U-19 World Cup: पिता ने नौकरी छोड़ बेटे को बनाया क्रिकेटर, मिली अंडर-19 की कमान, जानें दिल्ली के Yash Dhull का सफर

खेल। यूं तो हमने क्रिकेट (Cricket) खेल में बहुत से युवा खिलाड़ियों के सफर के बारे सुना होगा और पड़ा भी होगा। लेकिन आज हम जिस युवा खिलाड़ी के जन्म से क्रिकेट तक के सफर के बारे में बताने जा रहे हैं वह सभी से अलग है। जी हां हम आज बात करने वाले है दिल्ली के जनकपुरी (Delhi Janakpuri) इलाके में रहने वाले युवा बल्लेबाज और अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान बनाए गए यश ढुल की।
पिता ने छोड़ दी थी नौकरी
यश ढुल (Yash Dhull) ने शुरुआत से ही अपने खेल को शानदार बनाने के लिए कड़ी मेहनत की थी। बता दें कि, यश ढुल के पिताजी विजय ढुल (Vijay Dhull) एक कॉस्मेटिक ब्रांड के साथ एक्जीक्यूटिव के रूप में काम किया करते थे। विजय ढुल ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया की उन्होंने अपने बेटे को एक शानदार क्रिकेटर बनाने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी।
वीनू मांकड़ ट्रॉफी में दिखाया था बल्लेबाजी का दम-खम
यश ढुल वीनू मांकड़ ट्रॉफी में डीडीसीए के लिए खेलते हुए 5 मुकाबलों में 75.50 की अच्छी औसत के साथ टीम के लिए 302 रन बनाए थे। साथ ही आपको बता दें कि, यश ढुल ने दिल्ली की अंडर-16, अंडर-19 और भारतीय अंडर-19 टीम में भी कप्तानी की है। मिडल आर्डर के इस शानदार बल्लेबाज ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत बाल भवन स्कूल की अकादमी से खेलते हुए 11 साल की उम्र में शुरू कर दिया था।
दिलाए थे इंग्लिश विलो के बैट
एक इंटरव्यू के दौरान यश के पिता विजय ढुल ने बताया की में यह चाहता था की मेरे बेटे को कम उम्र में की अच्छी किट और गियर मिल जाए इसलिए मैंने उसे इंग्लिश विलो जैसे बैट दिलवाए ताकि वह अच्छा खेल सके। हमने अपने खर्चे में कटौती करके उसके करियर के बारे में सोचा। मेरे पिताजी आर्मी में थे और हम उनकी पेंशन से अपने घर का खर्चा चलाया करते थे। यश ये सब होता देख हैरान हो जाता था की हम सब ये कैसे संभाल रहे हैं।
कोई नहीं है रोल मॉडल
क्रिकेट में यश जब ये पूछा गया की आपका रोल मॉडल कौन है, तो उन्होंने साफ इंकार करते हुए कहा मेरा कोई भी रोल मॉडल नहीं है। 'मैं हर किसी खिलाड़ी के खेल का बारीकी से अध्ययन करता हूं। मैं किसी की नकल नहीं करता, लेकिन हर कोई मेरा हीरो है'।
मां ने परखा था यश का टैलेंट
पिता विजय ढुल ने बताया की यश के खेल प्रदर्शन को उसकी मां ने बारीकी से जाना है। उन्होंने एक किस्से को ताजा करते हुए बताया कि 4 साल की उम्र में यश की मां ने पहली बार यश के खेल को जाना था और क्रिकेट की रुचि पर ध्यान दिया था। इसके बाद खुद यश के पिता विजय ढुल अपने बेटे को अपनी घर की छत पर खेल अभ्यास करवाया करते थे।
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