टीम इंडिया के इन दो धुरंधर बल्लेबाजों का क्रिकेट करियर खत्म !

टीम इंडिया के इन दो धुरंधर बल्लेबाजों का क्रिकेट करियर खत्म !
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काफी समय से टीम से बाहर चल रहे इन दोनों खिलाड़ियों को विश्वकप टीम में शामिल करने को लेकर सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से मुहिम छिड़ी थी, पर उस मुहिम को चयनकर्ताओं ने सिरे से खारिज करते हुए दोनों दिग्गज खिलाड़ियों को बाहर ही रखा।

कभी भारतीय टीम की पहचान रहे बाएं हाथ के धुरंधर बल्लेबाज युवराज सिंह और सुरेश रैना को टीम इंडिया के विश्वकप टीम में जगह नहीं मिली है। काफी समय से टीम से बाहर चल रहे इन दोनों खिलाड़ियों को विश्वकप टीम में शामिल करने को लेकर सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिनों से मुहिम छिड़ी थी, पर उस मुहिम को चयनकर्ताओं ने सिरे से खारिज करते हुए दोनों दिग्गज खिलाड़ियों को बाहर ही रखा।

तो क्या खत्म हो गया कैरियर

युवराज का हालिया प्रदर्शन और 37 साल की उम्र इस बात की तरफ इशारा करती है कि युवराज सिंह अब शायद ही नीली जर्सी में नजर आएं। सन् 2000 में एकदिवसीय क्रिकेट के जरिए टीम में आए युवराज सिंह ने डेढ़ दशक के क्रिकेट कैरियर में 304 वनडे मैच खेले। 36 की औसत से 8701 रन बनाए। इस दौरान 14 शतक और 52 अर्धशतक जड़े। कई बेहतरीन मौकों पर टीम की नैया पार लगाने वाले युवराज सिंह 2015 के बाद ही टीम में आते जाते रहे हैं। निरंतरता की कमी से ही वह टीम के स्थायी सदस्य नहीं बन पाए हैं।

32 वर्षीय सुरेश रैना पिछले कुछ सालों से टीम से बाहर ही रहे हैं। केदार जाधव और अंबाती रायडु के प्रदर्शन ने उन्हें टीम में आने का मौका नहीं दिया। साथ ही रैना का इस दौरान प्रथम श्रेणी क्रिकेट में भी उतना बेहतर प्रदर्शन नहीं रहा जो उन्हें टीम में शामिल करवा सके। 2005 से क्रिकेट खेल रहे रैना ने 226 वनडे मैचों में 5615 रन बनाए हैं। इस दौरान उन्होंने 5 शतक और 36 अर्धशतक लगाए।

कभी थे टीम की रीढ़

युवराज और सुरेश रैना में कई समानताएं हैं दोनो बाएं हाथ के बल्लेबाज होने के साथ बेहतरीन फिल्डर भी हैं। कवर पर रैना और गली में युवराज के खड़े रहने से विपक्षी टीम के बल्लेबाज उधर शॉट खेलने से बचते थे। चीते की फुर्ती रखे इन दोनों खिलाड़ियों ने टीम की फिल्डिंग को आला दर्जे का बना दिया, जो कभी भारत की सबसे बड़ी कमजोरी हुआ करती थी। युवराज सिंह 2011 वर्ल्ड कप के हीरो थे और 'मैन ऑफ द सीरीज' रहे थे। उन्होंने 9 मैचों में 90.5 के जबरदस्त औसत से 362 रन बनाए थे। उन्होंने 15 विकेट भी झटके थे।

विश्वकप में चयन नहीं मतलब कैरियर खत्म

भारतीय टीम के साथ ये अक्सर होता आया है कि जिस भी खिलाड़ी को टीम से रिटायर करने का समय आता है उसे अनदेखा कर दिया जाता है। 2011 विश्वकप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले गौतम गम्भीर को 2015 के वर्ल्डकप से बाहर रखा गया। और उसके बाद गौतम ने क्रिकेट को अलविदा कह दिया। इस समय वह राजनीति के मैदान में भाजपा की तरफ से बल्लेबाजी कर रहे हें।

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