Harbhajan Singh Birthday : ऑस्ट्रेलिया की वो सीरीज जिसमें भज्जी ने कंगारुओं को भूत बना दिया

Harbhajan Singh Birthday : ऑस्ट्रेलिया की वो सीरीज जिसमें भज्जी ने कंगारुओं को भूत बना दिया
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क्रिकेट जगत में उस समय ऑस्ट्रेलिया दादा हुआ करता था। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने पहले से ही मान लिया था कि कंगारुओं को हरा पाना संभव नहीं है। रिंकी पोटिंग की अगुआई में भारत पहुंची ऑस्ट्रेलिया ने क्रिकेट पंडितो की भविष्यवाणी सच करते हुए पहले टेस्ट में भारत को करारी शिकस्त दी।

आज भारत के उस फिरकी गेंदबाज का जन्मदिन है जिसने भारत को अपनी मारक गेंदबाजी के दम पर टीम को तो कई बार जिताया साथ ही कई मौको पर अपनी धाकड़ बल्लेबाजी के दम पर भी टीम की नैया पार लगाई है। बात भारत के सफल ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह की कर रहे हैं। जिनका आज जन्मदिन है।

हरभजन सिंह का शुरुआती क्रिकेट करियर बड़ा शानदार रहा, 25 मार्च 1998 को टेस्ट में पदार्पण करने वाले हरभजन सिंह ने एक बार टीम में आए तो 1 दशक तक बने ही रहे। हरभजन सिंह के क्रिकेट करियर में वो सीरीज सबसे खास है जब ऑस्ट्रेलिया तीन टेस्ट मैचो की सीरीज खेलने भारत आई थी।

क्रिकेट जगत में उस समय ऑस्ट्रेलिया दादा हुआ करता था। भारतीय क्रिकेट प्रेमियों ने पहले से ही मान लिया था कि कंगारुओं को हरा पाना संभव नहीं है। रिंकी पोटिंग की अगुआई में भारत पहुंची ऑस्ट्रेलिया ने क्रिकेट पंडितो की भविष्यवाणी सच करते हुए पहले टेस्ट में भारत को करारी शिकस्त दी।



10 विकेट से पहला टेस्ट मैच गवाने वाली भारतीय टीम का आत्मबल कमजोर हो गया। टीम मीटिंग में भी खिलाड़ी बस इस बात की चर्चा कर रहे थे कि कब इनसे कंगारुओं से सीरीज खत्म हो और दूसरी कमजोर टीम के खिलाफ सीरीज जीता जाए। पर हरभजन सिंह के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।

पहले मैच में चार विकेट लेने वाले भज्जी ने कलकत्ता में खेले गए दूसरे टेस्ट में गदर मचाना शुरू किया। और विशाल टारगेट की तरफ बढ़ रही ऑस्ट्रेलिया को हैट्रिक विकेट के जरिए रोक दिया। हरभजन ने पहली पारी में 7 विकेट हासिल किए। बल्लेबाजों ने निराश किया और 171 रन पर आलआउट होकर फॉलोआन खेलने को मजबूर होना पड़ा।

फॉलोआन के लिए उतरी टीम में मानो किसी दैवीय शक्ति का वास हो गया हो। कोई आउट ही नहीं हो रहा था। टीम ने दो दिन खेला, वीवीएस लक्ष्मण के 281 रनों की बदौलत 657 रन बनाकर पारी घोषित कर दी। अब बारी गेंदबाजों की थी भज्जी आगे आए और कंगारुओं को नेस्तनाबूत करते हुए 212 रन पर ढेर कर दिया। भज्जी ने 6 विकेट झटककर टीम को 171 रन से शानदार जीत दिलाई।



हरभजन सिंह अखबारों के पहले पन्ने पर पहली बार आए थे। उनका आत्मविश्वास सातवें आसमान पर था। 1-1 की बराबरी के बाद तीसरे और निर्णायक टेस्ट के लिए दोनों टीमें चेन्नई के चेपक स्टेडियम पहुंच चुकी थी। दूसरा टेस्ट जीतने के बाद भारतीय टीम को लेकर दर्शको की उम्मीदे बढ़ गई थी। हरभजन का फार्म टीम के लिए किसी अमृत से कम नहीं था।

ऑस्ट्रेलिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया। एक छोर पर विकेट गिरता रहा दूसरे छोर पर ओपनर मैथ्यू हेडन टिक गए। अर्धशतक मारा, फिर शतक मारा और देखते ही देखते दोहरा मार दिया। जितना टीम के लिए वह योगदान देना चाहते थे उससे ज्यादा हरभजन सिंह अपनी टीम के लिए लग गए। और कंगारुओं के 7 विकेट उखाड़ लिए।



भारत ने शानदार जवाब दिया और 501 रन बनाए। 110 रन से पिछड़ने के बाद बल्लेबाजी के लिए उतरी कंगारु खिलाड़ियों के दिमाग में हरभजन का डर बस गया। पूरी सीरीज में विपक्षी खेमें के लिए अबूझ पहेली बने हरभजन ने इस पारी में 8 विकेट लिया और भारत की जीत सुनिश्चित की।

हरभजन ने तीन मैचों की सीरीज में कुल 32 विकेट झटके। 3 मैचो में सबसे ज्यादा विकेट लेने का ये वो रिकॉर्ड हैं जो आज 18 साल के बाद भी बरकरार है। हरभजन के खौफ से कंगारु फिलहाल कभी नहीं उभर पाए जब भी शिकार करने का मौका मिला तो हरभजन ने ही कंगारुओ का शिकार किया। क्रिकेट को अलविदा कह चुके हरभजन सिंह को जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई

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