सचिन से लेकर रहाणे तक अनुभवी बल्लेबाज संभालते रहे हैं विश्व कप में नंबर-4 की जिम्मेदारी, इस बार कौन?

भारत जब 2011 में दूसरी बार विश्व चैंपियन बना तो विराट कोहली और युवराज सिंह ने बल्लेबाजी क्रम में नंबर चार पर अहम भूमिका निभाई थी लेकिन अब आठ साल बाद विश्व कप से ठीक पहले भारतीय टीम मध्यक्रम के इस महत्वपूर्ण स्थान को लेकर उहापोह में है जिस पर कभी सचिन तेंदुलकर ने भी अपनी चमक बिखेरी थी। भारत की तरफ से 30 मई से ब्रिटेन में होने वाले विश्व कप में नंबर चार कौन बल्लेबाज उतरेगा यह टीम चयन के बाद से ही चर्चा का विषय बना हुआ है।
चयनकर्ताओं ने विजय शंकर को इस स्थान के लिए चुना लेकिन वह आईपीएल में अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए। केएल राहुल ने अच्छी फार्म में दिखाकर अपना दावा मजबूत किया है जबकि दिनेश कार्तिक और महेंद्र सिंह धोनी को भी इस स्थान पर भेजा जा सकता है। इनमें से शंकर, राहुल और कार्तिक को विश्व कप का अनुभव नहीं है। धोनी तीन विश्व कप में खेले हैं लेकिन वह केवल एक बार 2007 में नंबर चार पर बल्लेबाजी के लिए उतरे जिसमें उन्होंने 29 रन बनाए थे।
तो क्या कोहली संभालेंगे जिम्मेदारी
तो क्या कोहली तीसरे नंबर के बजाय चौथे नंबर पर उतरना पसंद करेंगे? आखिर विश्व कप 2011 में वह इस भूमिका में खरे उतरे थे। वर्तमान भारतीय कप्तान तब पांच मैचों में नंबर चार पर उतरे थे जिनमें उन्होंने एक शतक की मदद से 202 रन बनाए थे। युवराज ने भी दो मैचों में इस स्थान की जिम्मेदारी संभाली थी जिसमें बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने एक शतक की मदद से 171 रन बनाए थे।
1983 में यशपाल और संदीप का बेहतरीन प्रदर्शन
भारत जब 1983 में विश्व चैंपियन बना था तब यशपाल शर्मा (तीन मैचों में 112 रन) और संदीप पाटिल (तीन मैचों में 87 रन) ने नंबर चार पर उपयोगी योगदान दिया था। दिलीप वेंगसरकर दो मैचों में इस स्थान पर उतरे थे जिसमें उन्होंने 37 रन बनाए थे। वेंगसरकर 1987 में पांच मैचों में नंबर चार बल्लेबाज के रूप में खेले थे जिसमें उनके नाम पर 171 रन दर्ज है।
सचिन के नाम 12 मैचों में 400 रन
पहले दो विश्व कप में गुंडप्पा विश्वनाथ (कुल छह मैचों में 145 रन) ने यह भूमिका बखूबी निभाई थी जबकि 1992 में तेंदुलकर (सात मैच में 229 रन) के लिए यह नंबर तय था। तेंदुलकर ने विश्व कप में भारत की तरफ से नंबर चार पर सर्वाधिक 12 मैच खेले हैं जिनमें उनके नाम पर 400 रन दर्ज है। उनके बाद मोहम्मद अजहरूद्दीन (नौ मैचों में 238 रन) का नंबर आता है। वह 1996 में छह मैचों में नंबर चार पर उतरे थे लेकिन नाबाद 72 रन की एक पारी के अलावा कोई कमाल नहीं दिखा पाए थे।
1999 में जडेजा के 182 रन
इंग्लैंड में पिछला विश्व कप 1999 में खेला गया था और तब अजय जडेजा (तीन मैचों में 182 रन), तेंदुलकर (तीन मैचों में 164 रन) और अजहर (दो मैचों में 31 रन) ने इस नंबर की जिम्मेदारी संभाली थी।
2003 में कैफ के 142 रन
दक्षिण अफ्रीका में खेले गए विश्व कप 2003 में मोहम्मद कैफ सर्वाधिक छह मैचों में नंबर चार पर उतरे थे जिसमें उन्होंने 142 रन बनाए। उनके अलावा राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली, युवराज और नयन मोंगिया को भी इस स्थान पर आजमाया गया था।
2015 के बाद अब रहाणे और रैना नहीं
कोहली ने विश्व कप 2011 के बाद नंबर तीन पर अच्छी जिम्मेदारी निभाई और यही वजह है कि विश्व कप 2015 में अजिंक्य रहाणे सात मैचों में इस स्थान पर बल्लेबाजी के लिए उतरे जिसमें उन्होंने 208 रन बनाए। एक मैच में सुरेश रैना ने यह जिम्मेदारी संभाली और 74 रन की पारी खेली। ये दोनों इस समय विश्व कप टीम में नहीं हैं।
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