहुल गांधी की कन्याकुमारी से भारत जोड़ो पदयात्रा आरंभ हुई। कन्याकुमारी से कश्मीर तक के 12 राज्यों और 2 केन्द्र शासित प्रदेशों से गुजरती हुई 3500 किमी की यह पदयात्रा लोकतंत्र और संविधान को बचाने की यात्रा है। राहुल गांधी ने जनता के मिजाज को समझा है। 7 सितंबर से कन्याकुमारी से शुरू हुई उनकी इस यात्रा ने लगभग 2200 किमी का रास्ता तय कर लिया है। कन्याकुमारी, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और महाराष्ट्र होते हुये अब यह यात्रा मध्यप्रदेश में चलने के बाद राजस्थान में प्रवेश की है। हर प्रदेश की जनता ने राहुल गांधी का पलक पावड़े बिछा कर स्वागत किया है। राहुल जी ने आदिवासी समाज के लोक देवता और स्वतंत्रता संग्राम के योद्धा टांट्या भील की जन्म स्थली बड़दाअहीर पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मध्यप्रदेष में राहुल जी ने जनआस्था के केन्द्रों पर शीश झुकाया। भारतीय संस्कृति एवं परंपरा के अनुरूप राहुलजी ने नर्मदा मैया की आरती की एवं ओंकारेश्वर में भगवान श्शिव की पूजा-अर्चना की। राहुलजी ने महाकाल को साष्टांग दंडवत प्रणाम कर महाकाल का अभिषेक किया। साथ ही वे दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र श्री महावीर तपोभूमि में भी दर्शन करने के लिए गये। राहुलजी ने बाबा साहब आंबेडकर की जन्म स्थली महू पहुंचकर उन्हें आदरांजलि अर्पित की।
राहुल गांधी की अगुवाई में भारत जोड़ो यात्रा समाज के हर वर्ग के लोगों को साथ लेकर चलने की यात्रा है। भारत जोड़ो यात्रा बड़े पैमाने पर जनता के बुनियादी मुद्दों, महंगाई, बेरोजगारी, नफरत और विभाजन की राजनीति के खिलाफ जनजागरण अभियान है। भारत जोड़ो यात्रा देश की सामाजिक, सांस्कृतिक विविधता को बचाने की यात्रा है। राहुल भारत जोड़ो यात्रा के जरिये महात्मा गांधी के बताये रास्ते पर चल पड़े हैं। राहुल की पदयात्रा गांधीजी के दांडी मार्च की याद दिलाती है। संत विनोबा भावे की भूदान यात्रा की याद दिलाती है। इंदिरा गांधी की बेलछी यात्रा की याद दिलाती है। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा याद दिलाती है कि काँग्रेस का रास्ता जोड़ने का है, सबको साथ लेकर चलने का है, सबके सुख-दुख में सहभागी होने का है। इस यात्रा से राहुल गांधी की एक सशक्त एवं लोकप्रिय जननेता के रूप में पहचान बनती गई है। राहुलजी की इस यात्रा से काँग्रेस को नई ताकत मिली है, उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के मूल्यों के तले सभी भारतीयों के एकजुट करने की कोशिश है। भारत जोड़ो यात्रा हर मेहनतकश, छोटे व्यापारी और कमजोर तबकों के सम्मान की आवाज है। युवाओं और महिलाओं के सपनों की उड़ान है। यह हर भारतीय के अधिकार की आवाज है। यह यात्रा सामाजिक सद्भाव कायम रखने और फिरकापरस्ती से देश को बचाने का कदम है।
राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में लोगों से बातचीत कर रहे हैं और उनकी हौसला-अफजाई भी कर रहे हैं। महत्वपूर्ण बात यह है कि जनता उन्हें सुन रही है, समझ रही है और उनसे तहे-दिल से जुड़ रही है। राहुलजी के साथ हजारों की तादाद में लोग चल रहे हैं। यह भीड़ नहीं है, बल्कि विवेक सम्पन्न जनसमुदाय है जो देश की मौजूदा नकारात्मक राजनीति से दुखी है, चिन्तित है, विचलित है। यह विशाल समुदाय जो यह मानता है कि केंद्र की सरकार अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए भड़काऊ रीतिनीति का सहारा ले रही है। समाज को धर्म और जाति के नाम पर बांटने की रणनीति पर चल रही है। यह क्षणिक स्वार्थसिद्धि की राजनीति देश के भविष्य को बर्बाद कर रही है। आज देश के कोने-कोने से आवाज आ रही है "नफरत छोड़ो - भारत जोड़ो।" राहुल गांधी के नेतृत्व में बदलाव का संकल्प लेकर जो कारवाँ चल रहा है उससे देश में किसानों, नौजवानों, गरीब एवं कमजोर वर्गों के सामने आ रहे मुश्किल हालात का समाधान निकलेगा। प्रेम, सहिष्णुता और भाईचारे का माहौल कायम होगा, सांप्रदायिक ताकतें हारेंगी। संवैधानिक संस्थाएं बिना दबाव के लोकतांत्रिक तरीकों से काम करने को प्रेरित होंगी। भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राजनीति के पटल पर एक नया राष्ट्रीय एजेण्डा तय करने में मील का पत्थर साबित होगी। आओं, हम सब भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कदम से कदम मिलाकर अपनी सहभागिता सुनिश्चित करें।
( लेखक भारत सरकार में रक्षा उत्पादन, कार्मिक एवं संसदीय कार्य राज्य मंत्री रहे हैं, ये उनके अपने विचार हैं। )
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