जेल में बंद कैदियों के अंदर जागी मानवता, अपने हिस्से का खाना बांट रहे बस्तियों के मजदूरों में

राजस्थान के बीकानेर जेल में बंद कैदियों की मानवता जाग उठी है। कोरोना वायरस संक्रमण के दौर में कई गरीब मजदूर परिवार भूखे-प्यासे भटक रहे हैं। इस बीच दरिया दिल बने कैदी अपने खाना का कुछ हिस्से जेल के पास रहने वाले 100 गरीब मजदूरों का भरन पोषण कर रहे हैं।
दरअसल, लॉकडाउन (Lockdown-4.0) के चलते सभी कामकाज बंद पड़े हैं। मजदूरों की रोज कमाई से ही उनके परिवार वालों (Family Members) का पालन होता है, लेकिन अभी के हालात ने इन गरीब लोगों को एक-एक रोटी जुटाने के लिए संकट में खड़ा कर दिया है।
इस हालात में जेल में बंद कैदी इन मजदूरों के काम आ रही है। बीछवाल में बीकानेर केन्द्रीय कारागृह (Central Jail) के पास गरीब मजदूरों की एक कच्ची बस्ती है। इन बस्तियों में करीब 125 परिवारों के 300 से ज्यादा लोग रह रहे हैं।
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ये सभी मजदूर डेली दिहाड़ी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। अभी के हालात के चलते भूखे मरने की नौबत आने लगी। जहां मददगार (Helpful) के रूप में जेल में बंद 1200 कैदी सामने आए हैं। उन्होंने तय किया कि रोजाना अपने हिस्से की रोटी-सब्जी बचाकर, पास में रहने वाले मजदूरों के पेट को भरेंगे।
हर रोज अपने खाना को बचाकर जेल प्रशासन को सौंप देते हैं। इसके बाद प्रशासन हर शाम खाना को लेकर बस्ती में पहुंचाता है। यह सिलसिला 50 दिनों से लगातार जारी है। कैदियों को हर रोज चार मोटी चपाती, सब्जी और दाल दी जाती है।
इसके अलावा स्पेशल डायट में खीर और हलवा भी खिलाया जाता है। कैदी यह सारा खाना के हिस्से को कच्ची बस्ती के लोगों में बंटवाते हैं।
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