पूर्व हॉकी खिलाड़ी को देख आपकी आंखों में आ जाएंगे आंसू, परिवार का पेट पलने के लिए पल्लेदारी को मजबूर

पूर्व हॉकी खिलाड़ी को देख आपकी आंखों में आ जाएंगे आंसू, परिवार का पेट पलने के लिए पल्लेदारी को मजबूर
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Hockey Player Paramjeet kumar: पंजाब में खिलाड़ियों से खेल से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है। पंजाब के पूर्व राज्य स्तरीय हॉकी खिलाड़ी परमजीत कुमार मंडी में पल्लेदारी को मजबूर हैं।

Hockey Player Paramjeet kumar: पंजाब में खिलाड़ियों से खेल से जुड़ा एक बड़ा मामला सामने आया है। पंजाब के पूर्व राज्य स्तरीय हॉकी खिलाड़ी (Punjab Former state level hockey player) परमजीत कुमार मंडी में पल्लेदारी को मजबूर हैं। परमजीत कुमार की दुर्दशा देखकर किसी की भी आंखों से आंसू छलक आएंगे। परमजीत कुमार परिवार के पालन-पोषण के लिए कार में चावल और आटे की बोरी भरकर ले जा रहे हैं। ऐसी ही तस्वीर सामने आने के बाद इसे लेकर सनसनी मच गई है। परमजीत कुमार (Paramjeet Kumar) को हाल ही में पंजाब की फरीदकोट मंडी (Faridkot mandi of Punjab)में चावल और आटे की बोरी लेकर घूमते देखा गया ।

1 बोरा चढ़ाने और उतारने के 1.25 रुपए ही मिलते हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक खिलाड़ी को 1 बोरी चढ़ाने और उतारने के लिए सिर्फ 1.25 रुपये मिलते हैं। परमजीत (Paramjeet) परिवार के भरण-पोषण के लिए रोजाना 450 बोरे लोड-अनलोड करते हैं। उन्हें भारतीय टीम की ड्रेस में देख लोग भी दंग रह गए हैं। आपको बता दें कि वीडियो के सामने आते ही खूब हंगामा हुआ। जानकारी के मुताबिक परमजीत (Paramjit) ने अपनी प्राथमिक शिक्षा फरीदकोट के सरकारी स्कूल में की और पढ़ाई के साथ-साथ उन्हें खेलों से भी लगाव था।


पांच बार मेडल जीते

जब हॉकी कोच बलजिंदर सिंह की नजर उन पर पड़ी। उन्होंने उसके हुनर को पहचाना और हॉकी स्टिक परमजीत को थमा दी। धीरे-धीरे परमजीत एक अच्छे फुल बैक पोजीशन के खिलाड़ी बन गए। और अच्छा करने लगा। उनके अच्छे प्रदर्शन के चलते उन्हें एनआईएस पटियाला में सीट मिली। जहां उन्होंने कक्षा 6वीं से 12वीं तक की पढ़ाई की और नौ बार जूनियर और सीनियर राष्ट्रीय खेलों में चयनित भी हुए। इस दौरान परमजीत ने पांच बार मेडल जीते।

हाथ टूट गया

वर्ष 2009 में परमजीत का चयन बांग्लादेश में होने वाले जूनियर एशिया कप (Asia Cup) के लिए जाने वाली भारतीय टीम में हुआ। लेकिन किसी कारणवश यह टूर्नामेंट ही रद्द हो गया। खेलों के दौरान उनका हाथ टूट गया था। इस वजह से उन्हें दो साल तक खेल से दूर रहना पड़ा। इसके बाद न तो सरकार ने और न ही किसी कंपनी या विभाग ने परमजीत (department supported Paramjit) का साथ दिया। इसके बाद इस प्रतिभाशाली खिलाड़ी का हौसला टूट गया, वह धीरे-धीरे अपना घर चलाने के लिए मेहनत करने लगा। वर्तमान में पदकों और प्रमाणपत्रों के ढेर के बावजूद परमजीत एक छोटे से किराए के मकान में रह रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जब इस बात की जानकारी पंजाब के सीएम भगवंत सिंह मान (Punjab CM Bhagwant Singh Mann) को हुई। इसलिए उन्होंने 1 फरवरी को परमजीत को चंडीगढ़ बुलाया है। परमजीत को उम्मीद है कि शायद उसे सरकारी नौकरी या कोच की नौकरी मिल जाएगी।

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