क्रिकेट विश्व कप-2019 : भारत के सामने हैं ये चुनौतियां

क्रिकेट विश्व कप-2019 : भारत के सामने हैं ये चुनौतियां
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हाल में ही पूरे देश के लिए सबसे बड़ा मुद्दा लोकसभा चुनाव का था। अब देशभर और खासकर खेलप्रेमियों के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या आगामी 30 मई से इंग्लैंड में शुरू हो रहे वर्ल्ड कप क्रिकेट का चैंपियन भारत बनेगा? हालांकि इस बारे में अभी पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है लेकिन भारतीय टीम में बहुत सी खासियतें ऐसी हैं, जो हमें वर्ल्ड कप चैंपियन का सबसे प्रबल दावेदार बनाती हैं। इन्हीं खासियतों और संभावनाओं को टटोलता आलेख।

साल 1983 में जब भारत ने पहली बार एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप जीता था तो उसे डार्क हॉर्स माना गया। दरअसल, किसी को कोई उम्मीद नहीं थी कि भारत इस प्रतियोगिता को जीत सकता है। इसके बाद से जितने भी विश्व कप हुए हैं, उनमें वह टीम विजेता नहीं बन सकी है, जो टूर्नामेंट शुरू होने से पहले फेवरेट मानी जा रही थी। मसलन, 1987 में कप के प्रमुख दावेदार भारत और पाकिस्तान थे, लेकिन बाजी मारी ऑस्ट्रेलिया ने। इसी तरह 1992 में पाकिस्तान के बारे में और 1996 में श्रीलंका के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि ये टीमें अंतिम चार में भी पहुंचेंगी। लेकिन अंततः वो ही विजेता बने। इस बार अपनी संतुलित और दमदार टीमों के कारण भारत, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड (इसी क्रम में) फेवरेट माने जा रहे हैं। इसलिए यह प्रश्न प्रासंगिक है कि क्या परंपरा को तोड़ते हुए (फेवरेट टीम का टैग लिए हुए) भारत 2019 में आईसीसी एक दिवसीय क्रिकेट विश्व कप (50 ओवर फॉर्मेट) को अपने नाम कर सकता है? अगर वह ऐसा करने में सफल रहता है तो 1983 और 2011 के बाद हमारी यह तीसरी जीत होगी।


संतुलित है भारतीय टीम

क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है, इससे किसी को विवाद नहीं है यानी कोई भी भविष्यवाणी करना खतरे से खाली नहीं है। लेकिन इस बात से इंकार करना भी कठिन है कि इस बार भारत की जीत की संभावनाएं बहुत अधिक हैं। ऐसा अकारण नहीं। सबसे पहली बात तो यह है कि भारत के पास सबसे प्रतिभाशाली और संतुलित टीम है। इसमें न सिर्फ अनुभव और युवा ऊर्जा का अच्छा मिश्रण और संतुलन है बल्कि दोनों बल्लेबाजी और गेंदबाजी में पर्याप्त विविधता है, जो हर प्रकार की परिस्थितियों में खरी उतरने में सक्षम है और इसके अतिरिक्त हरफनमौला खिलाड़ियों का भी कोई अभाव नहीं है, जिनकी वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान क्लाइव लायड के अनुसार इस विश्व कप में भूमिका महत्वपूर्ण और निर्णायक रहेगी।

आल राउंडर हैं कई

भारत के पास हार्दिक पंड्या, विजय शंकर और रवींद्र जडेजा के रूप में स्तरीय आल राउंडर हैं और आवश्यकता पड़ने पर केदार जाधव, रोहित शर्मा और विराट कोहली भी अपना हाथ घुमा सकते हैं। 1983 में भारतीय जीत के हीरो रहे हरफनमौला खिलाड़ी मोहिंदर अमरनाथ का कहना है, 'अगर आपके पास दो-तीन क्वालिटी ऑल राउंडर हैं तो इससे टीम का संतुलन बहुत अच्छा हो जाता है। इससे आपको विकल्प मिल जाता है कि आप बाकी टीम को किस तरह से बनाना चाहते हैं।'


बल्ले का दिखेगा कमाल

इस पृष्ठभूमि में यह अंदाजा लगाना गलत न होगा कि आगामी विश्व कप हाई स्कोरिंग होगा। यह भारत के लिए तीन प्रमुख कारणों से लाभदायक होगा। एक, सीम और स्विंग के अभाव में भारत के स्ट्रोक प्लेयर्स को खुलकर खेलने का अवसर मिलेगा और वह न सिर्फ बड़ा टारगेट चेज कर सकेंगे बल्कि बड़ा टारगेट सेट भी कर सकेंगे। ध्यान रहे कि एक दिवसीय मैचों में तीन दोहरे शतक लगाने वाले विश्व के एकमात्र बल्लेबाज रोहित शर्मा सपाट विकेट पर अधिक खतरनाक हो जाते हैं। और टारगेट चेज करने के संदर्भ में कप्तान विराट कोहली का जोड़ नहीं है। टारगेट चेज करते हुए कोहली ने 133 मैचों में 68.21 की औसत से 94.43 के स्ट्राइक रेट से 6617 रन बनाए हैं, जिनमें 25 शतक हैं और इनमें से 21 शतक भारत के लिए जीत सुनिश्चित किया है।

फिरकीबाज करेंगे कमाल

भारत के पास एक और तुरुप का इक्का है-उसके स्पिन गेंदबाज। अगर आपने छोटे फॉर्मेट में नजर डाली हो तो सपाट विकेट पर भी हाल के वर्षों में सबसे अधिक सफल लेग स्पिनर रहे हैं, जिनपर रन बनाना किसी भी बल्लेबाज के लिए आसान नहीं रहा है। इस आईपीएल में भी 26 विकेट के साथ लेग स्पिनर इमरान ताहिर को पर्पल कैप मिली। भारत के पास दो क्वालिटी लेग स्पिनर हैं- युज्वेंद्र चहल और कुलदीप यादव। इनकी वजह से ही हाल के वर्षों में भारत को विदेशी धरती पर एकदिवसीय में जबरदस्त सफलता मिली है, जैसे दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड।


ये भी हैं स्ट्रॉन्ग प्लेयर्स

सपाट विकेट पर सबसे महत्वपूर्ण डेथ ओवर्स होते हैं, जो टीम इन ओवरों में अच्छी गेंदबाजी कर लेती है, उसके जीतने की संभावना बढ़ जाती है। जसप्रीत बुमराह के रूप में भारत के पास इस समय विश्व का सर्वश्रेष्ठ डेथ ओवर्स गेंदबाज है और उनका साथ देने के लिए भुवनेश्वर कुमार और मुहम्मद शमी में भी पर्याप्त योग्यता है। इसके अतिरिक्त महेंद्र सिंह धोनी का भी विकेटकीपर और फिनिशर के रूप में अपना महत्व है। वह जिस तरह से गेम को रीड, लीड करते और योजना बनाते हैं, उसका अब दुनिया लोहा मान चुकी है। लेकिन इससे भी अधिक महत्व उनका इस बात में है कि वह निरंतर गेंदबाजों को गाइड करते रहते हैं कि किस बल्लेबाज को कहां गेंद डालनी है। अपनी इस योग्यता से उन्होंने भारत को बेशुमार मैच जिताए हैं।

कुल मिलाकर तथ्य यह है कि भारत के पास संतुलित, प्रतिभाशाली और जोश से भरी टीम है, जो इस बार का विश्व कप जीतने में पूर्णतः सक्षम है। इसलिए यह अनुमान लगाना गलत न होगा कि 'फेवरेट टीम प्रतियोगिता नहीं जीतती' की परंपरा को तोड़ते हुए भारत 2019 का चैंपियन बनेगा।

ग्राउंड भी हैं रन सपोर्टिव

2019 का विश्व कप 30 मई से इंग्लैंड और वेल्स में खेला जाएगा, जिसमें हर टीम पहले एक-दूसरे से खेलेगी और अंकों के आधार पर पहली चार टीमें सेमी-फाइनल में पहुंचेंगी। यह विश्व विजेता चुनने का सबसे अच्छा तरीका है। हालांकि इंग्लैंड हमेशा से ही अपनी सीम और स्विंग लेती ग्रीन विकेटो के लिए विख्यात रहा है। लेकिन इस समय इंग्लैंड की विकेट एकदम सपाट हैं, जिससे हाई स्कोरिंग मैच हो रहे हैं। पिछले साल ब्रिस्टल में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध अपने निर्धारित 50 ओवरों में छह विकेट खोकर 481 रन बनाए, जो एक दिवसीय का आज तक का सर्वाधिक स्कोर है। हाल ही में इंग्लैंड में इंग्लैंड ने पाकिस्तान से सीरीज खेली है, जिसमें आसानी से 350 रन का टारगेट सेट हुआ और चेज भी किया गया। एक मैच में इंग्लैंड ने 3 विकेट खोकर 373 रन बनाए और पाकिस्तान पीछा करते हुए 361 रन तक पहुंच गया, जबकि उसकी बल्लेबाजी विश्व में इस समय सबसे कमजोर है। इन स्कोरों को देखते हुए इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड 500-रन योग के स्कोरबोर्ड डिजाइन कर रहा है।

लेखक-सारिम अन्ना

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