निरंकार सिंह का लेख : नई तकनीकों से बदलेगी दुनिया

निरंकार सिंह का लेख : नई तकनीकों से बदलेगी दुनिया
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वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की फ्यूचर ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सोसायटी पर बनी ग्लोबल एजेंडा काउंसिल ने संकेत दिया है कि नेटवर्क्ड रिसोर्सेज के जरिए फिजिकल और डिजिटल दुनिया के बीच बिना किसी दिक्कत के एकीकरण होगा। इस एकीकरण से हमारे काम करने के तरीके बदल जाएंगे। हेल्थकेयर इंडस्ट्री में 3डी प्रिंटर्स का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। इनके जरिए बोन रिप्लेसमेंट और ऑर्गन इंप्लांट्स जैसे ह्यूमन पार्ट बनाने पर काम चल रहा है, लेकिन बायोप्रिंटिंग में बायोइंजीनियरिंग और 3डी प्रिटिंग का मेल होता है। इससे हेल्थकेयर इंडस्ट्री के शोधकर्ता इस्तेमाल लायक क्रत्रिम अंग उगाने की कोशिशों में हैं। 2024 तक घरों में 50 प्रतिशत इंटरनेट ट्रैफिक डिवाइसेज से होगा।

निरंकार सिंह

नई-नई तकनीकों के विकास के साथ कई नई संभावनाएं भी खबरों में आ रही हैं। इस बदलाव से इतनी तेजी के साथ नए अवसर विकसित हो रहे हैं जो आप की दुनिया की तस्वीर ही बदल देंगे। यह नवाचार, आविष्कार और तकनीकों को प्रदर्शित करने वाले उत्पादों का नया युग होगा। ये उत्पाद अपनी क्षमताओं और संभावनाओं से हमें चौंकाते हैं, जबकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम, कम्प्यूटिंग, क्लाउड कम्प्यूटिंग और ब्लाकचेन हाल ही में एक नई छाप बना रहे थे, एनएफटी और मेट़ावर्स को इन चर्चित शब्दों की सूची में जोड़ा गया है। नई विकसित की जा रही तकनीकें अगले दस वर्षों में नए मुकाम पर पहुंच जाएंगी।

वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम की फ्यूचर ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सोसायटी पर बनी ग्लोबल एजेंडा काउंसिल ने संकेत दिया है कि नेटवर्क्ड रिसोर्सेज के जरिए फिजिकल और डिजिटल दुनिया के बीच बिना किसी दिक्कत के एकीकरण होगा। इस एकीकरण से हमारे काम करने के तरीके बदल जाएंगे। हेल्थकेयर इंडस्ट्री में 3डी प्रिंटर्स का इस्तेमाल शुरू हो चुका है। इनके जरिए बोन रिप्लेसमेंट और ऑर्गन इंप्लांट्स जैसे ह्यूमन पार्ट बनाने पर काम चल रहा है, लेकिन बायोप्रिंटिंग में बायोइंजीनियरिंग और 3डी प्रिटिंग का मेल होता है। इससे हेल्थकेयर इंडस्ट्री के शोधकर्ता इस्तेमाल लायक क्रत्रिम अंग उगाने की कोशिशों में हैं। 2024 तक घरों में 50 प्रतिशत इंटरनेट ट्रैफिक अप्लायंसेज और डिवाइसेज से होगा। मौजूदा वक्त में घरों में ज्यादातर इंटरनेट ट्रैफिक व्यक्तिगत उपयोग के लिए होता है, लेकिन साल 2024 तक घर पर आधे से ज्यादा इंटरनेट का इस्तेमाल होम ऑटोमेशन के मकसद से होगा।

3डी प्रिंटर्स के कम महंगे होने, ज्यादा ताकतवर और इस्तेमाल में आसान होने से कंज्यूमर्स तेजी से इस टेक्नोलॉजी को अपनाएंगे। इससे लोगों को घर में डिमांड के हिसाब से चीजें प्रिंट करने में मदद मिलेगी। 2014 में दुनियाभर में 1,33,000 3डी प्रिंटर्स बिके। 2013 के मुकाबले में यह संख्या 68 फीसदी ज्यादा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने हमारी दुनिया को बदल कर रख दिया है। लोगों की जीवनशैली को आसान बनाने के लिए प्रतिवर्ष नई-नई टेक्नोलॉजी आती रहती है। 2020 से 2022 तक मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस तकनीक का दबदबा रहा, वहीं इस साल कई और नई तकनीकें आने वाली हैं। तकनीक एक ऐसा क्षेत्र है जहां हर वक्त नए अविष्कार देखने को मिलते हैं। इस साल कैमरा तकनीक के साथ स्मार्टफोन की स्क्रीन में काफी बदलाव हुआ है। इसके अलावा इंटरनेट के क्षेत्र में भी काफी कुछ बदला है। 5जी तकनीक विदेशों में आ चुकी है। भारत में भी बहुत जल्द आने वाली है, इसका ट्रायल चल रहा है। इस साल आग्युमैंटेड एनलिटिक्स, एक्सपेंडिबल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे कई नए फीचर्स आने वाले हैं जो अगले 3 से 5 साल तक लोगों के जीवन को आसान बना देंगे।

भविष्य में आने वाली कुछ ऐसी तकनीकें जिनके आने के बाद हमारी दुनिया पूरी तरह से बदल जाएगी और हमारे दैनिक कार्य बहुत आसान हो जाएंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस या एआई, इस साल पहले से ही बहुत चर्चा में है। हाल ही में एआई की कई अन्य शाखाएं विकसित हुई है, जिसमें मशीन लर्निंग भी शामिल है। एआई मोटर सिस्टम को संदर्भित करता है जो मानव बुद्धि की नकल करने और छवियों, भाषण या पैटर्न की पहचान करने और निर्णय लेने जैसे कार्य को करने के लिए है। इसका इस्तेमाल नेवीगेशन एप, स्ट्रीम सर्विस, स्माटफोन पर्सनल असिस्टेंट, राइड शेयरिंग ऐप, होम पर्सनल असिस्टेंट और स्मार्ट होम डिवाइस के लिए किया जाता है। वैसे तो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस लगभग 1956 से है जो पहले से ही व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। वास्तव में, 6 में से 5 अमेरिकी हर दिन एक या दूसरे रूप में एआई सेवाओं का उपयोग करते हैं। मशीन लर्निंग एआई का सबसेट है। मशीन लर्निंग के साथ कंप्यूटर को कुछ ऐसा करने के लिए सीखने के लिए प्रोग्राम किया जाता है, जिसे वह करने के लिए प्रोग्राम्ड नहीं होते हैं। मशीन लर्निंग तेजी से सभी प्रकार के उद्योगों में तैनात किया जा रहा है। मशीन लर्निंग मार्केट 2022 तक बढ़कर 8.81 बिलियन डालर होने का अनुमान है। इसका उपयोग डाटा एनालिटिक्स, रियल टाइम विज्ञापन, नेटवर्क घुसपैठ का पता लगाने, डाटा खनन और पैटर्न मान्यता के लिए किया जाता है। ऑगमेंटेड एनालिटिक्स डाटा एनालिस्ट बाजार के लिए एक नया वरदान साबित हो सकता है, क्योंकि इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक को ट्रांसफार्म करके एनालिटिक्स कंटेंट विकसित किया जाएगा।

ऑगमेंटेड एनालिटिक्स डाटा एनालिटिक्स, डाटा शेयरिंग और बिजनेस इंटेलिजेंस को बढ़ाने के लिए मशीन लर्निंग और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग का उपयोग है। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि एक डेटा वैज्ञानिक डेटा को इकट्ठा करने, तैयार और सफाई करने में अपना 80 फीसदी समय लगा देता है। यह समय को बचाएगा। ब्लॉकचेन का उपयोग इंटरस्टेट ट्रांजैक्शन को रोकने के लिए किया जाएगा। ब्लॉकचेन के साथ लेनदेन की देखरेख करने की जरूरत नहीं है। यह क्रिप्टोकरेंसी और अन्य मेडिकल डाटा जानकारी की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आपने किसी प्रोडक्ट के पैकेट पर होलोग्राम का उपयोग देखा होगा, लेकिन फास्ट इंटरनेट आने के बाद इस तकनीक का उपयोग इवेंट, फिल्मी या प्रेजेंटेंशन में भी किया जाएगा। इसके माध्यम से वर्चुअल पिक्चर का उपयोग कर रियल चीजों को पेश किया जाएगा। जैसे यदि कोई इवेंट अमेरिका में हो रहा है तो होलोग्राम के उपयोग से भारत या दूसरे देश के लोग भी इवेंट को देख पाएंगे। आपने उड़ने वाली बाइक के बारे में जरूर सुना होगा, पर नए साल में एक कदम आगे आपको उड़ने वाली टैक्सी भी देखने को मिल सकती है।

हेलीकॉप्टर बनाने वाली कंपनी 'बेल' एयर टैक्सी का प्रोटोटाइप भी तैयार कर चुकी है। उम्मीद है कि 2022 के अंत तक इसे लांच कर सकतीे हैं। ऊबर हेलीकॉप्टर टैक्सी के साथ पार्टनरशिप करने में लगी हुई है। टेस्ला ने सबसे पहले ऑटो-पायलट फंक्शन वाली कार बनाई थी। हालांकि इसका इस्तेमाल सीमित ही किया जा सकता है क्योंकि सेल्फ ड्राइव कारें डायरेक्शन के लिए वर्चुअल पर निर्भर होती हैं और सही ड्राइविंग के लिए सेंसर की मदद लेती हैं। यह तकनीक लाजवाब है और इसमें लगातार सुधार किया जा रहा है। दुबई में ऑटो पायलट बस चल रही है। उम्मीद है आने वाले समय में यह यहां भी उपलब्ध होगी। हुवावे ने चीन में नवाचार हैंडसेट को पेश किया था। यह दुनिया का पहला फोन है जिसे 48 मेगापिक्सल का कैमरा सेंसर के साथ लॉन्च किया गया है। 2020 में तो यह टेक्नोलॉजी सिर्फ एक देश तक ही सीमित रही, लेकिन अब चाइना से बाहर भी इस तरह के कैमरा वाले वाले फोन उपलब्ध हैं। लाईफाई के बारे में तो आपने सुना ही होगा। यह भी वाईफाई की तरह एक वायरलेस सुविधा है, लेकिन यह वाईफाई से कई गुना ज्यादा तेज होता है।

( ये लेखक के अपने विचार हैं। )

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