डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : रणनीतिक प्रयासों से रुकेगी महंगाई

डॉ. जयंतीलाल भंडारी का लेख : रणनीतिक प्रयासों से रुकेगी महंगाई
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हाल ही में सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च 2022 में थोक महंगाई दर बढ़कर 14.55 फीसदी पर पहुंच गई। यह बीते चार माह में सर्वाधिक है। यह लगातार 12वां महीना रहा, जब थोक महंगाई दर 10 फीसदी से ऊपर रही। ज्ञातव्य है कि इस साल मार्च की खुदरा मुद्रास्फीति भी बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई, जो पिछले 17 महीनों में सर्वाधिक है। यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के सहज स्तर 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है। सरकार को विभिन्न रणनीतिक प्रयासों से देश के आम आदमी और अर्थव्यवस्था को महंगाई के खतरों से बचाने के लिए तेजी से आगे बढ़ना चाहिए।

डॉ. जयंतीलाल भंडारी

हाल ही में 20 अप्रैल को वाशिंगटन डीसी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध और आपूर्ति श्रृंखला के व्यवधान जैसी वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत में भी आम आदमी कीमतों में बढ़ोतरी से जूझ रहा है। ऐसे में महंगाई नियंत्रण भारत का प्रमुख लक्ष्य बन गया है। ज्ञातव्य है कि हाल ही में सरकार के द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च 2022 में थोक महंगाई दर बढ़कर 14.55 फीसदी पर पहुंच गई। यह बीते चार माह में सर्वाधिक है। यह लगातार 12वां महीना रहा, जब थोक महंगाई दर 10 फीसदी से ऊपर रही। ज्ञातव्य है कि इस साल मार्च की खुदरा मुद्रास्फीति भी बढ़कर 6.95 फीसदी पर पहुंच गई, जो पिछले 17 महीनों में सर्वाधिक है। यह लगातार तीसरा महीना है जब खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक(आरबीआई) के सहज स्तर 6 फीसदी से ऊपर बनी हुई है।

गौरतलब है कि विगत 24 फरवरी से शुरू हुए रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होने से वैश्विक जिंस बाजार में जिंसों की कीमतों में तेज वृद्धि तथा चीन में कोविड-19 की वजह से कई क्षेत्रों में लाॅकडाउन के कारण उत्पादन में कमी होने जैसे कारणों से दुनिया के सभी देशों की तरह भारत में भी महंगाई बढ़ते हुए दिखाई दे रही है। जहां महंगाई की ऊंचाई अमेरिका, ब्रिटेन, तुर्की, पाकिस्तान आदि जैसे अधिकांश देशों में भारत की तुलना में कई गुना अधिक है, वहीं जर्मनी, इटली, स्पेन सहित कई यूरोपीय देशों में खाद्य तेलों और आटे का स्टाक खत्म होते हुए दिखाई दे रहा है। लोग आवश्यकता से अधिक खरीदी करते हुए दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में कई यूरोपीय देशों के सुपर मार्केट के तहत ग्राहकों को सीमित मात्रा में सामान बेचने का नियम लागू कर दिया गया है। इतना ही नहीं कई यूरोपीय देशों में उद्योग-कारोबार में गिरावट के कारण उद्योग-कारोबार से कर्मचारियों की छंटनी के संकेत उभरकर दिखाई दे रहे हैं।

इसमें भी कोई दो मत नहीं है कि इस समय दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में भारत में महंगाई को तेजी से बढ़ने से रोकने में कुछ अनुकूलताएं स्पष्ट दिखाई दे रही हैं। देश में अच्छी कृषि पैदावार खाद्य पदार्थों की कीमतों के नियंत्रण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह भी एक बड़ी अनुकूलता है कि देश में न केवल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के लिए आवश्यकता से अधिक चावल और गेहूं का सुरक्षित केंद्रीय भंडार भरपूर है। वरन इस समय देश गेहूं और चावल का अभूतपूर्व निर्यात करते हुए भी दिखाई दे रहा है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि 11 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ वर्चुअल मीटिंग में जो बाइडेन को यह आश्वान दिया कि इस समय रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया के विभिन्न हिस्सों में खाद्यान्न की हर मांग को पूरा करने के लिए भारत मजबूत स्थिति में है।

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश में महंगाई को नियंत्रित करने में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की उपयोगिता दिखाई दे रही है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सार्वजनिक राशन प्रणाली के तहत करीब 80 करोड़ लाभार्थियों में से जनवरी 2022 तक 77 करोड़ से अधिक लाभार्थी डिजिटल रूप से सभी राशन दुकानों से जुड़ गए हैं। इस पूरी प्रणाली को डिजिटल बनाने से तकरीबन 19 करोड़ अपात्र लोगों को बाहर किया गया है। यह संख्या कुल 80 करोड़ लाभार्थियों की करीब एक चौथाई है। सरकार ने तिलहन और खाद्य तेलों पर भंडारण सील की अवधि छह महीने बढ़ाकर 31 दिसंबर 2022 तक कर दी है। भंडारण सीमा के तहत खुदरा विक्रेता तीन टन तक और थोक व्यापारी 50 टन तक खाद्य तेल का भंडारण कर सकता है। इस कदम से जमाखोरी पर नियंत्रण रह सकेगा। 8 अप्रैल को रिजर्व बैंक ने कहा कि वह अब विकास दर में वृद्धि के बजाय महंगाई नियंत्रण को अधिक प्राथमिकता देगा और अपने नरम रुख को धीरे-धीरे वापस लेगा।

गौरतलब है कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद मोदी सरकार ने अप्रैल 2020 में गरीबों को मुफ्त राशन देने के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) की शुरुआत की थी। गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत लाभार्थी को उसके सामान्य कोटे के अलावा प्रति व्यक्ति पांच किलो मुफ्त राशन दिया जाता है। सरकार की आर्थिक-सामाजिक कल्याण की यह योजना महंगाई की मार को कम करने में भी राहतकारी दिखाई दे रही है।

विगत 26 मार्च को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने यूक्रेन संकट की वजह से महंगाई को देखते हुए इस साल सितंबर 2022 तक 80 करोड़ आबादी को मुफ्त में राशन देने का फैसला किया है। यह भी महत्वपूर्ण है कि मजबूत आपूर्ति तथा घेरलू उत्पादन मुद्रास्फीति की दृष्टि से संवेदनशील दलहनों और खाद्य तेल कीमतों में बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा रहा है। भारत के पास अप्रैल 2022 में करीब 610 अरब डॉलर का विशाल विदेशी मुद्रा भंडार चमकते हुए दिखाई दे रहा है। मौजूदा संकट के बीच भारत के चालू खाते का घाटा काफी कम है।

पिछले दिनों 8 अप्रैल को संपन्न मौद्रिक नीति समीक्षा में केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया, मगर यह संकेत दिया कि वह अब आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के बजाय महंगाई पर अधिक ध्यान देगा। आरबीआई ने आर्थिक वृद्धि का अनुमान भी कम कर दिया है, जबकि मुद्रास्फीति अनुमान बढ़ा दिया है। चूंकि मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 के अप्रैल से दिसंबर के बीच पेट्रोलियम उत्पादों पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क के रूप में सरकार को करीब 24 फीसदी अधिक राजस्व मिला है, अतएव आने वाले महीनों में सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए, जो ग्राहकों को पेट्रोल-डीजल की महंगाई से बचाए रखें। जिस तरह पिछले वर्ष 2021 में पेट्रोल और डीजल की कीमतें 100 रुपये प्रति लीटर से अधिक होने पर केंद्र सरकार ने पेट्रोल व डीजल पर सीमा व उत्पाद शुल्क में और कई राज्यों ने वैट में कमी की थी, वैसे ही कदम अब फिर जरूरी दिखाई दे रहे हैं।

हम उम्मीद करें कि सरकार ऐसे विभिन्न रणनीतिक प्रयासों से देश के आम आदमी और अर्थव्यवस्था को महंगाई के खतरों से बचाने के लिए तेजी से आगे बढ़ेगी। हम उम्मीद करें कि ये 14 अप्रैल को भारतीय मौसम विभाग ने इस वर्ष सामान्य मानसून रहने का जो पूर्वानुमान किया है। वह सटीक रहेगा और सामान्य मानसून से महंगाई नियंत्रित होगी।

(ये लेखक के अपने विचार हैं।)

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