ODI World Cup 1983: भारत की जीत के बाद डेविड को कैमरे के सामने खाना पड़ा कागज का टुकड़ा, पढ़ें अनसुने किस्से

ODI World Cup 1983: भारत की जीत के बाद डेविड को कैमरे के सामने खाना पड़ा कागज का टुकड़ा, पढ़ें अनसुने किस्से
X
ODI World Cup 1983: भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) आज पहले विश्व कप में अपनी जीत की 40वीं सालगिरह मना रही है। भारतीय टीम की जीत के बाद विजडन के संपादक डेविड फ्रिथ (David Frith) ने क्यों खाया था कागज का टुकड़ा, जानें पूरी कहानी...

ODI World Cup 1983: आज के दिन यानी 24 जून को भारतीय क्रिकेट टीम (Indian Cricket Team) ने कपिल देव (Kapil Dev) की कप्तानी में 25 जून को इंग्लैंड (England) में वनडे विश्व कप (ODI World Cup) का अपना पहला खिताब (Trophy) जीता था। लॉर्ड्स (Lords) में खेले गए फाइनल मैच (Final) में भारतीय क्रिकेट टीम ने वेस्ट इंडीज (West Indies) को फाइनल मैच में 43 रन से हराकर ट्रॉफी (Trophy) जीती थी।

विश्व कप से पहले विजडन (Wisdon) पत्रिका के संपादक डेविड फ्रिथ (David Frith) ने अपने एक लेख में लिखा था कि अगर भारत विश्व कप जीत लेता है, तो वह अपने लिखे को चबा जाएगें। भारत की जीत के बाद पत्रिका के एक पाठक ने फ्रिथ को उनकी बात याद दिलाई। इसके बाद फ्रिथ ने अपना अखबार की वो कटिंग खाई, जिसमें उन्होंने भारत के हार की आशंका जताई थी।

आज से 40 साल पहले, कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम ने करते हुए लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड (Lords Cricket Ground) में फाइनल में उस समय की ताकतवर वेस्ट इंडीज को हराकर क्रिकेट विश्व कप जीता था। फाइनल मैच में मोहिंदर अमरनाथ (Mohinder Amarnath) को उनके हरफनमौला प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द मैच (Man of the Match) चुना गया था।

क्रिकेट का सुपरपॉवर बन गया भारत

1983 का विश्व कप की जीत के बाद बीसीसीआई (BCCI) के पास टीम के खिलाड़ियों को इनाम देने के पैसे नहीं थे, लेकिन आज के समय में भारत (India) क्रिकेट का सुपरपॉवर (Superpower)) बनकर उभरा है। विश्वकप कप शुरु होने से पूर्व भारतीय टीम को टूर्नामेंट (Tournament) जीतने का प्रबल दावेदार नहीं माना जा रहा था। इसके बावजूद भारत ने गत चैंपियन (Defending Champion) वेस्टइंडीज सहित दुनिया की कई सर्वश्रेष्ठ टीमों को हराया। यह जीत भारत के लिए बहुत गर्व की बात थी और इससे देश में क्रिकेट की लोकप्रियता को बढ़ाने में मदद मिली। आज के समय में क्रिकेट भारत में सबसे लोकप्रिय (Popular) खेलों में से एक है और 1983 विश्व कप की जीत को अभी भी देश के इतिहास में सबसे बड़ी खेल उपलब्धियों में से एक के रूप में याद किया जाता है। भारतीयों की एक पीढ़ी को क्रिकेट के खेल को गंभीरता से लेने के लिए प्रेरित किया था। लॉर्ड्स में विश्व कप ट्रॉफी थामने वाली कपिल देव की छवि हर भारतीय क्रिकेट प्रशंसक की यादों में बसी हुई है। यह जीत भारतीय क्रिकेट के लिए भी एक ऐतिहासिक क्षण था। इसके बाद भारत में क्रिकेट का निरंतर विकास होता गया और आज पूरी दुनिया भारत को क्रिकेट के एक बहुत बड़े ताकत के रूप में पहचानती है। आज के समय में कई देश अप्रत्यक्ष रूप से भारत के पैसे से क्रिकेट खेलते हैं।

कपिल देव को विश्वास था, भारत जीत सकता है

1983 के विश्व कप में अधिकांश भारतीय क्रिकेटरों को टीम के लीग चरण से आगे बढ़ने की उम्मीद नहीं थी। टीम के कई खिलाडियों ने अमेरिका में छुट्टियों की योजना बनाई थी। टीम के सलामी बल्लेबाज श्रीकांत ने अपने हनीमून की भी योजना बनाई थी। लेकिन टीम के कई मैचों में जीत दर्ज करने के बाद खिलाडियों को अपने प्लान बदलने पड़े।

1983 के विश्व कप विजेता टीम के सदस्य और पूर्व क्रिकेटर कीर्ति आज़ाद (Kirti Azad) के अनुसार, ''टूर्नामेंट की शुरुआत में केवल कप्तान कपिल देव को ही विश्वास था कि टीम आगे तक जा सकती है। टूर्नामेंट की शुरुआत में भारत को कमजोर माना जा रहा था, लेकिन फाइनल में उसने विश्व कप दो बार की लगातार विजेता वेस्ट इंडीज टीम को हराकर कप जीत लिया। जब वह दौरा शुरू हो रहा था, तो कपिल देव के बैग में मैने एक छोटी सी शैम्पेन (Champagne) की बोतल देखी। मैंने उनसे कहा, इसे हमें दे दो। आप इसका क्या करेंगे? आप तो पीते भी नहीं हैं। लेकिन उन्होंने इसे अंत तक अपने पास रखा। यदि आप तस्वीर देखेगें तो पाएगें कि यह पहली बोतल थी जो लॉर्ड्स की बालकनी पर खोली गई थी। हमने शैंपेन की वह बोतल उनसे लेने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने नहीं दी। उन्हें शुरू से ही विश्वास था कि हम विश्व कप जीत सकते हैं।

1983 विश्व कप फाइनल

1983 क्रिकेट विश्व कप फाइनल साहस और धैर्य की लड़ाई थी। तत्कालीन चैंपियन वेस्टइंडीज ने भारत को सिर्फ 183 रनों पर आल आउट (All-out) कर दिया था। हालाँकि, भारत ने गेंदबाजी के दौरान शानदार वापसी की। तेजी से रन बना रहे वीवीयन रिचर्ड्स (Viv Richards) को कपिल ने एक शानदार कैच लेकर चलता किया। जब रिचर्ड्स आउट हुए तो वेस्टइंडीज का स्कोर 57-2 पर था। रिचर्ड्स शानदार फॉर्म में थे और उनके आउट होने से पहले ऐसा लग रहा था कि वेस्टइंडीज की मैच जीत जाएगा। हालाँकि, कपिल देव ने रिचर्ड्स को आउट करने के लिए एक शानदार कैच पकड़ा। यह मैच में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसके बाद वेस्टइंडीज का टीम का कोई भी बल्लेबाज क्रीज पर खड़ा नहीं हो सका।

अपने शब्दों का स्वाद कैसा है

दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट पत्रिका विजडन क्रिकेट मासिक के तत्कालीन संपादक डेविड फ्रिथ ने 1983 क्रिकेट विश्व कप से पहले एक लेख लिखा था, जिसमें भविष्यवाणी की गई थी कि कपिल देव की अगुवाई वाली भारतीय क्रिकेट टीम विश्व कप में ग्रुप स्टेज से आगे नहीं बढ़ पाएगी। डेविड फ्रिथ ने यहां तक कह दिया था कि अगर ऐसा हुआ तो वह "उनके शब्दों को खा जाएंगे"। भारत के टूर्नामेंट जीतने के बाद, विजडन पत्रिका के एक पाठक ने फ्रिथ को उनकी भविष्यवाणी याद दिलाई। फ्रिथ अपनी बात के पक्के आदमी थे। ऐसे में फ्रिथ ने सचमुच में अपना लेख कैमरे के सामने खाया था। फ्रिथ की अपने शब्दों को खाते हुए की छवि पत्रिका में प्रकाशित हुई और डेविड फ्रिथ की यह तस्वीर भारत की विश्व कप 1983 की अप्रत्याशित जीत का एक स्थायी प्रतीक बन गई।

Also Read: मेसी अरबों रुपयों के हैं मालिक, जानिए नेट वर्थ और उनकी कारों का कलेक्शन

Tags

Next Story