खेलभावना की मिसाल के लिए जाने जाते हैं Gundappa Viswanath, आज है बर्थ डे

क्रिकेट इतिहास में सबसे अधिक खेल भावना के साथ क्रिकेट खेलने वाले भारतीय खिलाड़ियों में सबसे पहला नाम अगर किसी का आता है, तो वह हैं गुंडप्पा विश्वनाथ (Gundappa Viswanath)। भारत के लिए 91 टेस्ट और 25 वनडे खेलने वाले विश्वनाथ को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट (International cricket) को अलविदा कहे 38 साल हो गए हैं, लेकिन आज भी मैदान पर उनकी ईमानदारी और खेल भावना की मिसाल दी जाती है। गुंडप्पा विश्वनाथ को उन खिलाड़ियों में भी याद किया जाता है, जिनका बल्ला कामयाबी की गारंटी होता है। भारतीय टीम (Indian team) के पूर्व बल्लेबाज गुंडप्पा विश्वनाथ (Gundappa Viswanath) उन्हीं खिलाड़ियों में से हैं, जिनका बल्ला जब भी चला उनकी टीम को जीत मिली या मैच ड्रॉ हुआ। गुंडप्पा को प्यार से लोग 'विशी' कहकर भी पुकारते थे। गुंडप्पा स्वतंत्र भारत में जन्में क्रिकेटरों में से हैं। 12 फरवरी 1949 को उनका जन्म मैसूर (Mysuru) भद्रावती में हुआ।
70 के दशक में गुंडप्पा विश्वनाथ (Gundappa Viswanath) भारतीय बल्लेबाजी का एक बड़ा नाम था। उन्होंने 91 टेस्ट मैच में करीब 42 की औसत से 6080 रन बनाए। एक बेजोड़ बल्लेबाज, जिसका अंदाज दूसरों से हटकर, जिसे सही मायनों में कलाईयों का जादूगर कहा जाता था। बल्लेबाजी के दौरान कलाईयों का इस्तेमाल कैसे करना है? सटीक टाइमिंग के साथ तालमेल बिठाना, यह उनकी बल्लेबाजी को देखकर समझा जा सकता था। लेकिन कहीं न कहीं सुनील गावस्कर (Sunil Gavaskar) की प्रसिद्धी के कारण लोगों ने उनकी इस कला को भुला दिया। हालांकि गुंडप्पा विश्वनाथ और सुनील गावस्कर के बीच एक रिश्ता भी है। दरसल दोनों रिश्ते में जीजा साले हैं। विश्वनाथ ने सुनील गावस्कर की बहन कविता से शादी की है। खुद गावस्कर गुंडप्पा विश्वानाथ को अपने पसंदीदा बल्लेबाजों में से एक बताते हैं।
कहा जाता था जेंटलमैन गेम का ब्रांड एंबेसडर
गुंडप्पा विश्वनाथ उन खिलाडियों में से हैं, जिन्हें क्रिकेट में जेंटलमैन गेम का ब्रांड एंबेसडर कहा जाता है। उनके जेंटलमैन गेम के पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है, दरअसल साल1979-80 में सिल्वर जुबली टेस्ट (Silver Jubilee test) में इंग्लैंड (England) के खिलाफ एक टेस्ट मैच में इंग्लैंड के बल्लेबाज बॉब टेलर (Bob Taylor) शानदार बल्लेबाजी कर रहे थे, तभी उन्हें अंपायर ने आउट दे दिया। जिसके बाद वह जाने लगे, लेकिन गुंडप्पा को लगा कि अंपायर से गलती हुई है, तो उन्होंने बल्लेबाज को वापस बुलवा लिया। उसके बाद भी बॉब टेलर ने अपनी टीम के लिए कीमती रन बनाए, जिस कारण भारतीय टीम (Indian team) को मैच में हार का सामना करना पड़ा।
पहला हेलीकॉप्टर शॉट खेलने वाले बल्लेबाज
दुनिया में हेलीकॉप्टर शॉट (Helicopter shot) खेलने के लिए भारतीय टीम के पूर्व कप्तान एमएस धोनी (Mahendra Singh Dhoni) को जाना जाता है, लेकिन धोनी के क्रिकेट में कदम रखने से 25 साल पहले ही साल 1979 में गुंडप्पा विश्वानाथ ने हेलीकॉप्टर शॉट खेला था।
पहला इंटरनेशनल मैच
गुंडप्पा ने साल 1969 में इंटरनेशनल क्रिकेट (International cricket) में कदम रखा। उस समय उनकी उम्र महज 20 साल थी। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ कानपुर में खेले डेब्यू टेस्ट की पहली पारी में उन्होंने खाता नहीं खोला और दूसरी इनिंग में शतक जड़ते हुए 137 रन जड़ दिए।
गुडंप्पा को भारतीय टीम का संकटमोचन भी कहा जाता था। उन्हें लेकर एक बात बड़ी मशहूर थी कि वो तभी ज्यादा रन बनाते थे, जब भारत को जरूरत होती थी। यानी कि जब टीम मंझधार में फंसी होती थी तो वह मांझी बनकर टीम की नैय्या पार लगाते थे।
विश्वनाथ ने अपना आखिरी टेस्ट 1983 में पाकिस्तान के खिलाफ कराची में खेला था। जब उन्होंने संन्यास लिया तब उनके नाम 91 टेस्ट में 42 की औसत से 6080 रन दर्ज थे। उनका सर्वोच्च टेस्ट स्कोर 222 रन रहा। गुंडपा ने 1983 में रिटायर होने के कुछ साल बाद मैच रेफरी बन गए। वहीं उन्होंने 1999 से 2004 के बीच मैच रेफरी की भूमिका निभाई। साथ ही वह कुछ समय के लिए बीसीसीआई (BCCI) की चयनसमिति के अध्यक्ष भी रहे हैं. उन्होंने नेशनल क्रिकेट एकेडमी (National Cricket Academy) में भी जिम्मेदारी संभाली।
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