Sachin Tendulkar Birthday: इंसान से भगवान बनने तक का सफर

Sachin Tendulkar Birthday: क्रिकेट का नाम बगैर सचिन तेंदुलकर के अधूरा सा लगता है, इसलिए ही तो उनको क्रिकेट का भगवान (God Of Cricket) कहा जाता है। सचिन तेंदुलकर को दुनिया के उन देशों में भी जाना जाता है जहां पर क्रिकेट खेला भी नहीं जाता। जी हां ऐसी है भारत के पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर की प्रसिद्धि (Sachin Tendulkar Popularity)। सचिन तेंदुलकर शुक्रवार को अपना 47वां जन्मदिन (Sachin Tendulkar Celebrate 47th Birthday) सेलिब्रेट करेंगे।
सचिन तेंदुलकर के जन्मदिन पर हम आपके लिए लाए हैं सचिन तेंदुलकर की जिंदगी का वो हिस्सा, जब वो सच्चु थे (Sachin Tendulkar Childhood Story)। हम जानेंगे कि कैसे सच्चु सचिन तेंदुलकर बन गया और क्रिकेट जगत में ऐसा छाया कि उन्हें भगवान की उपाधि दी जाने लगी।
सचिन तेंदुलकर ने 5 वर्ष की उम्र में उठा लिया था बैट
सचिन तेंदुलकर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मराठा परिवार (Sachin Tendulkar Family) में हुआ। सचिन तेंदुलकर के पिता (Sachin Tendulkar) मराठी शिक्षक थे, और उन्हें लेखन का भी शौक था। सचिन तेंदुलकर भाई बहनों में सबसे छोटे थे, उनकी माता जी ने उनका नाम प्यार से सच्चु रखा था। सचिन के बड़े भाई अजित तेंदुलकर थे, जिन्होंने सचिन को क्रिकेट अकेडमी में जाने के लिए प्रोत्साहित किया। लेकिन इससे पहले ही सचिन तेंदुलकर ने बल्ला उठा लिया था, और क्रिकेट अभ्यास करने लग गए थे। सचिन तेंदुलकर ने पहली बार बैट तब उठाया था जब वो उनकी आयु 5 वर्ष थी।
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सचिन ने खेलते समय कई खिलड़ियों के शीशे तोड़े!
सचिन तेंदुलकर जब बच्चे थे तभी से उन्हें क्रिकेट का शौक लग गया था, सचिन के पड़ौसी इस बात को बताते हैं कि सब जानते थे कि ये बच्चा अच्छा क्रिकेट खेलता है लेकिन वो इतने आगे जाएंगे किसी ने नहीं सोचा था। जैसा हम सब जानते हैं कि सचिन तेंदुलकर को उनके भाई अजित ही कोच रमाकांत अचरेकर के पास ले गए थे, लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि कई महीने प्रैक्टिस के बाद जब उनके क्रिकेट मैच में खेलने का मौका मिला तो वो शुरूआती दो मैचों में शून्य पर आउट हो गए थे। लेकिन सचिन ने इसके बाद कई बड़ी परियां खेली, जिसे देखने के बाद कोच अचरेकर का भरोसा सचिन को लेकर अटूट हो गया था।
सचिन तेंदुलकर ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनसे भी क्रिकेट खेलते समय कई घरों के शीशे टूटे हैं। सचिन ने बताया था कि वो अलग अलग उम्र के बच्चों के साथ क्रिकेट खेला करते थे। आपको बता दें कि सचिन से बड़ी उम्र के बच्चे भी सचिन की बल्लेबाजी को देखकर हैरान रह जाते थे।
सचिन के पास है 13 अनमोल सिक्के
सचिन तेंदुलकर जब क्रिकेट अकादमी में खेलते थे, तब उनके कोच रमाकांत अचरेकर गेंदबाजों से शर्त पर गेंदबाजी करवाते थे, कि अगर उन्होंने सचिन को दिन भर में आउट कर दिया तो वो सिक्का उनका होगा, नहीं तो सिक्का सचिन तेंदुलकर का। सचिन तेंदुलकर ने आज भी जीते हुए 13 सिक्के अपने पास संभाल कर रखे हुए हैं।
विनोद कांबली के साथ पार्टनरशिप के बाद आए सुर्खियों में
सचिन तेंदुलकर अंतराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रखने से पहले ही सुर्खियों में आ गए थे। दरअसल उन्होंने अपने दोस्त विनोद कांबली के साथ मिलकर हेरिस शील्ड का सेमीफाइनल मुकाबले में 664 रनों की पार्टनरशिप की थी। सचिन ने इस मुकाबले में 336 रन बनाए थे, जिसके बाद सचिन ने लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया था।
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पाकिस्तान के खिलाफ किया था डेब्यू
सचिन तेंदुलकर ने अपना टेस्ट ओर वनडे डेब्यू क्रिकेट मैच पाकिस्तान के विरुद्ध नवंबर-दिसम्बर 1989 में किया था। सचिन तेंदुलकर को महान बनाती है उनकी आत्म इच्छा ओर उनका दृढ़ संकल्प। सचिन को लेकर प्रसिद्ध एक वाकया है जब वो सिद्धू के साथ पाकिस्तान के विरुद्ध खेलने उतरे और उनके सामने थी दुनिया की सबसे तेज गेंदबाजी। वसीम अकरम की वो गेंद जो सचिन के फेस पर लगी, और उनके खून निकलने लगा।
सचिन तेंदुलकर को तब सभी ने वापस जाने के लिए कहा लेकिन सचिन ने खेलने का निर्णय लिया। सचिन ने अगली ही गेंद पर आत्मविश्वास के साथ चौका लगाया, उस समय जिसने भी सचिन को खेलते हुए देखा वो जान चुका था कि क्रिकेट में भगवान आ चुके हैं।
सचिन को क्रिकेट में मिला भगवान का दर्जा!
सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान उनकी शानदार बल्लेबाजी और महान रिकार्ड्स की बदौलत ही नहीं बल्कि उनके शांत व्यक्तित्व और अच्छे आचरण के लिए भी कहा जाता है। सचिन तेंदुलकर उन चुनिंदा क्रिकेटर्स में से हैं, जिसने शायद ही कभी क्रिकेट ग्राउंड पर अपना आप खोया हो। सचिन तेंदुलकर को कभी किसी ने अपशब्द कहे या उकसाने की कोशिश भी की तब भी सचिन ने पलटकर गलत बोलने की बजाय अपने बल्ले से उसको मुंह तोड़ जवाब दिया। सचिन तेंदुलकर को जब भी खेलते हुए देखते हैं, तो एक बात साफ नजर आती है कि वो खुद के लिए कभी नहीं खेलते बल्कि हमेशा देश के लिए खेले हैं।
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