सतीश सिंह का लेख : अनेक सामाजिक बदलाव की वाहक

मन की बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सकने के लिए इसका अनुवाद अंग्रेजी को छोड़कर 22 भाषाओं, 29 बोलियों और 11 विदेशी भाषाओं में किया जाता है। इसकी अवधि अमूमन 15 से 40 मिनट की होती है और इस अवधि में प्रधानमंत्री औसतन 4000 शब्द बोलते हैं। मन की बात का 100वां एपिसोड 30 अप्रैल 2023 को पूरा हुआ, जो इस बात को दर्शाता है, यह बेहद ही सफल कार्यक्रम है। मन की बात के जरिये प्रधानमंत्री ने कई सामाजिक बदलाव की मुहिम जैसे, ‘सेल्फ़ी विद डाॅटर’, ‘न्यू इंडिया’, ‘अनसंग हीरो’, ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘हर घर तिरंगा’ आदि छेड़ी, जो पीएम की प्रभावी संवाद शैली के कारण सफल साबित हुई।
मन की बात से जनसंवाद करने की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अक्तूबर 2014 को की थी। यह संवाद हर महीने के अंतिम रविवार को प्रातः 11 बजे की जाती है, जिसका प्रसारण ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन के माध्यम से होती है। हालांकि, अब इसका प्रसारण कई निजी व डिजिटल चैनलों, यूट्यूब आदि पर भी किया जाने लगा है, जिससे इस कार्यक्रम को सुनने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है।
मन की बात के प्रसारण का माध्यम ऑल इंडिया रेडियो को चुनने का कारण इसका दुनिया का सबसे बड़ा नेटवर्क होना है। ऑल इंडिया रेडियो का प्रसारण 99.20 प्रतिशत आबादी को कवर करता है, जो देश के 92 प्रतिशत क्षेत्र में निवास करती है। इसके अलावा आज भी गांवों और दूर दराज के इलाकों में रेडियो ही समाचार और मनोरंजन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। चूंकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोगों के बीच बहुत ही लोकप्रिय हैं, इसलिए सभी लोग मन की बात को सुनना चाहते हैं। मन की बात अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके के लिए इसका अनुवाद अंग्रेजी को छोड़कर 22 भाषाओं, 29 बोलियों और 11 विदेशी भाषाओं में किया जाता है। इसकी अवधि अमूमन 15 से 40 मिनट की होती है और इस अवधि में प्रधानमंत्री औसतन 4000 शब्द बोलते हैं। मन की बात का 100वां एपिसोड 30 अप्रैल 2023 को पूरा हुआ, जो इस बात को दर्शाता है, यह बेहद ही सफल कार्यक्रम है।
मन की बात के जरिये प्रधानमंत्री ने कई सामाजिक बदलाव की मुहिम जैसे, ‘सेल्फ़ी विद डाॅटर’, ‘न्यू इंडिया’, ‘अनसंग हीरो’, ‘वोकल फॉर लोकल’, ‘हर घर तिरंगा’ आदि छेड़ी, जो प्रधानमंत्री की प्रभावी संवाद शैली के कारण बेहद ही सफल साबित हुई और लोगों की मानसिकता, विचार, कार्यशैली आदि में भी बदलाव आया। महात्मा गांधी,स्वामी विवेकानंद, सी वी रमन, लाल बहादुर शास्त्री, डॉक्टर अब्दुल कलाम आदि महापुरुष आमजन से प्रभावी तरीके से संवाद करते थे। इनकी लोकप्रियता का एक महत्वपूर्ण कारण इनकी प्रभावी संवाद शैली थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संवाद शैली को भी इन महापुरुषों की प्रभावी संवाद शैली की श्रेणी में रखा जा सकता है, क्योंकि इनकी लोकप्रियता देश ही नहीं वरन विदेश में भी देखी जा रही है। आज गूगल सर्च को लोकप्रियता को मापने का एक बड़ा पैमाना माना जाता है और कोरोना महामारी के दौरान और उसके बाद भी गूगल सर्च के जरिये मन की बात के बारे में जानकारी हासिल करने वाले लोगों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
कोरोना महामारी के दौरान मन की बात की महत्ता में अभूतपूर्व इजाफा हुआ, क्योंकि महामारी के दौरान सरकार की गतिविधियों, सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों और सरकारी योजनाओं को जानने व समझने का यह सबसे आसान और विश्वसनीय माध्यम था। प्रभावी जनसंवाद एक अच्छे नेता की निशानी होती है। प्रभावी जनसंवाद के द्वारा देश की जनता से जुड़ा जा सकता है, उनकी समस्याओं को समझा जा सकता है, समीचीन नीतियां बनाई जा सकती हैं, प्रशासनिक कार्यों को सहज तरीके से अमलीजामा पहनाया जा सकता है, सरकारी योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू किया जा सकता है आदि। प्रेस सूचना ब्यूरो द्वारा 24 अप्रैल 2023 को जारी रिपोर्ट के अनुसार 23 करोड़ लोग मन की बात को नियमित तौर पर सुनते हैं, जबकि 41 करोड़ लोग इसे अनियमित रूप से सुनते हैं। इनमें से अधिकांश श्रोता मन की बात सुनकर सरकार की गतिविधियों,सरकार द्वारा शुरू की गई नई पहलों, नीतियों से अवगत हो सके हैं। इतना ही नहीं मन की बात सुनने वाले 73 प्रतिशत श्रोता यह मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की अगुआई में हमारा देश विकास के पथ पर अग्रसर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के जरिये पीएम मुद्रा, सुकन्या समृद्धि योजना, जनधन योजना, डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) आदि के बारे में जन-जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मदद मिली है। मन की बात में इन योजनाओं का जिक्र करने के बाद गूगल सर्च के जरिये इनके बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करने वालों की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। पीएम स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि (पीएम स्वनिधि) का आगाज जुलाई 2020 में हुआ था, जिसका मकसद स्ट्रीट वेंडर को लोन देकर उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना था, ताकि समावेशी विकास के सपने को साकार किया जा सके। इस योजना के तहत अब तक 65.5 लाख वेंडरों को ऋण दिया जा चुका है।
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत जनवरी 2015 में की गई थी, लेकिन इस अभियान की लोकप्रियता में महत्वपूर्ण इजाफा जनवरी 2015 में मन की बात में प्रधानमंत्री द्वारा इस अभियान की चर्चा करने के बाद हुई। इसी तरह, मन की बात में सुकन्या समृद्धि योजना का प्रधानमंत्री द्वारा जिक्र करने के बाद सुकन्या समृद्धि योजना के तहत खोले गए खातों की संख्या 36 मिलियन हो गई, जिनमें आज लगभग 2 लाख करोड़ रुपये जमा हैं। योग और खादी की लोकप्रियता भी प्रधानमंत्री द्वारा मन की बात में इनके बारे में जनसंवाद करने के बाद बढ़ी। अब खादी के वस्त्र पहनना फैशन का हिस्सा माना जाने लगा है। खादी के डिजाइनर कपड़े बनने लगे हैं। युवा खादी के मोदी जैकेट पहनना फख्र और स्टेटस सिंबल का प्रतीक मानते हैं। इन कारणों से खादी की बिक्री में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। सोशल मीडिया में बड़े पैमाने पर अब खादी की चर्चा हो रही है योग को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक स्वीकार्यता दिलवाने में प्रधानमंत्री मोदी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। प्रधानमंत्री के प्रयासों की वजह से आज भारत के गांव-गांव में लोग योग के विविध आसन कर रहे हैं। अंतर्राष्ट्रीय मिलेट वर्ष 2023 की लोकप्रियता में इजाफा तभी हुआ जब प्रधानमंत्री ने मिलेट फायदे बताए।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में सबसे अधिक मिलेट का उत्पादन करता है और इसकी उपलब्धता देशभर में है। वर्ष 2020 में दुनिया में मिलेट के कुल उत्पादन का 19 प्रतिशत भारत में हुआ था और वित्त वर्ष 2021 और वित्त वर्ष 2022 में भी इसके उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी के दौरान मन की बात ने आम जनता तक विश्वसनीय खबर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा फेक न्यूज की धार को भी कम किया, जिसका पता कोरोना महामारी के दौरान फेक न्यूज सूचकांक के निचले स्तर पर रहने से चलता है। मन की बात से कई सामाजिक और आर्थिक पहलों को सफल बनाने में प्रधानमंत्री मोदी को मदद मिली। आज प्रधानमंत्री द्वारा आमजन से सीधा संवाद करने से देश में विकास के अनुकूल माहौल का निर्माण हो रहा है, आमजन की समस्याओं को सरकार समझ पा रही, आमजन के अनुकूल नीति बनाने में सरकार को आसानी हो रही है आदि। इससे आमजन का विश्वास सरकार और सरकारी तंत्रों पर भी तेजी से बढ़ रहा है।
सतीश सिंह (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)
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