17 साल की उम्र में टेस्ट डेब्यू, उंगली गंवाई पर हौसला नहीं, कोहली को गरियाते हुए इस खिलाड़ी ने लिया संन्यास

खेल। भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) में छोटा कद होने के बावजूद तूफानी अंदाज में बैटिंग के चलते काफी वाहवाही बटोरने वाले पार्थिव पटेल (Parthiv patel) का आज बर्थडे (Birthday) है। उन्होंने महज 17 साल 153 दिन की उम्र में टेस्ट डेब्यू किया। लेकिन पहली ही पारी में जीरो पर आउट हो गए। वहीं दूसरी पारी में नाबाद 19 रन की छोटी और अहम पारी खेलकर भारत (India) को हारने से बचाया। जहां एक तरफ पार्थिव पटेल (Parthiv patel) को अपनी बल्लेबाजी के कारण तारीफें मिली। वहीं स्टंप्स के पीछे गड़बड़ियों के चलते उनकी खिंचाई भी हुई। और इतना ही नहीं बल्कि, एक समय अपने से दुगुनी उम्र के ऑस्ट्रेलियाई कप्तान (Australian captain) को उन्हीं के घर में उन्होंने स्लेज कर दिया।
Here's wishing former #TeamIndia wicketkeeper-batsman @parthiv9 a very happy birthday. 🎂👏 pic.twitter.com/ZSLi3maG9y
— BCCI (@BCCI) March 9, 2021
इसके साथ ही खराब कीपिंग (Wicket Keeping) के चलते जल्दी ही पार्थिव पटेल (Parthiv patel) टीम से बाहर हो गए। जिसके बाद उन्होंने घरेलू क्रिकेट में मेहनत की और अपनी टीम को रणजी ट्रॉफी में ताकतवर बनाया। वहीं घरेलू क्रिकेट में लगातार कमाल करने के चलते उन्हें आठ साल बाद 2016 में फिर से भारतीय टीम से बुलावा आया। जिसके बाद उन्होंने कुछ प्रभावशाली पारियां खेलीं। लेकिन ढलती उम्र के चलते उन्हें ज्यादा तवज्जो नहीं मिली। जिसके बाद उन्होंने दिसंबर 2020 में क्रिकेट से संन्यास ले लिया।
दरअसल पार्थिव का जन्म 9 मार्च 1985 को अहमदाबाद में हुआ। उन्होंने नौ साल की उम्र में एक अंगुली गंवा दी थी। लेकिन उनके हौसले कभी डगमगाए नहीं बल्कि उन्होंने काफी मेहनत की। जिसके चलते वह भारतीय अंडर 19 टीम के कप्तान भी रहे। आगे जाकर पार्थिव पटेल ने 2002 में टेस्ट डेब्यू किया। बता दें कि यह वो समय था जब भारत को एक स्थायी कीपर की तलाश थी। ऐसे में पार्थिव को बहुत जल्दी मौका मिला और इसके चलते वे सबसे कम उम्र में टेस्ट खेलने वाले विकेटकीपर बने। उन्होंने अपना डेब्यू इंग्लैंड के खिलाफ नॉटिंघम टेस्ट में किया था। हालांकि कीपिंग में खामियों के कारण भी पार्थिव अपने बैटिंग की बदौलत भारतीय टीम में बने हुए थे।
वहीं 2002-03 में वह ऑस्ट्रेलिया दौरे पर भी गए। जहां उन्होंने एक मैच में उस समय के ऑस्ट्रेलिया के कप्तान रहे स्टीव वॉ को स्लेज किया था। जिसके बाद स्टीव वॉ ने उन्हें जवाब देते हुए कहा था, 'जितनी तुम्हारी उम्र है, उतने साल से तो मैं क्रिकेट खेल रहा हूं। ऐसे में बेहतर होगा कि चुप रहो।' खराब कीपिंग के कारण दिनेश कार्तिक, महेंद्र सिंह धोनी जैसे नामों के उभरने के बाद वह टीम से बाहर हो गए।
6 साल बाद टीम में वापसी
बता दें कि पार्थिव पटेल को टेस्ट की तरह की वनडे में भी जल्दी मौका मिल गया था। उन्होंने 2003 में न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे में अपना पहला डेब्यू किया था। लेकिन वह पहले 15 वनडे में एक भी अर्धशतक नहीं बना सके जिस कारण वह टीम से बाहर हो गए। 2004 में वह टीम से बाहर हुए और छह साल बाद 2010 में वापस आए। हालांकि यह वापसी थोड़ी कामयाब रही। पार्थिव ने 10 पारियों में चार फिफ्टी लगाई। लेकिन उन्हें यह मौके धोनी के आराम वाले मैचों में ही मिले। ऐसे में जब धोनी फिर से भारतीय टीम में आए तो पार्थिव बाहर हो गए। इस फॉर्मेट में उन्होंने 38 मैच खेले और 736 रन बनाए।
गुजरात बना घरेलू क्रिकेट में चैंपियन
पार्थिव पटेल ने अपना रणजी ट्रॉफी डेब्यू नवंबर 2004 में खेला था। तब तक वह 44 फर्स्ट क्लास मैच खेल चुके थे और इनमें से 19 टेस्ट मैच थे। भारतीय टीम से बाहर होने के बाद पार्थिव ने घरेलू क्रिकेट में पसीना बहाते हुए 2016 में गुजरात को पहला रणजी ट्रॉफी खिताब जिताया। इसके साथ ही पार्थिव के गुजरात का कप्तान रहते टीम से कई खिलाड़ी भारतीय टीम के लिए खेले हैं। इनमें जसप्रीत बुमराह, अक्षर पटेल के नाम शामिल हैं। पार्थिव की कप्तानी में ही गुजरात ने 2015 में पहली बार विजय हजारे ट्रॉफी जीती थी। इसी साल आईपीएल में उन्होंने 339 रन बनाए और मुंबई इंडियंस को चैंपियन बनाया।
पार्थिव ने अपने करियर में 194 फर्स्ट क्लास मैच में 11240 रन बनाए। इनमें 27 शतक और 62 अर्धशतक लगाए। दिसंबर 2020 में लगभग 20 साल के करियर पर उन्होंने विराम लगा दिया। संन्यास का ऐलान करने के बाद पार्थिव पटेल ने विराट कोहली और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर पर निशाना साधा था। दरअसल आरसीबी ने पार्थिव को अपनी टीम से रिलीज कर दिया था जबकि इससे कुछ दिन पहले ही पार्थिव ने संन्यास ले लिया था।
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