U-19 World Cup: किराने की दुकान चलाकर बेटे को बनाया क्रिकेटर, अब वर्ल्डकप में मचाएगा धमाल

खेल। वेस्टइंडीज में अगले महीने होने वाले अंडर-19 वर्ल्ड कप (U-19 World Cup) के लिए टीम इंडिया (Team India) का चयन हो गया है। जिसमें यश ढुल (Yash Dhull) को टीम की कमान सौंपी गई है। तो वहीं इस टीम में कई ऐसे खिलाड़ी मौजूद हैं जिन्होंने अपने जीवन में कड़ी मेहनत के बाद यह मुकाम हासिल किया है। इन्हीं में से एक हैं गाजियाबाद के सिद्धार्थ यादव, जिन्हें, अपने संघर्ष और मेहनत के कारण अंडर-19 वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला है।
वहीं सिद्धार्थ की उपलब्धि के पीछे उनके पिता का हाथ है। एक मामूली सी परचून की दुकान चलाने वाले सिद्धार्थ के पिता श्रवण यादव (Sarwan Yadav) की कड़ी मेहनत और संघर्ष के कारण ही सिद्धार्थ को ये मुकाम हासिल हुआ है।
These CHAMPIONS are ready to charge for TEAM INDIA in the upcoming Asia Cup U-19. 🔥💥
— UPCA (@UPCACricket) December 15, 2021
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पिता का बढ़ाया सम्मान
श्रवण यादव की मेहनत कहें या त्याग लेकिन इससे उनके बेटे की जिंदगी संवर गई। अंडर-19 टीम में चयन होना और वो भी विश्व कप में देश का प्रतिनिधित्व करना, आज का हर युवा ये सपना देखता है। लेकिन हर किसी को ये मौका नहीं मिल पाता। सिद्धार्थ के पिता खुद भी क्रिकेटर बनना चाहते थे लेकिन परिस्थितियों ने साथ नहीं दिया और वो कभी भी एक नेट बॉलर से आगे नहीं बढ़ पाए। वहीं पिता का सपना पूरा करके सिद्धार्थ ने अपने पिता का नाम रोशन किया है। सिद्धार्थ आने वाले समय में विश्व कप के साथ UAE में आयोजित होने वाले एशिया कप में खेलते दिखेंगे।
श्रवण यादव ने बचपन पहचानी बेटे की प्रतिभा
सिद्धार्थ के पिता श्रवण का सपना है कि वह अपने बेटे को बड़े स्तर पर खेलता देखें। श्रवण यादव ने बचपन में ही अपने बेेटे की प्रतिभा को पहचान लिया था। सिद्धार्थ जब छोटे थे तो उस दौरान जब उन्होंने बल्ला हाथ में लिया तो उन्होंने बाएं हाथ के बल्लेबाज का स्टांस लिया था।तब से उनको पता चल गया की वह आगे चल कर एक बाएं हाथ का बल्लेबाज ही बनेगा। सिद्धार्थ ने भी अपने पिता के सपने को पूरा करने के लिए जी जान लगा दी।
बंद कर देते थे दुकान
8 साल की उम्र बीत जाने के बाद सिद्धार्थ ने अपने खेल को लेकर कड़ी मेहनत शुरू कर दी थी। इसी मेहनत के चलते आज सिद्धार्थ भारतीय अंडर-19 टीम में जगह बना पाए हैं। वहीं सिद्धार्थ के पिता श्रवण के अनुसार वह दिन में 3 घंटे अपनी दुकान को बंद करके बेटे को बल्लेबाजी की प्रैक्टिस कराया करते थे।
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