डॉ. कन्हैया त्रिपाठी का लेख : यूएन को भारत से बड़ी उम्मीदें

डॉ. कन्हैया त्रिपाठी का लेख : यूएन को भारत से बड़ी उम्मीदें
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संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस तीन दिन की भारत यात्रा पर रहे। यह यात्रा भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के लिए खास थी, क्योंकि उन्होंने मुंबई आईआईटी में नौजवानों से संवाद स्थापित किया। यह संवाद उन लोगों के साथ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने किया जो भारत को अगली पीढ़ी में आगे ले जाएंगे। उन्होंने बहुत उम्मीद और आशा के साथ कहा कि मुझे भरोसा है कि भारत इसे संभव बनाने में मूलभूत योगदान देगा। भारत में उनकी पहल सभ्यता के नए मापदंड स्थापित करें तो निश्चित ही एंटोनियो गुटेरेस की यह यात्रा दुनिया के लिए नए भविष्य का सूत्रपात करने वाली होगी जो शांतिप्रिय समाज के लिए महत्वपूर्ण है।

डॉ. कन्हैया त्रिपाठी

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस तीन दिन की भारत यात्रा पर रहे। यह यात्रा भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई के लिए खास थी, क्योंकि उन्होंने मुंबई आईआईटी में नौजवानों से संवाद स्थापित किया। यह संवाद उन लोगों के साथ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने किया जो भारत को अगली पीढ़ी में आगे ले जाएंगे। उनके साथ थे जो भारत के लिए कुछ नवाचार करके भारत की तस्वीर बदलने के लिए सतत प्रयत्नशील हैं। यह महासचिव की भारत यात्रा भारत के लोगों के लिए ऐतिहासिक मानी जाएगी, क्योंकि जब भारत की यात्रा पर महासचिव गुटेरेस थे तो भारत अपनी आज़ादी का अमृत महोत्सव मनाते हुए साल 2047 के लिए कूच कर चुका है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के लोगों ने यह संकल्प लिया है कि अगले आज़ादी के शताब्दी पर्व पर भारत की तस्वीर हम बदल कर छोड़ेंगे। महासचिव ने स्वीकार किया और उनकी स्वीकर्यता मायने रखती है कि पिछले दो वर्षों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक सदस्य के रूप में, भारत ने बहुपक्षीय समाधानों को बढ़ावा देने और संकटों से निपटने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारत ने वैश्विक एकजुटता और दक्षिण-दक्षिण सहयोग के क्षेत्र में व्यावहारिक व उदार रुख का परिचय दिया है। यूएन-भारत विकास फ़्रेमवर्क साझेदारी के जरिये, एकल देश दक्षिण-दक्षिण सहयोग समर्थन फ़्रेमवर्क स्थापित करने वाला पहला देश था। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए यहां तक कहा कि आज भारत, संयुक्त राष्ट्र के लिए एक मज़बूत साझीदार है।

दुनिया में शांति के लिए बहस छिड़ी हुई है। बहुत से देश एडवाइजरी जारी कर रहे हैं कि यदि कोई उनके देश का नागरिक यूक्रेन में हो तो वह निकल जाए क्योंकि हालत बहुत स्थिति हैं। दुनिया के शांतिवादी देश इस पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं और उसमें भारत की गणना प्रमुख शान्तिवादी देशों में है। एंतोनियो गुटेरेस ने बहुत साफ-साफ कहा कि मैं भारत से शान्ति के पक्ष में आवाज़ उठाना जारी रखने; अपने वैश्विक नेतृत्व में विस्तार करने, अपनी विदेश नीति व विकास को सतत विकास लक्ष्य-2030व पैरिस समझौते के अनुरूप बनाने; और मौजूदा वैश्विक संकटों के नवाचारी समाधान ढूंढने का आग्रह करता हूं। महासचिव ने भारत से यह आह्वान क्यों किया? इसके मायने निकालने वाले निकालेंगे, लेकिन सच यह है कि भारत ने दुनिया में अपनी स्थिति को मजबूत किया है। उसने अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए अपने देश की छवि, लोकतंत्र को भी बहुत ही मजबूत बनाया है और ऐसे कई आह्वान करता रहा है कि शांति के लिए दुनिया के लोगों को मिलकर आगे बढ़ना होगा।

भारत जी-20 देशों के समूह का अगला अध्यक्ष देश भी है, तो भारत उन महान शक्तियों को शांति संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगा उसका आह्वान रोमांचकारी परिवर्तनकारी हो सकता है। हमारी शांतिप्रियता पूरी दुनिया के लिए वरदान साबित हो जाए तो इससे अच्छी बात क्या हो सकती है। भारत में छिटफुट होने वाली अव्यवहारिक घटनाएं और वे घटनाएं जो हिंदुस्तान को हिला देती हैं कभी-कभी, तो भारत की छवि जरूर धूमिल होती है। भारत की छवि निर्माण के लिए की गई सारी कोशिशें मिथ्या हो जाती हैं। हिंदुस्तान के लोगों को इस पर जरूर सोचना चाहिए कि हम भारत की छवि को कैसे बेहतर बना सकते हैं। भारत में हिंसा, भ्रष्टाचार, बलात्कार और दूसरे संघर्ष निःसंदेह हमारे लिए अभिशाप बन जाते हैं।

भारत की छवि की हिफाजत इसलिए ज़रूरी है क्योंकि महासचिव ने अपने संबोधन में जो अल्पसंखयकों पर अतिक्रमण की बात की, वह बहुत चुभने वाली है और हमारी साख को प्रश्नांकित करती है। महासचिव ने आखिर कह दिया कि मानवाधिकार परिषद के एक निर्वाचित सदस्य के तौर पर, भारत का यह दायित्व है कि वैश्विक मानवाधिकारों को गढ़ा जाए, और अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्यों समेत सभी व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा व उन्हें बढ़ावा दिया जाए। संकेतों में महासचिव ने बड़ी बात कही है क्योंकि उन्होंने हंसा मेहता का नाम आदर से लिया जो दुनिया के लिए मानव अधिकारों के संयुक्त राष्ट्र सार्वभौम घोषणा पत्र ड्राफ्टिंग कमेटी की सदस्य रहकर दुनिया को मानवाधिकार के लिए अभिप्रेरित करने वाली महिला के रूप में प्रसिद्ध हैं। उन्होंने बहुत उम्मीद और आशा के साथ कहा कि मुझे भरोसा है कि भारत इसे संभव बनाने में मूलभूत योगदान देगा। भारत कितना खरा उतरता है इस पर, यह तो समय बताएगा लेकिन महासचिव की भारत यात्रा निःसंदेह भारत की गरिमा को बढ़ाती है। यह उनकी निरंतर यात्रा की एक अगली कड़ी रही, लेकिन उनका भारत बार-बार आना और भारत को महत्व देना श्रेयष्कर इसलिए माना जा सकता है, क्योंकि यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनिया के देशों में भारत के महत्व का यह रेखांकन है जिसे दुनिया के दस्तावेजों और नेतृत्वकर्ताओं द्वारा दर्ज किया जा रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासचिव से व्यक्तिगत संवाद 2016 के दिसंबर में हुआ था। उन्होंने भारत के कार्यों की तारीफ़ की थी। उन्होंने कहा था कि वह भारत के युवाओं में संयुक्त राष्ट्र का भविष्य देखते हैं और यह चाहते हैं कि भारत की युवा संपदा संयुक्त राष्ट्र के काम आए। महासचिव भारत के रिश्तेदार भी हैं। वह यह चाहते हैं कि भारत की वास्तविक विरासत और उसकी वसुधैव कुटुम्बकम की संकल्पना को लोग समझें। गुटेरेस की पत्नी गोवा की रहने वाले हमारे भारतीय पुर्तगीज परिवार से हैं, यह बात कम लोगों को पता है किन्तु यह एक सच है। उन्होंने जब अपना पहला विजन-प्लान पेश किया दुनिया के महासचिव के चुनाव में तो हमारे उपनिषद को रेखांकित किया। इससे उनके भारत प्रेम को समझा जा सकता है। उन्होंने भारत के यात्रा की शुरुआत मुम्बई में ताज महल पैलेस होटल से जहां आतंकवादी हमले के पीड़ितों को श्रद्धांजलि दी। आईआईटी मुम्बई में अपने व्याख्यान के बाद गुजरात के केवडिया में उन्होंने पर्यावरण के लिए जीवनशैली मिशन के लिए समय निकाला और भारत का पहला घोषित सौर ऊर्जा आधारित गांव देखने का कार्यक्रम बनाया। दरअसल यह सतत विकास लक्ष्य के लिए उनकी एक यात्रा है, वह यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि हम सतत विकास लक्ष्य को कैसे अधिक से अधिक लक्ष्य के करीब ले जा सकेंगे। भारत में उनकी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के साथ पूरी दुनिया के लिए की जाने वाली पहल सभ्यता के नए मापदंड स्थापित करें तो निश्चित ही संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की यह यात्रा दुनिया के लिए नए भविष्य का सूत्रपात करने वाली होगी जो शांतिप्रिय समाज और देशों के लिए महत्वपूर्ण है।

( लेखक राष्ट्रपति के विशेष कार्य अधिकारी रह चुके हैं और अहिंसक सभ्यता के पैरोकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं। )

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