Sunday Special: IPL 2021 के दौरान बेलगाम हो रही ऑनलाइन सट्टेबाजी, मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगना जरुरी?

Sunday Special: IPL 2021 के दौरान बेलगाम हो रही ऑनलाइन सट्टेबाजी, मोबाइल ऐप्स पर प्रतिबंध लगना जरुरी?
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देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सट्टेबाजी अपने सातवें आसमान पर होती जा रही है। 2008 से शुरु हुए आईपीएल के आयोजन से देश में सट्टेबाजी का धंधा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि इसे रोकने के लिए कई कानून भी बने है। जिसके चलते हर साल पुलिस कई सटोरियों को गिरफ्तार भी करती है।

Sunday Special: दुनिया के सबसे महंगे और पॉपुलर क्रिकेट लीग इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) का आगाज 9 अप्रैल से शुरू हो गया है। पहले मैच में मुंबई इंडियंस (MI) और रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (RCB) आमने-सामने आए। खास बात है कि ये लीग करीब दो महीने तक चलने वाली है। फाइनल मैच 30 मई को खेला जाएगा। वहीं अब तक इसके 10 मुकाबले भी खेले जा चुके हैं, लेकिन जब कभी भी देश में आईपीएल मैचों (IPL League) का सीजन आता है तो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी सट्टेबाजी अपने सातवें आसमान पर होती है। 2008 से शुरु हुए आईपीएल के आयोजन से देश में सट्टेबाजी का धंधा लगातार बढ़ता जा रहा है। हालांकि इसे रोकने के लिए कई कानून भी बने है। जिसके चलते हर साल पुलिस कई सटोरियों को गिरफ्तार भी करती है।

अब तो आलम ये है कि सट्टेबाजी खुलेआम मोबाइल ऐप्स के जरिए हो रही है। ऑनलाइन सट्टेबाजी कराने वाले ऐप्स बड़े-बड़े सितारों और खिलाड़ियों से इसका प्रमोशन भी करा रहे हैं। इसका जाल इतना बढ़ चुका है कि क्या बच्चे और क्या बड़े सब इसमें फंसते चले जा रहे हैं। और ये सब हो रहा है सरकार की नाक के नीचे। क्योंकि सरकार ने इस तरह के ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने के बजाय खुली छूट दे रखी है।

क्रिकेट में सट्टेबाजी को कानूनी बनाने की मांग

बता दें कि आए दिन आईपीएल में स्पॉट फिक्सिंग की जांच के लिए गठित लोढ़ा पैनल ने 2013 में सिफारिश की थी कि क्रिकेट में बेटिंग या सट्टेबाजी को कानूनी दर्जा दे दिया जाए। क्योंकि, लोढ़ा कमिटी का कहना था कि सट्टेबाजों पर पूरी तरह लगाम लगा पाना मुश्किल है। वहीं लोढ़ा पैनल ही नहीं बल्कि पुलिस से लेकर वकीलों और कई जानकारों का कहना है कि सट्टेबाजी को पूरी तरह से रोक पाना लगभग नामुमकिन हैं क्योंकि अक्सर इसे संचालित करने वाले लोग अपनी जगह और नंबर बदलते रहते हैं और अंडरग्राउंड ही रहते हैं। साथ ही इनका तर्क है कि ऐसा करके हर साल सरकार को कानूनी सट्टेबाजी से हजारों करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा।

सट्टेबाजी को कानूनी बनाने से बढ़ेगी फिक्सिंग!

हालांकि, यह कह पाना मुश्किल है कि सट्टेबाजी को कानूनी बना देने से फिक्सिंग पर लगाम कैसे लग जाएगी? हालांकि लोढ़ा कमेटी ने अपनी सिफारिशों में साफ तौर पर कहा था कि, बेटिंग को लीगल बनाने के लिए जरूरी है कि क्रिकेट की संचालन संस्था ये सुनिश्चित करे कि कोई भी क्रिकेट खिलाड़ी और अधिकारी इसमें शामिल न हो पाने पाए। लेकिन सवाल तो है कि जिस देश में आज भी हर साल हजारों करोड़ की लॉटरी के टिकट बिक जाते हैं, वहां अगर क्रिकेट में सट्टेबाजी को लीगल कर दिया गया तो लोग उसमें जमकर हिस्सा नहीं लेने लगेंगे।

दरअसल सट्टेबाजी या जुए को भारत में गैरकानूनी और अनैतिक माना जाता है, लेकिन ऐसा कोई विशेष या विशिष्ट कानून नहीं है जो ऐसा कहता हो। इस पहली को सुलझाना काफी मुश्किल काम है, और इसका फायदा उठाया है ऑनलाइन गैंबलिंग और बेटिंग साइट्स ने, भारतीय मार्केट में खुद का दबदबा बनाने के लिए। बता दें कि, बेटिंग और गैंबलिंग को प्रतिबंधित करने वाला पहला कानून 1867 से सार्वजनिक जुआ अधिनियम (The Public Gambling Act from 1867) था, जिसमें कहा गया था कि जुआ किसी भी स्थान पर गैरकानूनी है। लेकिन आज तक इस पर किसी भी तरह का कड़ा कानून नहीं बना है। जिसके बाद कानून यह परिभाषित नहीं करता है कि जुआ असल में है क्या? इससे हम ये कह सकते हैं की ऑनलाइन गैंबलिंग भारत में अवैध नहीं है।

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