अनोखी मिसाल : मोहसिन खान ने मुंह बोली दादी का दाह संस्कार कर कराया मुंडन, पूरे परिवार ने नहीं रखे रोजे

किसी ने सच ही कहा है खून से बड़ा दिल का रिश्ता (Heart Relation)होता है। कई बार दिल से बनाए हुए रिश्ते ऐसा काम कर देते हैं जो लोगों के लिए मिसाल बन जाते हैं। ऐसा ही एक मामला राजस्थान (Rajasthan) के भरतपुर (Bharatpur) में देखने को मिला। जहां एक मुस्लिम शख्स ने अपनी मुंह बोली दादी के निधन पर मुंडन कराया और गंगा जी में अस्थियां भी विसर्जित कीं। इसके लिए उन्होंने रमजान के पाक महीने में रोजे भी नहीं रखे।
निधन पर मुस्लिम परिवार ने गरूण पुराण भी सुनी, ब्रहम्भोज करवाया और शैय्या दान भी किया
मोती झील स्थित जेवीवीएनएल में लाइनमैन प्रथम मोहसिन खान (34 वर्ष) ने बताया कि दादी के निधन पर उन्होंने गरूण पुराण भी सुनी और ब्रहम्भोज करवाया और शैय्या दान भी किया। इसके साथ ही मोहसिन ने बताया कि लॉकडाउन के कारण उन्हे अस्थि विसर्जन के लिए पास बनवाने के लिए 3 बार कोशिश की और हर बार रिजेक्ट किया गया। बाद नें परमिशन मिलने के बाद वो गंगाजी नें दादी मां की अस्थि विसर्जित करके आए हैं।
2014 से दादी मुस्लिम परिवार के साथ ही रह रही थीं
मोहसिन ने बताया कि साल 2013 में उनकी अम्मा उम्मेदी बेगम की दोस्ती त्रिवेणी देवी शर्मा से हुई थी। जिसके बाद से उनका घर पर आना जाना होने लगा। मोहसिन ने आगे बताया कि त्रिवेणी देवी शर्मा और हमारा मजहब भले ही अलग था, लेकिन अम्मा की सहेली होने की वजह से हम भी उन्हे दादी बुलाने लगे । त्रिवेणी के पति का निधन 45 साल पहले ही हो चुका था। वह अपने इकलौते बेटे के साथ हेमंत कुमार के साथ रहती थी। वहीं 6 साल पहले बेटे का भी निधन हो गया और उसके बाद से त्रिवेणी देवी, मोहसिन के घर रहने लगी थीं। साल 2014 से वे मुस्लिम परिवार के साथ ही रह रही थीं।
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सूतक मानते हुए पूरे परिवार ने नहीं रखे रोजे
मोहसिन का कहना है कि 16 अप्रैल की शाम को वृद्धावस्था के कारण त्रिवेणी का निधन हो गया। जिसके बाद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान मोहसिन ने मुखाग्नि दी। वहीं 24 अप्रैल से रमजान भी शुरू हो गए और सूतक मानते हुए पूरे परिवार ने रोजे भी नहीं रखे। 20 मई को प्राइवेट गाड़ी में जाकर विधि-विधान से अस्थियां विसर्जित करके वापस आए हैं।
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