Yes Bank : घोटाले करने वाले कौन

Yes Bank : घोटाले करने वाले कौन
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कॉरपोरेट हस्तियों का लूट-खसोट करना समझ से परे है। वे यह क्यों मान लेते हैं कि ये ही कंपनियों के सब कुछ हैं। कंपनियों को तो तमाम मजदूर मिलकर चलाते हैं। कंपनी की सफलता में सबका योगदान होता है, पर होता यह है कि कंपनी का राणा कपूर, सिंह बंधु, राजू जैसे प्रमोटर दोहन करने लगते हैं। ये कदाचार और अनैतिक हरकतों में लिप्त हो जाते हैं। इस कारण अच्छी खासी कंपनियां तबाह हो जाती है। सैकड़ों बेरोजगार हो जाते हैं। उनके घरों में चूल्हा तक जलना कठिन हो जाता है।

यस बैंक के संस्थापक राणा कपूर की करतूतों के तमाम काले चिट्ठे सबके सामने आ रहे हैं। वे अब सपरिवार लूट-खसोट के मामलों में फंसते जा रहे हैं। सीबीआई और दूसरी सरकारी एजेंसियां उनके घरों और दफ्तरों पर छापे मार रही हैं। यानी अर्श से फर्श पर आ गए हैं कपूर। यह कोई पुरानी बातें नहीं है जब दिल्ली के प्रतिष्ठित श्रीराम कॉलेज आफ कॉमर्स के छात्र रहे कपूर को बैंकिंग की दुनिया का नायक माना जाता था।

अब राणा कपूर, फ्लिपकार्ट के सहसंस्थापक बिन्नी बंसल, विश्व की प्रख्यात आईटी कंपनी आइगेट कॉरपोरेशन के चेयरमैन और सीईओ फणीश मूर्ति, रैनबैक्सी फार्मा के पूर्व प्रमोटर भाइयों मलविंदर सिंह तथा शिवंदर सिंह के रास्ते पर जा चुके हैं? ये सभी देश के कॉरपोपेट जगत के प्रेरणा स्रोत हुआ करते थे। ये सब अपने-अपने कॉरपोरेट घरानों को बेहतर तरीके से आगे लेकर जा रहे थे, लेकिन बाद में ये रास्ते से भटके और इतने भटके कि कहीं के नहीं रहे।

पिछले साल बिन्नी बंसल से फ्लिपकार्ट समूह के मुख्य कार्यपालक अधिकारी के पद से गंभीर व्यक्तिगत कदाचार के आरोपों के चलते इस्तीफा ले लिया गया था। बिन्नी बंसल पर लगे कदाचार के आरोपों के कारण उनकी साख धूल में मिल गई। उन आरोपों के बाद से वे गायब है। जिस शख्स ने सचिन बंसल के साथ मिलकर फ्लिपकार्ट जैसी बेहतरीन ई-कॉमर्स कंपनी खोली, वह आज अज्ञातवास में है। यह दु:खद स्थिति है। अगर थोड़ा पहले जाएं तो भारत के कॉरपोरेट संसार के पोस्टर ब्याय रहे गोल्डमैन सैक ग्रुप के रजत गुप्ता पर अमेरिका में इनसाइड ट्रेडिंग के आरोप लगे और साबित हुए। उन्हें सजा भी हुई। रजत गुप्ता के कृत्य के कारण भी भारत की साख पर बट्टा लगा था। माइक्रोसॉफ्ट के फाउंडर बिल गेट्स और पूर्व यूएन महासचिव कोफी अन्नान ने भी गोल्डमैन सैक ग्रुप के पूर्व बोर्ड मेंबर रजत गुप्ता की सजा में रियायत के लिए अमेरिकी जज को पत्र भेजे थे। इससे यह समझा जा सकता है कि गुप्ता कितने प्रभावीशावी इंसान रहे हैं। फणीस मूर्ति को तो सूचना प्रौद्योगिकी प्रदाता कंपनी आइगेट के मैनेजमेंट ने अपने चेयरमैन और सीईओपद से कथित यौन उत्पीड़न के आरोप में बर्खास्त कर दिया था। फणीस को इससे पहले इंफोसिस से इसी तरह के आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था। तब इंफोसिस के अंतरराष्ट्रीय विपणन विभाग के प्रमुख फणीस मूर्ति पर कंपनी के अमेरिकी साफ्टवेयर विकास केंद्र की महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए वहां की एक अदालत में दावा दायर किया था। आइगेट ने मूर्ति के कर्मचारी के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप पर यह फैसला लिया था।

राम-लक्ष्मण के देश में भाइयों में मारपीट को कोई भी स्वीकार नहीं कर सकता। पर रैनबैक्सी और फोर्टिस समूह के प्रमोटर सिंह बंधु मलविंदर और शिविंदर सिंह के बीच का मतभेद मारपीट तक जा पहुंचा है। मलविंदर सिंह ने छोटे भाई शिविंदर सिंह पर आरोप लगाया है कि उन्होंने उन पर हमला बोला। इससे पहले इन भाइयों ने अपने दादा भाई मोहन सिंह द्वारा स्थापित रैनबैक्सी फार्मा को जापान की एक कंपनी दाइची सैंक्यो को बेचने के दौरान धोखाधड़ी की थी। इन्होंने अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस से जुड़े मामले और एफडीए जांच में कुछ अहम जानकारियां छिपाईं और उन्हें गलत ढंग से पेश किया। जब रैनबैक्सी को दाइची ने खरीदा था तब किसी ने भी उस सौदे को बेहतरीन नहीं बताया था। आखिर रैनबैक्सी देश की सबसे बड़ी फार्मा कंपनी थी। जरा सोचिए कि अगर टाटा स्टील या इंडियन आयल को कोई विदेशी कंपनी खरीद ले। हम भले ही वैश्वीकरण के दौर में रह रहे हैं, पर कुछ कंपनियों को लेकर हर देश भावनात्मक रूप से सोचता है। आपको याद होगा कि भारतीय एयरटेल लाख कोशिश करने के बाद भी दक्षिण अफ्रीकी मोबाइल कंपनी एमटीएन पर कब्जा नहीं कर पाई थी। वजह थी कि समूचा अफ्रीका उसे अश्वेतों की शान और अस्मिता के साथ जोड़कर देखता है।

इसी क्रम में स्वतंत्र भारत के सबसे बड़े और चर्चित सत्यम घोटाले का जिक्र करना भी जरूरी है। देश की प्रमुख आईटी कंपनी सत्यम कम्प्यूटर में हुए घोटाले ने सबको हिला कर रखा दिया था। घोटाले के बाद सत्यम को महिन्द्रा समूह ने अधिग्रहित किया था। दरअसल सत्यम के संस्थापक बी. रामलिंगा राजू ने अकाउंट में गड़बड़ी करके अरबों रुपये का मुनाफा कमाने की बात मानी थी। दरअसल कोरपोरेट हस्तियों का लूट-खसोट करना समझ से परे है। ये यह क्यों मान लेते हैं कि ये ही कंपनियों के सब कुछ हैं। कंपनियों को तो तमाम मजदूर मिलकर चलाते हैं। इसलिए उस कंपनी की सफलता में सबका श्रम का योगदान होता है। पर होता यह है कि कंपनी के संसाधनों का राणा कपूर, सिंह बंधु, राजू जैसे प्रमोटर दोहन करने लगते हैं। ये कदाचार और अनैतिक हरकतों में लिप्त हो जाते हैं। इस कारण अच्छी खासी कंपनियां तबाह हो जाती है। सैकड़ों बेरोजगार हो जाते हैं। उनके घरों में चूल्हा तक जलना कठिन हो जाता है।

भारतीय कंपनियों को कॉरपोरेट गवर्नेंस के सवाल पर और सतर्क होने की जरूरत है। यही नहीं, भारतीय सीईओ को अपना आचरण भी साफ रखना होगा जिससे कि उन पर कभी कदाचार,यौन उत्पीड़न, करप्शन जैसे आरोप न लगें। जिस देश में जेआरडी टाटा, जीडी बिड़ला, जमना लाल बजाज और वर्तमान में रतन टाटा, आनंद महिन्द्रा, उदय कोटक सरीखे कॉरपोरेट हस्तियां हुई हों या हों, वहां पर कंपनियों के प्रमोटरों का घोटालों में फंसना दुर्भाग्यपूर्ण हैं।

( वरिष्ठ लेखक विवेक शुक्ला की कलम से)

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