Dhoni Retirement महेंद्र सिंह धोनी का गोलकीपर से देश की धड़कन बनने तक का पूरा सफर

Dhoni Retirement महेंद्र सिंह धोनी का गोलकीपर से देश की धड़कन बनने तक का पूरा सफर
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Dhoni Retirement दिसंबर 2014 में अपने इंटरनेशनल डेब्यू से लेकर अब तक धोनी (MS Dhoni) को कभी भी किसी भी प्रारूप में टीम से बाहर नहीं किया गया है। केवल उन्हें आराम दिया गया है। उनकी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने कई यादगार उपलब्धियां हासिल की है। आगे जानते हैं कैसे गोलकीपर देश की धड़कन बन गया।

Dhoni Retirement पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (Mahendra Singh Dhoni) की गिनती दुनिया के सफलतम कप्तानों में होती है। उन्हें वर्ल्ड क्रिकेट का बेस्ट फिनिशर माना जाता है। दिसंबर 2014 में अपने इंटरनेशनल डेब्यू से लेकर अब तक धोनी (Ms Dhoni) को कभी भी किसी भी प्रारूप में टीम से बाहर नहीं किया गया है। केवल उन्हें आराम दिया गया है। उनकी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने कई यादगार उपलब्धियां हासिल की है। आगे जानते हैं कैसे गोलकीपर देश की धड़कन बन गया।


गोलकीपर से देश की धड़कन बन गए धोनी

एमएस धोनी का जन्म रांची, बिहार (अब झारखंड में) में हुआ था। धोनी का पैतृक गांव लवाली उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के लमगड़ा ब्लॉक में है। धोनी के माता-पिता उत्तराखंड से रांची आकर बस गए। दरअसल रांची में धोनी के पिता पान सिंह मेकॉन कंपनी में जूनियर मैनेजमेंट के पद पर काम करते थे। धोनी ने रांची के डीएवी जवाहर विद्या मंदिर, श्यामली से पढाई की है, जहां उन्होंने शुरुआत में बैडमिंटन और फुटबॉल में शानदार प्रदर्शन किया और इन खेलों में जिला और क्लब स्तर पर भी चुने गए।


स्कूल के दिनों में धोनी अपनी फुटबॉल टीम के गोलकीपर थे और उन्हें अपने फुटबॉल कोच द्वारा एक स्थानीय क्रिकेट क्लब के लिए विकेटकीपिंग के लिए भेजा गया था। ऐसा कहा जाता है कि स्कूल फुटबॉल टीम के गोलकीपर की अनुपस्थिति में धोनी ने यह मौका मिला था। धोनी ने क्रिकेट नहीं खेला था, हालांकि धोनी ने अपने विकेट कीपिंग कौशल से प्रभावित किया और कमांडो क्रिकेट क्लब (1995-1998) में नियमित विकेटकीपर बने। क्लब क्रिकेट में उनके अच्छे प्रदर्शन के आधार पर धोनी को 1997/98 सीजन के वीनू मांकड़ ट्रॉफी अंडर -16 चैम्पियनशिप के लिए चुना गया और उन्होंने यहां अच्छा प्रदर्शन किया।


आपको जानकर हैरानी होगी कि धोनी ने अपने 10वीं क्लास के बाद क्रिकेट पर ध्यान केंद्रित किया और फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। बता दें कि धोनी पश्चिम बंगाल के खड़गपुर रेलवे स्टेशन पर 2001 से 2003 तक एक टिकट कलेक्टर (टीटीई) के रूप में भी काम किया। उनके साथ काम करने वाले साथी उन्हें भारतीय रेलवे के एक बहुत ही ईमानदार और सीधे कर्मचारी के रूप में याद करते हैं। हालांकि बहुत कम लोगों को पता होगा कि कैप्टन कूल के नाम से मशहूर धोनी शरारती भी थे। एक बार रेलवे क्वार्टर में रहने के दौरान धोनी और उनके एक दोस्त ने खुद को सफेद बेडशीट में ढंक लिया और देर रात परिसर में घूमे। और रात के पहरेदारों को यह कहते हुए बेवकूफ बनाया गया था कि परिसर में भूत घूम रहे थे।

इंटरनेशनल करियर की शुरुआत

एमएस धोनी ने बिहार की ओर से रणजी ट्रॉफी करियर की शुरुआत 1999-2000 में की। अपने डेब्यू मैच की पहली पारी में धोनी ने 68 रन बनाए। सीजन के पांच मैचों में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 283 रन बनाए। धोनी ने दिसंबर 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ एकदिवसीय मैच में डेब्यू किया और अपना पहला टेस्ट एक साल बाद श्रीलंका के खिलाफ खेला।


एमएस धोनी ने 2007 से 2016 तक सीमित ओवरों के प्रारूप में और 2008 से 2014 तक टेस्ट क्रिकेट में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रहे। उनकी कप्तानी में भारत ने 2007 आईसीसी विश्व टी20, 2010 और 2016 एशिया कप, 2011 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप और 2013 आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी जीता। धोनी तीन बड़े आईसीसी इवेंट जीतने वाले दुनिया के भी एकमात्र कप्तान हैं। जिसमें वर्ल्ड टी20, 2011 में वर्ल्ड कप और 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी शामिल है।

धोनी भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे सफल कप्तान भी हैं। उन्होंने अपनी कप्तानी में 27 टेस्ट मैच जीते हैं। वहीं वनडे में धोनी ने अपनी कप्तानी में 110 और टी20 में 41 मैच जीते हैं। हाल ही में विराट कोहली धोनी की पीछे छोड़कर भारत के सबसे सफल टेस्ट कप्तान बने हैं।

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