डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : चीन से आयात में कमी का परिदृश्य

डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : चीन से आयात में कमी का परिदृश्य
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भारतीय मानक ब्यूरो ने अगले साढ़े तीन साल में 217 वस्तुओं पर एक-एक करके क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू किए जाने संबंधी सूची जारी की है। क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू होने के बाद इन सभी 217 आइटम के घरेलू निर्माण और आयात दोनों पर क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू होगा। इस सूची में अधिकांशतः चीन से सस्ते दाम पर आयात की जाने वाली कई वस्तुएं जिनमें घी-तेल पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले टिन से लेकर एसी से जुड़े कई आइटम के साथ-साथ छोटी-छोटी सजावटी वस्तुएं भी शामिल हैं, क्वालिटी कंट्रोल वाली सूची में लकड़ी की कई आइटम को भी शामिल किया गया है। इससे घरेलू फर्नीचर उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।

हाल ही में भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने एक दिसंबर 2023 से मई 2027 तक यानी अगले साढ़े तीन साल में 217 वस्तुओं पर एक-एक करके क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू किए जाने संबंधी सूची जारी की है। क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू होने के बाद इन सभी 217 आइटम के घरेलू निर्माण और आयात दोनों पर क्वालिटी कंट्रोल नियम लागू होगा। इस सूची में अधिकांशतः चीन से सस्ते दाम पर आयात की जाने वाली कई वस्तुएं जिनमें घी-तेल पैकिंग में इस्तेमाल होने वाले टिन से लेकर एसी से जुड़े कई आइटम के साथ-साथ छोटी-छोटी सजावटी वस्तुएं भी शामिल हैं, क्वालिटी कंट्रोल वाली सूची में लकड़ी की कई आइटम को भी शामिल किया गया है। इससे घरेलू फर्नीचर उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा। अभी सस्ते दाम वाले लकड़ी के आइटम का आयात होता है और उससे फर्नीचर तैयार किया जाता है। क्वालिटी कंट्रोल से घरेलू स्तर पर भी इन वस्तुओं की गुणवत्ता सुधरेगी और घटिया माल का आयात भी नहीं हो सकेगा। अभी सैकड़ों छोटी-छोटी आइटम का आयात चीन से काफी कम दाम पर किए जाते हैं जो घटिया किस्म के होते हैं।

स्थिति यह है कि चीन से गुणवत्ता रहित अत्यधिक सस्ते उत्पादों के आयात के कारण कई घरेलू उत्पादकों ने इन आइटम का उत्पादन करना बंद कर दिया, क्योंकि वे आयातित माल से प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाते हैं। इन वस्तुओं पर क्वालिटी कंट्रोल लगाकर फिर से घरेलू स्तर पर इनका उत्पादन शुरू करवाना भी सरकार का उद्देश्य है। घटिया उत्पादों का आयात इसलिए कम या बंद हो जाएगा क्योंकि भारत में अपना माल भेजने वाली कंपनी को बीआईएस के अधिकारियों को अपने देश में बुलाकर अपनी यूनिट का दौरा कराना होगा और उनसे सर्टिफिकेट मिलने के बाद ही वे भारत में अपना माल भेज सकेंगे जो आसान नहीं होगा। ऐसे में क्वालिटी कंट्रोल की मदद से खिलौने की तरह कई अन्य उद्योगों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन मिलने जा रहा है। गौरतलब है कि चीन से आयातित उत्पादों के घटने का सुकूनदेह परिदृश्य वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा हाल ही में प्रकाशित भारत-चीन व्यापार के अप्रैल से सितंबर 2023 की रिपोर्ट से उभरकर दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के द्वारा चीन से किए गए आयात का जो मूल्य अप्रैल-सितंबर 2022 में 52.42 अरब डॉलर था, वह घटकर अप्रैल-सितंबर 2023 में 50.47 अरब डॉलर रह गया है।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2014 से लगातार स्थानीय उत्पादों के उपयोग और स्थानीय श्रम को अच्छे मूल्य पर जोर देते दिखाई दे रहे हैं। मोदी ने दीपावली से ठीक पहले मन की बात में कहा कि इस बार त्योहारों पर हम ऐसे ही उत्पाद खरीदें जिसमें देशवासी के पसीने की महक हो, देश के युवा का टैलेंट हो। प्रधानमंत्री ने त्योहारों पर स्वदेशी सामान ही खरीदने की अपील करते हुए कहा कि वे अपनी खरीदारी को सिर्फ दीया खरीदने या छोटे दुकानदारों से सामान लेने तक सीमित न रखे, बल्कि जीवन की विभिन्न बड़ी जरूरतों के लिए भी देश में निर्मित विभिन्न सामानों की खरीद तक विस्तारित करें। प्रधानमंत्री की अपील से शहरों से गांव तक स्वदेशी सामान की खरीदी में जोरदार उछाल आया है। 10 साल पहले देश में जहां खादी उत्पादों की बिक्री 30 हजार करोड़ रुपये से भी कम की थी, वहीं आज यह सवा लाख करोड़ रुपये के आसपास पहुंच गई हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में व्यापारियों के राष्ट्रीय संगठन कनफेडरेशन आफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि देशभर में त्योहारों के दौरान दीपावली तक खुदरा और स्थानीय बाजारों में अच्छी रौनक रही और 3.75 लाख करोड़ रुपये का रिकार्ड कारोबार हुआ है। दीपावली त्योहारी बाजार में स्थानीय व घरेलू उत्पादों की मांग बढ़ने और चीन से आयातित उत्पादों की मांग घटने का सुकूनदेह परिदृश्य उभरकर दिखाई दिया है।

खासतौर से जैसे-जैसे चीन की भारत के प्रति आक्रामकता और विस्तारवादी नीति सामने आई, वैसे-वैसे स्थानीय उत्पादों के उपयोग की लहर देशभर में बढ़ती गई है। वर्ष 2019 से लेकर अब तक चीन से तनाव के कारण देशभर में चीनी सामान के जोरदार बहिष्कार और सरकार के द्वारा टिक टॉक सहित विभिन्न चीनी एप पर प्रतिबंध, चीनी सामान के आयात पर नियंत्रण कई चीनी सामान पर शुल्क वृद्धि, सरकारी विभागों में चीनी उत्पादों की जगह यथासंभव स्थानीय उत्पादों के उपयोग की प्रवृत्ति को लगातार प्रोत्साहन दिए जाने से चीन के उपभोक्ता त्योहारी बाजार सामानों की भारत में मांग में कमी आई है। सरकार के विगत क्वालिटी कंट्रोल नियम में 100 से अधिक वस्तुएं शामिल है। इनमें ज्यादातर चीन की है। इसमें कोई दो मत नहीं है कि प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा बार-बार स्थानीय अर्थव्यवस्था का समर्थन करने और वोकल फॉर लोकल मुहिम के प्रसार से दिवाली और अन्य त्योहारों पर स्थानीय उत्पादों की खरीदी पहले की तुलना में तेजी से बढ़ी है। चीन से त्योहारी उत्पादों के आयात में कमी के साथ-साथ खिलौनों और दवा बनाने की मूल सामग्री बल्क ड्रग इंटरमीडिएटस (एपीआई) के आयात में भी सराहनीय कमी आई है। देश में खिलौनों के आयात में पिछले तीन वर्षों में करीब 70 फीसदी की कमी आई है। भारत के 80 फीसदी से अधिक खिलौने चीन से आते थे। पिछले तीन वर्षों में भारत का खिलौना निर्यात भी 300 करोड़ रुपये से बढ़कर 2600 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गया है। फॉर्मास्युटिकल्स सेक्टर में वर्ष 2020 से आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बल्क ड्रग बनाने वाली 22 परियोजनाएं एपीआई योजना के दायरे में आ चुकी हैं। उसके भी अच्छे परिणाम मिलने लगे हैं। 2022-23 में चीन से भारत का बल्क ड्रग और इंटरमीडिएट्स का आयात 4.54 फीसदी घटकर 4.5 अरब डॉलर ही रह गया है।

स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि चीन से आयात किया जाने वाले सस्ते दामों वाले मेड इन चाइना सामान का आयात घट गया है। चीन में निर्मित सस्ते कच्चे माल को प्राथमिकता देने वाले भारतीय उत्पादकों ने भी सस्ते कच्चे चीनी माल का आयात कम कर दिया है, लेकिन अभी चीन के साथ भारत का कुल व्यापार घाटा चुनौतीपूर्ण स्थिति में है। ऐसे में चीन से व्यापार घाटा कम करने के लिए हाल ही में नीति आयोग ने जिस नई कार्य योजना के लिए अध्ययन शुरू किया है, उसके तहत जरूरी होगा कि चीन को भारतीय निर्यात के लिए टैरिफ, गैर टैरिफ बाधाओं, नियामक पारिस्थितिकी तंत्र और बाजार पहुंच संबंधी चिंताओं पर विशेष ध्यान दिया जाए।

हम उम्मीद करें कि हाल ही में जिस तरह एक दिसंबर से आगामी साढ़े तीन वर्षों में जिन 2017 वस्तुओं के लिए गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित किया गया है, उससे चीन से आयात में भारी कमी आएगी। करोड़ों लोग चीनी उत्पादों की जगह स्थानीय उत्पादों के उपयोग को जीवन का मूलमंत्र बनाएँगे। इससे देश में कुटीर और ग्रामीण उद्योगों तथा हस्तशिल्प को पुनर्जीवित करके रोजगार और स्वरोजगार के अवसर बढ़ाए जा सकेंगे। साथ ही देश आत्मनिर्भरता की डगर पर भी तेजी से आगे बढ़ सकेगा।

(लेखक- डॉ. जयंतीलाल भंडारी अर्थशास्त्री हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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