मैच फिक्सिंग को लेकर भारत में पुलिस के हाथ बंधे हुए, बनना चाहिए कड़ा कानून - आईसीसी एसीयू

मैच फिक्सिंग को लेकर भारत में पुलिस के हाथ बंधे हुए, बनना चाहिए कड़ा कानून - आईसीसी एसीयू
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भविष्य में भारत तीन बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी करने को तैयार है, और इस स्थिति में रिचर्डसन ने भारतीय सरकार से आग्रह किया है कि श्रीलंका की तरह भारत में मैच फिक्सिंग को लेकर कड़े कानून हों, आपको बता दें कि 2019 में श्रीलंका इस तरह भ्रष्ट गतिविधियों को अपराध घोषित किया था

ICC के भ्रष्टाचाररोधी इकाई ACU के एक अधिकारी ने कहा कि भारत में फिक्सिंग को क्राइम घोषित करना चाहिए, यह बड़ा कदम होगा क्योंकि भारत में इसको लेकर कड़े कानून नहीं हैं। अधिकारी ने कहा कि इस कारण पुलिस के हाथ भी बंधे हैं, और वह सख्त कदम नहीं उठा सकती।

कानून विशेषज्ञ मैच फिक्सिंग को क्राइम घोषित करने लिए कार्य कर भी रहे हैं, क्योंकि क्रिकेट में फिक्सिंग को लेकर जांच करने के दौरान अधिकारीयों के पास खुली छूट नहीं होती, जिससे उन्हें जांच में समस्या आती है। ACU अधिकारी स्टीव रिचर्डसन ने Cricinfo को बताया कि भारत में पुलिस से सम्पर्क में हैं, परंतु वह भी कानून के आगे बंध जाते हैं।

रिचर्डसन ने कहा कि हमारा काम क्रिकेट में भ्रष्टाचार को रोकना है, और हमारा प्रयास लगातार ऐसी चीजों को रोकना होता है। हम क्रिकेट में भ्रष्टाचार नहीं होने देने की पूरी कोशिश करते हैं। हालांकि रिचर्डसन मानते हैं कि भारत में इसको लेकर कड़े कानून बनने हैं, तो मैच फिक्सिंग को रोकना बहुत ही आसान हो जाएगा।

भारत सरकार से कानून बनाने को लेकर आग्रह

भविष्य में भारत तीन बड़े टूर्नामेंट की मेजबानी करने को तैयार है, और इस स्थिति में रिचर्डसन ने भारतीय सरकार से आग्रह किया है कि श्रीलंका की तरह भारत में मैच फिक्सिंग को लेकर कड़े कानून हों, आपको बता दें कि 2019 में श्रीलंका इस तरह भ्रष्ट गतिविधियों को अपराध घोषित किया था, और साउथ एशिया का पहला देश बन गया जिसने ऐसा किया।

क्रिकेट मैच फिक्सिंग पर लगेगी लगाम

रिचर्डसन ने कहा कि कानून बनने से उन लोगों को पकड़ा जा सकेगा, जो मैच फिक्सिंग जैसे अपराध करने के बावजूद खुले आम घूम रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि 8 लोगों के नाम तो मै पुलिस या सरकार को दे सकता हूँ, जो फिक्सिंग करने के लिए क्रिकेटर्स से लगातार सम्पर्क करते रहते हैं। पूर्व आईपीएस अजित सिंह ने भी माना कि मैच फिक्सिंग को लेकर कोई ठोस कानून नहीं है।

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