नरेन्द्र सिंह तोमर का लेख : गांव, गरीब, किसान की चिंता

नरेन्द्र सिंह तोमर
आम बजट को दो हिस्सों में देखा जा सकता है। इसमें एक एक ओर जहां गांव-गरीब, किसान, महिला एवं युवा वर्ग के कल्याण की चिंता के साथ आज की आवश्यकता को समग्रता के पूर्ण करने के लिए वित्तीय प्रावधान किए गए हैं तो वहीं भविष्य के भारत की आधारशिला रखने के लिए भी पर्याप्त संसाधन जुटाने का कार्य किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा प्रस्तुत किए गया आम बजट अमृतकाल में सशक्त-समर्थ भारत की स्थापना का एक ऐसा ब्लूप्रिंट है जो भविष्य के भारत की राह दिखाता है। आज से 25 वर्ष बाद जब हम स्वतंत्रता की 100 वीं वर्षगांठ मना रहे होंगे तो वहां खड़े सशक्त-समर्थ भारत की इमारत इसी अमृत महोत्सव वर्ष के बजट की नींव पर बुलंद नजर आएगी। यह प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शिता है कि वे आज की चिंता के साथ-साथ आने वाले कल की भी तैयारी कर रहे हैं। हमारा जोर शोर पर नहीं, गंभीरता के साथ उस सर्वस्पर्शी विकास पर है जहां हर वर्ग का कल्याण बिना भेदभाव के हो सके।
संपूर्ण विश्व वर्तमान में कोरोना के रूप में सदी की सबसे बड़ी आपदा का सामना कर रहा है, किंतु आपदा के इस काल में भी बजट का आकार बढ़ाकर 39.45 लाख करोड़ रुपये करना न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति को इंगित करता है, अपितु हमारे मजबूत इरादों और बुलंद हौसलों को भी दर्शाता है। भारत @ 100 को ध्यान में रखते हुए बजट में 4 प्राथमिकताओं में विकास पर जोर दिया गया है, इसमें पीएम गतिशक्ति, समेकित विकास, उत्पादकता संवर्धन एवं ऊर्जा के स्वरूप में बदलाव और निवेश को वित्तीय मदद शामिल हैं। यह सुनियोजित अवधारणा आने वाले कल में समग्र रूप से हर क्षेत्र-हर दिशा में विकास के नए आयाम स्थापित करने वाली साबित होगी। युवा हमारी पहली प्राथमिकता हैं और इसीलिए ' आत्मनिर्भर भारत' के विजन को साकार करने के लिए 14क्षेत्र में दिए जा रहे उत्पादकता आधारित प्रोत्साहन को व्यापक रूप से अनुकूल समर्थन प्राप्त हुआ है, इससे आने वाले 4-5 वर्ष में 60 लाख नए रोजगार सृजन के साथ ही 30 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त उत्पादन करने की क्षमता भी विकसित हो रही है।
भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ "किसान" का कल्याण और कृषि को लाभकारी बनाना हमारी सर्वोच्च प्राथमिता है यह इस बजट में किए गए प्रावधानों से पुनः स्पष्ट हो जाता है। पिछले दिनों कतिपय राजनीतिक दलों द्वारा किसानों में यह भ्रम फैलाया जाता रहा कि एमएसपी पर खरीद बंद हो जाएगी। बजट में वित्त मंत्री जी ने पुनः स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2021-22 में गेहूं एवं धान की खरीद से 163 लाख किसानों को 2.37 लाख करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा। इसमें 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूं एवं धान उपार्जन का लक्ष्य निर्धारित है।
कृषि को नवीनतम प्रौद्योगिकी एवं संचार तकनीकी से जोड़ने के लिए पीपीपी मोड में एक नई योजना प्रारंभ की जाएगी। इसके माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थाओं के साथ-साथ निजी कृषि प्रौद्योगिकी कंपनियां और कृषि मूल्य श्रंखला हितधारक शामिल होंगे। कृषि क्षेत्र में अपेक्षित सुधार के लिए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। आज जरूरत है कि खेती भी दूसरे सेक्टर के साथ तेजी से कदमताल करे, ऐसे में जरूरी है कि इस दिशा में भी स्टार्ट-अप सामने आएं। इस बजट में सह-निवेश माॅडल के अंतर्गत सृजित मिश्रित पूंजीयुक्त कोष के लिए नाबार्ड से सहायता का प्रावधान किया गया है। इस कोष का उद्देश्य कृषि उत्पाद मूल्य श्रृंखला के लिए उपयुक्त कृषि एवं ग्रामीण उद्यमों से संबंधित स्टार्ट-अप्स को वित्त पोषण करना होगा। इन स्टार्ट अप्स के क्रिया कलापों में अन्य बातों के अलावा किसानों को फार्म स्तर पर किराए के आधार पर मशीनरी उपलब्ध कराना, एफपीओ के लिए आईटी आधारित सहायता उपलब्ध कराना शामिल होंगे।
कृषि क्षेत्र में नवाचार की कड़ी में ड्रोन का उपयोग अत्यंत सफल एवं उद्यमी कदम है। सरकार ने इस बजट में कृषि कार्य में ड्रोन का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया है। ड्रोन के माध्यम से कृषि फसलों का आकलन पूर्ण वैज्ञानिक पद्धति से सटीकता से किया जा सकता है, इसके साथ ही भूमि दस्तावेजों का डिजीटलीकरण भी किसान ड्रोन के माध्यम से हो सकता है, ड्रोन के माध्यम से कीटनाशकों एवं पोषक तत्वों का छिड्रकाव एक अत्याधुनिक पद्धति है। ' किसान ड्रोन्स' के उपयोग से अब इसे वृहद रूप से विस्तारित कर किसानों को लाभान्वित करने का कार्य किया जाएगा। कस्टम हायरिंग सेंटर्स के माधयम से ड्रोन की उपलब्धता से एक तरफ किसानों को लाभ होगा तो वहीं दूसरी तरफ स्थानीय स्तर पर तकनीकी से जुड़े रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
उत्तरप्रदेश एवं मध्यप्रदेश का बुंदेलखण्ड अंचल सदियों से सूखे एवं अल्पवर्षा की मार झेलता रहा है, यहां पानी की कमी से कृषि उत्पादकता में आई न्यूनता ने गरीबी, पलायन जैसी समस्या को जन्म दिया है। केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए संशोधित अनुमान 2021-22 के लिए 4300 करोड़ रुपये और वर्ष 2022-23 के लिए 1400 करोड़ रुपये की धनराशि का प्रावधान किया गया है। कुल 44 हजार 605 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत वाली केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखण्ड अंचल के किसानों एवं आमजनों के जीवन में व्यापक परिवर्तन लाने वाली एक क्रांतिकारी योजना साबित होगी। इससे एक ओर जहां 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई हो पाएगी वहीं बुंदेलखण्ड के 62 लाख लोगों को पेयजल आपूर्ति एवं 103 मेगावाॅट हाइड्रो एवं 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन भी हो पाएगा।
बजट में रसायन मुक्त एवं प्राकृतिक खेती पर ध्यान केंद्रित करना भी कृषकों के साथ-साथ सभी के लिए हितकर कदम है। इससे जैविक उत्पादन तो बढे़गा ही रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों से मानव में होने वाली गंभीर बीमारियों एवं भूमि की उर्वर शक्ति में आने वाली कमी पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा। संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को मिलेट ईयर (कदन्न वर्ष) के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। अत्यधिक पोषण गुणवत्ता से युक्त कदन्न फसलों का फसल उपरांत मूल्य संवर्धन, घरेलू खपत बढ़ाने तथा कदन्न उत्पादों की घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रांडिंग करने के लिए प्रावधान किया गया है। यह अत्यंत सराहनीय एवं दूरगामी कदम है। तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समग्र योजना एवं फल-सब्जियों की उपयुक्त किस्मों को अपनाने एवं उत्पादन और फसल कटाई की यथोचित तकनीक के प्रयोग को ए़ावा दिया जाएगा। इस बजट में सरकार का गांव, गरीब व किसान के समग्र विकास पर फोकस है।
(लेखक केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, भारत सरकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)
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